धैर्य रख , धैर्य रख | Be Patient
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धैर्य रख , धैर्य रख
इंसान में है
न जोड़ है न तोड़ है
सीमित विकल्प
आश्रित लाचार है
लड़ रहा अदृश्य से ,
न काया है न कल्प है
चंहु और हाहाकार
कैसा अंधकार है
मरघट सी शांति है
चेहरों में न कान्ति है
न धर्म है न जात है
मनुष्यता आघात है
बस यही आस है…
प्रार्थना शक्ति है
विशवास भक्ति है
धैर्य खोना नहीं
अधीर होना नहीं
समय अनिच्छित है
जीत तेरी निश्चित है
धैर्य रख ,धैर्य रख !
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Article Posted By: Manju Kumari
Work Profile: Hindi Content Writer
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