अपना जीवन अपने आप बनाना पड़ता है

308
Views

अपना जीवन अपने आप बनाना पड़ता है - अक्सर ऐसा देखा जाता है की हममे से बहुत से लोग जीवन में अपने आप को असफल मानने लगते है। सोचते है की जीवन में इतने प्रयास किये इतनी मेहनत की लेकिन फिर भी कुछ भी नहीं कर पाए। और आगे भी कुछ नहीं कर पाएंगे। अपने आप पर से विस्वास ही खो बैठते है। लेकिन ये सच नहीं है। अपना जीवन हमे अपने आप बनाना पड़ता है। जन्म लेना तो केवल एक बीज की तरह है। और इस बीज को वृक्ष बनाकर फूल खिलाना चाहते है अर्थात जीवन को सफल बनाना चाहते तो अपना रास्ता खुद ही बनाना पड़ता है।

guru nanak

जिस प्रकार सूरज को स्वाम जगना पड़ता है ताकि दुसरो को प्रकाश दे सके। रात्रि में प्रकाश देने के लिए चन्द्रमा को भी तो अकेले ही चलना पड़ता है यदि गौर करे की नदी अपना रास्ता कैसे बनती है जबकि नदी को भी अपने रस्ते में पड़ने वाले पत्थर व् चट्टान से भी टकराकर अपना रास्ता स्वयं ही बना लेती है उसी प्रकार अपने जीवन को अपने -आप ही मेहनत करके निखारना होता है

 

एक बार गुरु नानक अपने यात्रा के बीच में ही अपने शिष्य मरदाना के साथ एक गांव के पास रुके। गुरु नानक अपने जीवन में हमेसा घूमते ही रहते थे अपने शिष्य मर्दाना के साथ। मर्दाना गता था और गुरु नानक लोगो का ज्ञान बढ़ते थे। तो ऐसे ही अपनी एक यात्रा के दौरान एक गांव के बाहर एक बगीचे में शाम के वक्त रुके। वो गांव सूफियों का गांव था वह सभी ज्ञानी थे गांव के सरदार सुबह -सुबह ही गुरु नानक के आने की सूचना  मिली तो उसने अपने एक सेवक के हाँथ से दूध का लबा -लब भरा कटोरा भिजवाया।

guru1

दूध के कटोरे में एक और भी बून्द नहीं समा सकती थी। दूध से भरे कटोरे को देखकर गुरु नानक समझ गए तभी उन्होंने वही पास एक फूल को तोड़कर उसी कटोरे में उस फूल को दाल दिया और फूल प्याले में तैर गया। फूल ने प्याले में अपने आप ही जगह बना ली।  दूध का कटोरा वापस भिजवा दिया। शिष्य मर्दाना यह सब देख रहा था और बहुत चकित था उसने गुरु नानक से पूछा की गुरु जी यह सब क्या था ?और कृपया मुझे समझाये।

 

गुरु नानक ने कहा की गांव के सरदार ने दूध का कटोरा लबा-लब दूध से भरा भिजवाकर मुझे सन्देश दिया था की इस गांव में पहले ही इतने ज्ञानी लोग है। पूरा गांव ज्ञानियों से भरा हुआ है। इस गांव में अब और किसी ज्ञानी की कोई जरूरत नहीं है। कृपया आप कहीं और जाए। तो मैंने भी उसमे फूल दाल दिया और वह तैर गया। प्याले से बिना दूध गिराए सरदार को वापस सन्देश भिजवा दिया की मैं भी इतना ही हल्का और खिला हुआ फूल हूँ।

guru 3

यह आप लोगो की दुनिया में तैर जाऊंगा। किसी और ज्ञानी की जगह नहीं लूंगा। अपनी जगह अपने आप ही बना लूंगा जैसे की फूल ने प्याले में बनाई है अर्थात यह हुआ की जिस प्रकार दूध के लबा-लैब भरे कटोरे में फूल ने अपनी जगह बना ली उसी प्रकार हमे भी बिना हिम्मत हारे अपनी मेहनत से अपनी पहचान और जगह स्वयं ही बनानी पड़ती है। 

---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

Article Posted By: Manju Kumari

Work Profile: Hindi Content Writer

Share your feedback about my article.

 

 

0 Answer

Your Answer



I agree to terms and conditions, privacy policy and cookies policy of site.

Post Ads Here


Featured User
Apurba Singh

Apurba Singh

Member Since August 2021
Nidhi Gosain

Nidhi Gosain

Member Since November 2019
Scarlet Johansson

Scarlet Johansson

Member Since September 2021
Mustafa

Mustafa

Member Since September 2021
Atish Garg

Atish Garg

Member Since August 2020

Hot Questions


Om Paithani And Silk Saree



Quality Zone Infotech



Sai Nath University


Rampal Cycle Store



Om Paithani And Silk Saree



Quality Zone Infotech



Kuku Talks



Website Development Packages