छठ पूजा की विधि, नियम, कथा, महत्व और मुहूर्त जानिए यहां 

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छठ पूजा की विधि, नियम, कथा, महत्व और मुहूर्त जानिए यहां 

छठ पूजा की शुरुआत कैसे हुई 

यह त्यौहार हिन्दुओ का प्रमुख त्यौहार है।  इसकी कई कथाये प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है। की जब भगवान श्री राम रावण का वध करके अपने गृहराज्य अयोध्या लौट रहे थे। तो उन्होंने अपने  इस्ट्देव सूर्य भगवान की पूजा अर्चना की थी। क्योकि भगवान श्री राम सूर्यवंशी क्षत्रिय थे और उनके इस्ट्देव भगवान सूर्यदेव थे। तभी से हर वर्ष इस त्यौहार हो मनाया जाता है। 

chhath-puja

छठ पूजा महत्व और विधि 

इस त्यौहार को डाला छठ , छठी माई आदि नमो से जाना जाता है। यह  त्यौहार हिदुओ का प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार खास तौर पर बिहार झारखण्ड पूर्वी उतर प्रदेश और नेपाल में बहुत धूम धाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार 4 दिनों का होता है। 

इसकी शुरुआत का पहला दिन हनाय खाय के साथ शुरू हो जाती है। पहले दिन सुबह उठ कर हो सके तो गंगा नदी में स्नान करना चाहिए। इसके बाद नए कपडे पहनें चाहिए। और व्रती की खाना खाने के बाद ही सभी को खाना खाना चाहिए। 

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दूसरा दिन  निर्जला व्रत रखा जाता है। और शाम को गूढ़ और चावल की ही खीर खायी जाती है। 

नदी किनारे आये जब सूरज की लाली,
सब होते खड़े लिए हांथ में थाली,

तीसरा दिन इस दिन भी निर्जला व्रत रखा जाता है। और शाम के समय किसी नदी या तालाब में जाकर कमर तक जल में खड़े होकर भगवान सूर्य को अर्घ दिया जाता है। और फिर उस रात घर में जागरण  किया जाता है।  और इस दिन ठेकुए भी बनाये जाते है। 

चौथा दिन  उसकी सुबह फिर उसी नदी या तालाब में जाकर कमर तक जल में खड़े होकर भगवान सूर्य के उदय होने का इन्तजार किया  जाता है। फिर भगवान् सूर्य को अर्घ देकर विधि बिधान से पूजा अर्चना की जाती है तथा समस्त भोग को जल में स्पर्श कराया जाता है। फिर अपने घर को वापस आते है और प्रसाद का वितरण करते है। 
छठ पूजा के प्रमुख फल गन्ना ,सुपारी ,केला , सिंघाड़ा , डाभ नीबू है। 

छठ पूजा की कथा 


पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है की एक देवव्रत नाम का एक राजा था। जिसके पुत्र प्राप्त नहीं हो रहा था। उसके एक बार पुत्रप्राप्ति का यग भी कराया परन्तु उस राजा को मारा हुआ पुत्र प्राप्त हुआ।  वह राजा बहुत निरास हो गया और एक दिन वह परेशन होकर नदी में डूबने का मन बना कर नदी  के तरफ निकला|

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जब वह नदी के पास पंहुचा तो एक देवी ने उनके छठ के व्रत के बारे में बताया पर राजा को विश्वाश नहीं हुआ काफी देर बाद राजा मान गाय और वापस अपने राज्य लौट गया। और इस व्रत को पुरे भक्ति भाव के साथ इस व्रत को रखा तथा कुछ ही दिनों बाद उसकी पत्नी गर्भवती हो गई और उस राजा को पुत्र प्राप्ति हुई।  तभी से इस व्रत को रखने की प्रथा चली आरही है।

छठ पूजा का मुहूर्त और दिन 


यह त्यौहार चैत्र शुक्ल पक्ष या कार्तिक शुक्ल पक्ष के दिन मनाया जाता है।  
 

1 Answer

HI Rohit singh,

It is realy nice article thanks for sharing. Keep sharing information.

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