एक Retired Senior Officer को अपने Office जाने की जिज्ञासा
एक retired senior officer को अपने office जाने की जिज्ञासा हुई।और उसने अपने मन में office जाने को लेकर बड़े - बड़े संजोने शुरू कर दिए जैसे की :-इतने दिन बाद जब सभी officer और कर्मचारी मुझे देखेंगे तो बहुत खुश होंगे। सभी मेरा बहुत जोरो से स्वागत भी करेंगे। मेरे स्वागत में सभी लोग कुछ न कुछ नास्ते में मंगवाएंगे। तत्काल अच्छा नाश्ता भी मंगाया जाएगा। ऐसा सोचते सोचते वह officer अपने office में पंहुचा। तभी गेट पर gard ने अंदर गाड़ी ले जाने को मन कर दिया और कहने लगा की आप पहले गाड़ी को बहार side पर ही लगा दीजिये।
इस बात पर अधिकारी भोचक्का रह गया और कहा की अरे तुम जानते नहीं हो मैं यहाँ का Chief officer रह चुका हूँ और इसी वर्ष ही retired हुआ हूँ। इसी बात पर gard बोला की तब थे अब नहीं। और आपकी गाड़ी अंदर नहीं जाएगी। Officer नाराज होने लगा फिर वहां के तैनात officer को वहां पर फोन करके गेट पर बुलाया। Officer गेट पर आया और senior retired officer को अंदर ले गया। गाड़ी को भी अंदर करवाई और चेम्बर में जाते ही chair पर बैठ गया और चपरासी से बोला की बोला कि साहब को जो भी काम हो संबधित officer के पास जाकर बता दो।
चपरासी साहब को ले गया और संबंधित कर्मचारी के काउंटर पर छोड़ आया। senior retired officer को कुछ भी समझ नहीं आया और वे खड़े सोचते रह गए कि किया सोचा था और क्या हो रहा है office आते समय जो सपने संजोए थे, वह चकनाचूर हो चुके थे। पद का घमंड चूर - चूर हो चुका था।और फिर दुखी होकर senior retired officer चुप - चाप घर पर चले आए। काफी सोचने के बाद उन्होंने अपनी डायरी में लिखा कि एक विभाग के कर्मचारी शतरंज के मोहरों की तरह होते हैं। कोई राजा, कोई वजीर, कोई हाथी, घोड़ा, ऊंट तो कोई पैदल सैनिक बनता है।
खेलने के बाद सभी मोहरों को इकठ्ठा करके एक थैले में डालकर अलग रख दिया जाता है। खेलने के बाद उसके पद का कोई महत्व नहीं रह जाता है। अतः इंसान को अपने परिवार और समाज को नहीं भूलना चाहिए। कितने भी ऊंचे पद पर पहुंच जाओ लौटकर अपने ही समाज में आओगे।