जब मन उदास हो तो क्या करें? How To Change Your Mood

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जब मन उदास हो तो क्या करें? How to Change your Mood - उदासीनता ह्रदय का वह भाग है जहाँ हमे किसी भाग में कोई रूचि नहीं रहती। हम कोई कार्य करने के लिए उत्साहित नहीं रहते। उदासीनता जब सीमा से बढ़ जाती है तो मन का रोग बन जाती है। मनुष्य जीवन से अधिक मृत्यु को पसंद करने लगता है। हम सब जीवन में कभी न कभी उदासीनता का अनुभव जरूर करते है। मन निराशा से भर जाता है। और हम कार्य का त्याग कर बैठते है।अधिकतर हमारी उदासीनता कुछ समय तक ही रहती है !

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इसलिए उससे होने वाली हानि को हम पहचान नहीं पाते है। किन्तु उदासीनता धीरे - धीरे आदत का रूप धारण कर लेती है। और हम बार - बार उदासीनता के कारन हाँथ में लिए तारे अधूरे छोड़ देते है। क्या हमारे सबके साथ ऐसा नहीं होता। वास्तव में उदासीनता क्या है? इसका जन्म कहाँ से होता है। इससे छूटने का उपाए क्या है ?उदासीनता वास्तव में मन की ऐसी स्तिथि का नाम है जब हमे अपनी तकलीफो ,अपनी कठिनाईयों का कारन बाहर दिखाई देता है। हम कहते है की समाज बुरा है। ये स्वांग ही गलत है।

पति - पत्नी का वर्ताव ही अनुचित है जीवन की परिस्थितियाँ अनुकूल है। वक्त हमारा साथ ही नहीं दे रहा वगैरा - वगैरा। जब दुःख का कारन बाहर होता है। तो उसको बदलने का हमारे पास कोई मार्ग ही नहीं होता। क्या ये सत्य नहीं ?हम समय को किस प्रकार बदल सकते है। परिस्थितियों में कैसे बदलाव ला सकते है अर्थात हम स्वम् को निशःये मैंने लगते है। और फिर वहीँ से उदासीनता का जन्म होता है। क्या ये सत्य नहीं ?प्रश्न यह है की हमारी सारी दुविधाओं का कारन बाहर है।

या हमारे भीतर है। हालात क्या दुसरो के कारण है। क्या हमारा परिवार ही हमारा शत्रु है ? क्या समाज ही दुश्मन है ?या हमारी प्रीतितिया हम स्वम् ही निर्मित करते है। विचार करते है पतझड़ में पत्ते गिरा देने वाली ठण्ड क्या वृक्ष के साथ दुश्मनी कर रही है नहीं ऋतू चक्र तो अपना कार्य कर रहा है। उसे पेड़ के साथ न दुश्मनी है न दोस्ती। ऋतू चक्र के अनुकूल पेड़ का हो जाना वृक्ष का कर्तव्य है। ठीक वैसे ही समाज किसी व्यक्ति का न तो मित्र होता है न शत्रु।

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समाज को जिससे लाभ मिलता है समाज उसका मित्र बन जाता है अर्थात समाज प्रतिकूल जब बनता है जब हम समाज के प्रतिकूल बनते है। वैसे ही व्यक्तियों के बीच में भी होता है। हम जिसे प्रेम करते है वह हमे प्रेम देता है। हम जिसे लाभ देते है वह हमे लाभ देता है। हमे अपने हालात बदलने के लिए हमे स्वम् अपने आप में परिवर्तन करना पड़ता है। इतना समझ लेने पर स्वम् में परिवर्तन करना कठिन नहीं। अर्थात जीवन में उदासीनता का कोई कारण ही नहीं। केवल अपने आप में परिवर्तन करना पर्याप्त है

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