भारत को वीर सपूतो का इतिहास
- भारत को वीर सपूतो की धरती माना जाता है। ये हमेशा से ही महान शाशकों का देश माना जाता है। अंग्रेजो से पहले अलग - अलग राज्यो में कई वीर योद्धाओ का शाशन रहा। और उन्होंने कई राज्यों से लड़ाई कर अपने राज्यों में मिलाने का काम किया। ऐसे ही कुछ 10 राजाओ के बारे में आपको बताते है -
(1) महान योद्धा पोरस - जिन्हे इतिहास में सबसे प्राचीन भारत के राजाओ में से सबसे शक्तिशाली राजाओ में से एक माना जाता है जिन्हे पुरु के नाम से भी जाना जाता था। पोरस और सिकंदर एक ही काल के राजा माने जाते थे। इतहासकारो की माने तो जब सिकंदर ने जब भारत पर हमला किया तो अन्य राजाओ की तरह अपनी गुलामी स्वीकार नहीं की। सिकंदर और पोरस के बीच युद्ध हुआ था सिकंदर की सेना 50 हजार से भी ज्यादा की थी वही पोरस की सेना की संख्या 20 हजार के आस पास थी
दोनों के बीच युद्ध हुआ लेकिन पोरस की चतुराई और बूढी के सामने सिकंदर की सेना टिक न सकी फिर सिकंदर ने पोरस के सामने संधि का प्रस्ताव भी रखा। जिसे पोरस ने मान लिया दोनों के बीच समझौता हुआ की पोरस सिकंदर को आगे जाने देगा और आगे सिकंदर की मदत भी करेगा। सिकंदर व्यास नदी तक जो भी जीतता हुआ जायेगा वो सब पोरस को देगा इससे सिद्ध होता है की पोरस बहादुर था योद्धा और वीर था और इसी वजह से भारत की वीर योद्धाओ में से उसे एक माना जाता था।उसका लोहा सिकंदर ने भी माना।
(2) टीपू सुलतान (मैसूर का शेर) - (जो की आक्रांत तो थे ही और उनकी सूझ - बुझ और उनक रणनीति उन्हें एक महान योद्धा बनाती है टीपू सुलतान की जो खूबी थी की व् टीपू अपने दुश्मनो को छुप कर मारते थे। अंग्रेजो से लड़ने के लिए मुग़ल और मराठो से भी टीपू ने हाथ मिला लिया था एक अकेला हिंदुस्तानी अंग्रजो पर भी भारी पड़ा था सिर्फ अंग्रजो को ख़त्म करने की रणनीति ही टीपू के दिमाग में घूमती थी इसके अलावा जो एक और उपलब्धि टीपू के नाम से जुडी थी वो थी की उन्हें दुनिया का पहला मिसाइल मैन माना जाता था लन्दन के साइंस म्यूजियम में अभी भी टीपू की मिसाइल राखी हुई है।
(3) महाराणा रणजीत सिंह - इनकी वीरता कुछ ऐसी थी की जब पूरा देश अंग्रेजो की बेड़ियों से जकड़ा हुआ था तो उस वक्त महाराणा रणजीत सिंह जी ने अपने शौर्य और प्रक्रम के चलते अंग्रेजो को अपने सम्राज्य में भटकने भी नहीं दिया था।रणजीत सिंह ने कई युद्ध लड़े और जीते भी। इनके खजाने का चारो तरफ बोल - बाला भी था। एक इतहास कर ने रणजीत के बारे में कहा भी था की यदि वो एक पीढ़ी पुराने होते तो वे पूरे भारत को जीत सकने का मनता रखते थे।रणजीत सिंह के नेतृत्व में पंजाब बहुत ताकतवर हो चला था।
उन्होंने ही हरविंदर साहब गुरूद्वारे में संगमरमर और सोना मढ़वाने का काम किया। तभी से गुरूद्वारे का नाम goldan tempal या स्वर्ण मंदिर पड़ गया। बेसकीमती हीरा कोहनूर भी राजा रणजीत सिंह के पास ही था। जैसे ही साल 1839 में रणजीत सिंह ने अपने प्राण त्यागे तो उनकी गद्दी मिली उनके बेटे दिलीप सिंह को। इसके बाद उनका अंग्रेजो के साथ एक समझौता हुआ जिसके तहत अंग्रेजो को कोहनूर हीरा दे दिया गया।
(4) बाजीराव पेशवा - जिन्हे पेशवा बाजीराव भल्लाल के नाम से भी जाना जाता था। तथा वे मराठा के ध्वज को दिल्ली तक लहराना चाहते थे क्योको उस समय मुगलो का शाशन था तो वो हिंदुत्व स्थापित करना चाहते थे एक अकेला ऐसा योद्धा था 41 जिसने लड़ाईया लड़ी और एक भी नहीं हारे। भारत में बाजीराव पेशवा के समय में सिर्फ उन्ही का सिक्का चलता था मुग़ल ताकत को दिल्ली से खदेड़ने को पेशवा ने पूरी ताकत झोंक दी थी। राजा छत्रशाल पेशवा की मदत से ही बुंदेलखंड को वापस पा पाए थे।
(5) महाराणा प्रताप - सुनहरे अक्षरों में अपना नाम लिखवाने वाले महाराणा प्रताप एक वीर योद्धा थे। मुगलो के सामने कभी न झुकने वाले महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी के युद्ध में बहलोलखान पर ऐसा हमला किया था की युद्ध में लड़ने वालो और घोड़ो के दो टुकड़े हो गए थे। महाराणा प्रताप का घोडा चेतक इतनी तेज दौड़ता था की जमीन पर पड़ते उसके पैर दिखाई नहीं देते थे साल तक कोशिश करने के बाद भी अकबर महाराणा प्रताप को बंदी नहीं बना सका था। अकबर ने महाराणा प्रताप के साथ एक डील की थी जिसमे कहा गया था की यदि महाराणा प्रताप अकबर के सामने झुकते तो आधा भारत महाराणा प्रताप को दे दिया जाता। लेकिन महाराणा प्रताप ने कह दिया था की मर जाऊंगा लेकिन मुगलो के आगे झुकूंगा नहीं।
(6) शिवाजी महाराज - ये जब की बात है जब हिंदुत्व खतरे में था और देश के अधिकतर राजाओ ने मुगलो के आगे हथियार डाल दिए थे। सन 1627 में एक वीर का जन्म हुआ था नाम था छत्रपति शिवाजी। फिर ये बने मराठा साम्राज्य के संस्थापक। लोग आज भी छत्रपति शिवाजी को देवताओ की तरह पूजते है। उनकी पहली गुरु थी उनकी माता जीजाबाई। इन्होने पश्चमी भारत में मराठा की नीव रख। अफजल खान शिवाजी को मार देना चाहता था। इसके लिए उसने एक राण निति बनाई। लेकिन शिवाजी को पहले ही इस बात का अंदेशा था और उन्होंने अपने पास के हथियार का ऐसा वार किया की अफजल खान का पेट ही चीर दिया।अफ्जल्खान की सेना को भी शिवाजी ने धो डाला। सेना का निर्माण भी पहली बार शिवाजी ने ही किया था 4 किले और 2 हजार सैनिको से शुरआत करने वाले शिवाजी की मोत तक ये किले 300 हो चुके थे और उनके पास एक लाख से भी अधिक सैनिक हो चुके थे।
(7) पृथ्वीराज चौहान - इन्होने बचपन में ही बिना किसी हथियार के ही एक शेर को मार गिराया था। बिना कुछ देखे ही अपने शिकार को करने में परिपक्व थे पृथ्वी राज चौहान। अपने प्रतिभा के बल पर ही उन्होंने 16 साल की उम्र में ही दिल्ली के राजा बन गए थे। मुहम्मद गोरी के 18 बार में से 17 बार पृथ्वीराज चौहान से मात कहानी पड़ी थी। जयचंद और मुहम्मद गोरी ने मिलकर पृथ्वीराज के छल किया और धोखे से उन्हें बंदी बना लिया था मुहम्मद गोरी ने जब पृथ्वी राज से नजरे झुकाने के लिए कहा तो उन्होंने इंकार कर दिया और कहा की सच्चे राजपूत की नजर सिर्फ मोत झुका सकती है। आखिर में मुहम्मद गोरी को पृथ्वी राज चौहान के हाथो ही मोत आयी।
(8)सम्राठ अशोक - सम्राठो के सम्राठ की उपलब्धि तो सिर्फ सम्राठ को ही मिल सकती है। मौर्य राज वंश के तीसरे सम्राठ अशोक महंत चंद्र गुप्त के पोते थे ये इतने वीर थे की इन्हे किसी के भी आगे मात नहीं खानी पड़ी।कलिंग युद्ध में तो सम्राठ अशोक ने ऐसा हमला किया था की इतिहास का तो पूरा काल खंड ही बदल गया था। कलिंग युद्ध में एक लाख से भी ज्यादा लोग मारे गए थे। हर तरफ खून की नदिया थी और लाशे ही लाशे बिछी थी। जिसे स्मृहत अशोक ने अपनी आँखों से देखा और कहा की ये मैंने क्या कर दिया ?इससे उनका मन बदल गया और उन्होंने कभी भी युद्ध न करने की प्रतिज्ञा कर ली और फिर भी बुद्धिस्म का प्रचार करने में जुट गए।
(9) सम्राठ मिहिर भोज - इनकी भारत के महँ सम्राठो में से ही की जाती है। करीब 50 साल तक विदेशियों से देशवासियो की रक्षा की।इनके ही शाशन काल से ही भारत को सोने की चिड़िया कहा जाने लगा था मिहिर भोज ने देश से स्लामिक आतंक को बाहर निकलने में बहुत ही अहम भूमिका निभाई थी करीब 6 बार अर्ब फौजो को उलटे पाव लोटा चुके थे दुसमन मिहिर भोज से खौफ खाने लगे थे।
(10) सम्राठ चन्द्रगुप्त - सम्राठ चंद्र गुप्त ने अखंड भारत का निर्माण किया। इन्होने करीब 24 साल तक मौर्य राजवंश के तौर पर राज्य किया। चाणक्य की तेज बुद्धि के साथ की वजह से मौर्य देश का सबसे बड़ा साम्राज्य साबित हुआ। चाणक्य और चन्द्रगुप्त ने मिलकर नन्द वंश का नाश किया था। इन्होने सम्राठ घनानंद से युद्ध किया था और उसे हरा दिया था। फिर द्वीप से आये लोगो को भी इन्होने मार भगाया था।
ये देश के ऐसे वीर सपूत थे। भले ही ये इतहास में कैद हो गए हो लेकिन इनके शौर्य और पराक्रम के चलते इन सभी योद्धाओं को देश हमेशा याद रखेगा।
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Article Posted By: Manju Kumari
Work Profile: Hindi Content Writer
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