10 Minutes Relaxing Guided Meditation For Beginners In Hindi
10 Minutes Relaxing Guided Meditation for Beginners in Hindi -आप चाहे अपनी जिंदगी में शांति चाहते है या सफल बनाना चाहते है या आप अपने जीवन को आनंदमय बनाना चाहते है या आप अपने दुखो को दूर करना चाहते है या आप डिप्रेशन और चिंता से दूर होना चाहते है तो इन सब के लिए आपको अपने विचारो का मालिक बनना पड़ेगा और यदि हमअपने विचारो का मालिक बनना चाहते है तो उसके लिए हमे अपने मन का स्वामी बनना पड़ेगा। मन का स्वामी बनना का एक तरीका है Meditation का धयान।
इसके लिए किसी ऐसी जगह का चुनाव करे झा पर अगले 15 मिनट तक distribution न हो। अब आप आराम से Meditation करने की लिए बैठ जाये। आप चाहे तो जमीन पर आशन बिछा कर बैठ जाये। या फिर कुर्सी पर बैठ जाये। बस ये ध्यान रहे की कमर सीढ़ी हो और सरलता से बिना जोर लगाए। एक लम्बी और गहरी साँस अंदर खींचनी है फिर धीरे से बाहर छोड़ना है। एक और लम्बी सास अंदर ले फिर धीरे से बाहर छोड़े। इस प्रकार आपको अब 5 बार ऐसे ही करे।
फिर आप देखेंगे की हर अंदर आती हुई सास आपको एक नई ऊर्जा दे रही है। ये भी महसूस करे की बाहर जाती हुई साँस आपके शरीर और मन को हल्का कर रही है और बाहर जाती हुई साँस के साथ तनाव और strees भी बाहर जा रहा है अब आप अपनी चेतना को अपने सिर और चेहरे के हिस्से पर ले जाये वह मौजूद तनाव को मन की आँखों से देखे और या महसूस करो फिर एक धीमी और गहरी साँस अंदर ले और साँस छोडने के साथ चेहरे को पूरी तरह relex करे और ढीला छोड़ दे।
सिर के अंदर एक हल्की सी गर्मी को महसूस करे इसी तरह चेहरे पर भी हल्की से गर्माहट सी महसूस करे अब पूरा शरीर ढीला करना शुरू हो गया है गर्दन की मासपेशियो को देखे और ढीला छोड़ दे एक बार फिर अपनी मन की आँखों से कंधो और दोनों हांथो को देखे वह मौजूद तनाव के साक्षी बने। एक बार फिर गहरी और धीमी साँस अंदर ले और साँस को धीरे से बाहर छोड़े। कंधो और हांथो का तनाव भी बाहर जाती साँस के साथ बाहर जा रहा है। और जब आपके कंधे, हाँथ, गर्दन आपका सर relexed हो चुके है।
अब छाती और पीठ के साक्षी बने। वह मौजूद तनाव को relexed करे और फिर से लम्बी और गहरी साँस ले और पूरी तरह छाती और पीठ की मासपेशियो को पूरी तरह ढीला छोड़ दे और relex करे। अभी भी आप अपने पूरे शरीर को मन की आँखों से देखते है उसके साक्षी बने और उसे relex करे बाहर जाती हुई साँस के साथ तनाव को बाहर जाने दे और relex करे। आप महसूस करेंगे की आपका पूरा शरीर ढीला पड़ रहा है। अब आप होनी चेतना को अपने शरीर के साथ - साथ सांसो के ऊपर भी लगाए और महसूस कीजिये की अंदर आने वाली साँस ठंडी है और बाहर जाने वाली साँस गर्म है।
साँस की हर गति विधियों को दृष्टाभाव से देखे की क्या आपकी साँस के साथ आपके सीने में कोई हकचल हो रही है या नहीं। क्या आप ये महसूस कर सकते है की हरआने वाली साँस के साथ आपका पेट फूल रहा है और बाहर जाने वाली साँस के साथ अंदर जा रहा है जो कुछ भी हो रहा है एक द्र्स्टाभाव से उसे देखते रहे। है मैं जानता हूँ की मैं धीमी और गहरी साँस अंदर ले रहा हूँ ,है मैं जानता हूँ की मैं साँस बाहर छोड़ रहा हूँ मैं एक द्र्स्टा हूँ इस तरह आपको अपनी सांसो को देखते जाना है।
अब आप इसके साथ-साथ अपने आस-पास की आवाजी को भी सुन्ना शुरू करे हो सकता है की कहि दूर से किसी पक्षी की आवाज आ रही हो या किसी गाड़ी का horn बज रहा हो। उसको भी एक द्र्स्टाभाव से देखते जाना है। और नमी - नमी ये भाव रखना है की मुझे सब स्वीकार है। किसी आवाज से कहीं कोई कठिनाई नहीं है। ध्यान का एक ही मतलब है की दृष्टा हो जाना। किसी से कोई शिकायत नहीं। और जब आप अपने शरीर को देख रहे है। शरीर के अंदर उठने वाली संवेदना को एक साक्षी भाव से देख रहे है।
इन सबके साथ साथ आप अपनी सांसो को भी देख रहे है। और आस पास की आवाजों को भी साक्षी भाव से सुन रहे है और आपका मन अब धीरे - धीरे शांत होने लगा है। पुरे शरीर को ओर ढीला छोड़ दे। फिर अपने मन को ओर ढीला छोड़ दे। शरीर साँस ओर आवाजों के अलावा आप अपने मन को देखना शुरू करे। आपके मन में क्या - क्या विचार आ रहे है धयान रहे जिस तरह आप अपने सांसो के साक्षी बने,आप अपने शरीर के साक्षी बने,मन के साक्षी बने ,आसपास की चीजों के साक्षी बने उसी प्रकार आपको अपने विचारो को भी एक निष्ठाभाव के साथ एक साक्षीभाव के साथ देखते जाना है।
ये स्समरण रखना है की विचार तो है लेकिन ये विचार आप नहीं है ये आपसे अलग है जो विचार आपके मन में है उनको आप देखते जाये। अच्छे -बुरे जो भी , कल मुझे office जाना है ,दो दिन बाद importent काम करना है ,इस तरीके के जो भी विचार आपके मन में चल रहे है बस उनको एक साक्षी भाव की तरह देखते जाना है अब आप शरीर ,साँस ,मन, आस - पास की आवाजों के साथ-साथ अपने विचारो के भी द्र्स्टा बन गए है। जो भी विचार आ रहे हो उन्हें आने दे उनसे कोई फर्क न करे।
उनसे कोई लड़ाई न करे विचार आएंगे ओर चले जायेंगे। आपको सिर्फऔर सिर्फ विचारो को देखते जाना है। उनका भी द्र्स्टा बनना है जब मन में विचार आये तो आने - जाने दे। उनमे खोये या उलझे नहीं। बस एक दर्शक की तरह विचारो के प्रभाव को देखे। किसी विचार को पकड़ कर speed न दे। इससे धीरे धीरे विचार की गति धीमी होती जायेगी। फिर कम विचार आएंगे। तो आपका मन बार - बार भटकेगा तो इसकी परवाह नहीं करनी है। जब भी आपका मन भटकता है। सहजता से उसको वापस अपने सांसो के ऊपर ले आये।
अपनी सांसो को बस देखते रहे। मैं अपने शरीर को देख सकता हूँ ,मैं अपनी साँस को भी देख सकता हूँ ,मैं अपने आस-पास की चीजों को भी देख सकता हूँ, और मैं अपने विचारो को भी देख सकता हूँ। मैं अपने विचारो का एक द्र्स्टा हूँ। अब मेरा मन मस्तिष्क बिलकुल शांत हो रहा है। मेरे चेहरे पर अपने आप एक हल्की सी मुस्कान आ गई है और अभी समय है Meditation से बाहर निकलने का। शरीर को महसूस करना शुरू करे। शरीर को थोड़ा - थोड़ा हिला सकते है ,और अब दोनों हांथो को अपनी दोनों आँखों के ऊपर रखे फिर धीरे से अपनी आँखों को खोले।
महसूस कीजिये की आप कितने शांत है। आपके चेहरे पर एक आनंद आ रहा है ,ह्रदये में एक शांति महसूस हो रही है ,चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान है। उस हल्की मुस्कान को बनाये रखे। महसूस कीजिये की आप कितना relexed feel कर रहे है