सोमवती अमावस्या कथा || Somvati Amavasya Katha
सोमवती अमावस्या कथा || Somvati Amavasya Katha | सोमवती अमावस्या की कहानी - सोमवार को जब भी अमावस्या पड़ती है उसे ही सोमवती अमावस्य कहते है। सोमवार का दिन भगवान् शिव को समर्पित होता है तथा अमावस्या के दिन भी भगवान् शिव का पूजन किया जाता है इसलिए सोमवार और अमावश्या दोनों एक साथ आने से सोमवती अमावश्या का महत्व और भी अधिक हो जाता है। जो व्यक्ति सोमवती अमावश्या के दिन 108 वस्तुए की परिक्रमा करता है और शिव गोरी गणेश का पूजन करता है उसे अखंड सुख और सौभाग्य की प्रप्ति होती है।
सोमवती अमावस्या की व्रत कथा - एक बार की बात है एक गरीब ब्रह्मण परिवार था। उसी परिवार में बहुत ही सुन्दर और गुणवान और सुशील पुत्री थी परन्तु गरीब होने के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। जिसके कारण ब्राह्मण और उसकी पत्नी बहुत ही चिंतित थे। एक दिन उस ब्रह्मण के घर साधु महाराज पधारे। वे ब्राह्मण के सेवा भाव से काफी प्रसन्न हो गए। और कन्या को लम्बी आयु का आशीर्वाद देते हुए साधु ने कहा - की इस कन्या की हथेली में विवाह का योग नहीं है।
तब ब्रह्ममण दम्पति ने साधु से पूंछ की ये कन्या कोन सा ऐसा शुभ कर्म करे। जिससे इसके हाँथ में विवाह का योग प्रबल हो जाये। तब साधु ने कुछ देर विचार करके बताया की कुछ ही दूरी पर एक गांव में सोना नाम की धोबन रहती है। जो की बहुत ही संस्कारी और पति परायण है। यदि आपकी पुत्री उसकी सेवा करे और वह धोबिन इसकी मांग में अपना सिंदूर लगा दे तभी ही इस कन्या का विवाह हो जायेगा। साधु ने यह भी कहा की वह धोबिन कही आती जाती नहीं। वह हमेशा अपने घर पर ही रहती है।
साधु की बातो को सुनकर ब्राह्मण ने अपनी पुत्री से धोबिन की सेवा करने को कहा। अगले दिन ही प्रातः काल कन्या मुँह ढककर सोना धोबिन के घर जाती है और उसके घर साफ़ - सफाई और सभी कामो को कर के अपने घर वापस आ जाती है। यह सब कुछ दिन तक चलता रहा। एक दिन धोबिन अपनी बहु से पूंछती है तुमतो सवेरे ही उठकर घर के सरे काम को कर लेती हो। और मुझे पता भी नहीं चलता। बहु ने कहा की माँ जी - मैंने तो सोचा की आप ही सुबह में सरे काम को पुरे कर लेते हो।
मैं तो देर से उठती हु इस पर दोनों सास और बहु निगरानी करना लगे। ऐसा कौन है जो की सुबह ही घर के सरे काम को कर के चला जाता है। दोनों सास बहु ने देखा की एक कन्या अँधेरे में आती है और घर के सरे काम - काज करके वापस चली जाती है। अगले दिन जब ब्रह्मण की पुत्री धोबिन के घर आयी तो धोबिन उसके पैरो में गिर पड़ी। और उससे पूछने लगी की हे देवी !आप कौन हो ?जो की इस तरह मेरे घर का काम कर रही है। तब कन्या ने साधु द्वारा बताई गयी सारी बात बताई। लड़की की बातो को सुनकर सोना धोबीन सिंदूर देने को तैयार हो गयी।
सोना धोबी के पति थोड़े अस्वस्थ थे वे कही बाहर जा रहे थे। तब उन्होंने अपनी बहु से कहा की मेरे लौटने तक घर पर ही रहना। सोना धोबिन ने जैसे ही अपनी मांग का सिंदूर उस ब्रह्मण कन्या की मांग में लगाया और तभी उसका पति मर गया उसे इसबात का पता चल गया था की उसके पति अब जीवित नहीं है। इसलिए वह घर से निर्जल ही चल पड़ी। उसने सोचा की रास्ते में कही पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसकी परिक्रमा करके ही मैं जल ग्रहण करुँगी। उस दिन सोमवती अमावश्या थी।
ब्राह्मण के घर से मिले हुए पकवान की जगह उसने ईंट के टुकड़ो से एक सो आठ बार परिक्रमा की और उसके बाद जल ग्रहण किया। ऐसा करते ही उसके पति जीवित ही गए। इसलिए जो व्यक्ति सोमवती अमावश्या शुरू करके हर अमावश्या को भंवरी देता है और भोजन की सामग्री को दान करता है उसके यहाँ सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। पीपल के पेड़ में त्रिदेवो का वास होता है।जो व्यक्ति हर अमावश्या को न कर सके वो हर सोमवती अमावश्या को 108 वस्तुओं की परिक्रमा करके शिव गोरी गणेश का पूजन करता है उसे अखंड सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है
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Article Posted By: Manju Kumari
Work Profile: Hindi Content Writer
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