कुंवारी बेटी पिता के साथ बेठ कर भोजन करे तो पिता के काल को हरती हैं
कुंवारी बेटी पिता के साथ बेठ कर भोजन करे तो पिता के काल को हरती हैं - बेटी अपने पिता के लिए बहुत ही बड़ा सौभाग्य होती है। बेटी को घर की लक्ष्मी कहा जाता है। बेटी को तो पिता नसीब होता है पर हर पिता को बेटी नसीब नहीं होती। हर बेटी अपने पिता की परी और राजकुमारी होती है। हर बेटी अपने पापा के इतने करीब होती है या ये कहे की बेटी तो अपने पापा का कलेजा होती है जिसे वो बहुत ही प्यार से पालते है।
।। जिनको ये नसीब होता है वो निश्चित ही स्वर्ग में जाता है। बेटी में मां,दादी, बाप और पत्नी से
बढ़ाकर अलग ही रिश्ता वो जीवन भर निभाती है।बेटी तो पापा की जान होती है।।
बेटी जब तक कुंवारी है यदि वह अपने पिता के साथ बैठ कर भोजन करती है तो शाश्त्रो में कहा जाता है की वह अपने पिता के काल को भी नष्ट काट देती है। ऐसे पिता की कभी भी अकाल मृत्यु ही नहीं होती क्युकी वह काल को ही हर लेती है। एक बेटी अपने माता - पिता के साथ भले ही कुछ साल के लिए ही साथ रहे पर अपने माता -पिता के स्वभाव को ही बदल देती है। क्योकि बेटी का प्यार तो अपने पिता के लिए तो जीवन भर ही रहता है। एक बेटी ही अपने पुरे परिवार का माहौल ही बदल देती है वह अपने माता - पिता के लिए आन - बान और शान होती है।
बेटियाँ तो घर में संगीत की तरह है…
जब बोलती है बिना रुके तो सब कहते है की …
चुप भी हो जाओ …
जब खामोश रहती है तो माँ कहती है
तबियत ठीक है न…
पापा कहते घर में ख़ामोशी क्यों है …
भाई कहता है …नाराज हो क्या ……
जब शादी कर दी जाती तो सब कहते है..
घर की रौनक चली गयी….
सच में बेटियाँ न रुकने वाला संगीत है….।।
बेटी भार नही है आधार,
जीवन हैं उसका अधिकार,
शिक्षा हैं उसका हथियार
बढ़ाओ कदम, करो स्वीकार.
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सब ने पूछा बहु दहेज़ में क्या-क्या ले आई,
किसी ने ना पूछा बेटी क्या-क्या छोड़ आई.
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Article Posted By: Manju Kumari
Work Profile: Hindi Content Writer
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