गलतियों को सुधारना ही एक सीख है, जो कर गया सफलता की कहानी गढ़ गया

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गलतियों को सुधारना ही एक सीख है, जो कर गया सफलता की कहानी गढ़ गया - व्यक्ति दो प्रकार की गलती करता है।  (1) अनजाने में होने वाली गलती। या धोखे से होने वाली गलती। 

(2) वह गलती जो की व्यक्ति बार-बार जानबूझ कर की जाने वाली गलती ।

प्रथम प्रकार की गलती वह गलती होती है जो की अनजाने में हो जाती है। यह गलती अधिकतर सभी लोगो से होती है। अनजाने में की जाने वाली गलती से हानि तो कम होती है पर कुछ न कुछ सीख ही मिलती है। और जो अपनी गलती से कुछ सीखते है वह दोबारा न होने देने की भी कोशिश करते है ऐसे व्यक्ति हमेशा सफलता की और ही बढ़ते जाते है।और अपने जीवन में सम्मान के भी अधिकारी हो जाते है। जिन्हे समाज सभी इज्जत और सम्मान की दृष्टि से सभी देखते है।

 

दूसरी प्रकार की गलती वह गलती जिसका परिणाम जानते हुए भी जानबूझ कर की जाती है। और उसे बार - बार दोहराया जाता भी है ऐसी गलती को करने से व्यक्ति को गलती करने की आदत सी हो जाती है और वह क्योकि जानबूझ कर ही कर रहा है इसलिए सुधारने की कोशिश भी नहीं करते है और फिर क्यों करे जरुरत ही उसे महसूस नहीं होती। ऐसे लोगो की समाज में कभी वैल्यू भी नहीं होती और न ही जरुरत होती है ।ऐसे इन्सान तो बे - फालतू ही जीते जाते है क्योकि कोई जीने और सफल होने का न तो जज्बा होता है न ही जरुरत।

 

* छोटी सोच के लोग दूसरों में गलतियां और कमियां ढूढ़तें है और बड़ी सोच बाले लोग स्वयं की गलतियां और कमियां ढूढ़तें हैं।

 

* बड़ा लक्ष्य प्राप्त करने में गलती भी बड़ी होती है और इन गलतीयो से सीख भी बड़ी मिलती है।

 

* जो बुद्धिमान होता है वह दुसरो की गलतियों से सीख लेता है और जो सामान्य होता है वह अपनी गलतियों से सीख लेता है लेकिन जो मुर्ख होता है वह न तो अपनी गलतियों से सीखता है न दुसरो की गलतियों से।

* जब कोई कार्य करना शुरू करते है तो गलती की सम्भावना बढ़ जाती है लेकिन जब लगातार या बार - बार करते है तो आसान लगने लगता है और गलती की संभावना भी गाठ जाती है यह अधिकतर सभी के साथ होता है।

 

* गलती करने का डर व्यक्ति को किसी कार्य को करने और सीखने से रोकता है।

 

* गलत लोगो का साथ रहना ,दुःख को न्योता देने के बराबर होता है।

 

* गलतिया कायर व्यक्ति को डराती और वीर को प्रेरणा देती है।

 

* कोई गलती हो जाने पर उतनी हानि नहीं होती हैं जितनी गलती के बारे में चिंता करके होती हैं।

 

* गलती करना स्वाभाविक है पर गलत होना व्यक्ति के बुरे साथ और बुरे सोच का परिणाम है।

 

* बचपन में ही गलतियाँ माफ की जाती हैं। जवानी में की गयी गलतियाँ सजा बन जाती हैं।

 

* वह व्यक्ति पूरी तरह से गलत होता है जिसके कार्य से किसी गरीब को दुख मिलें। 

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Article Posted By: Manju Kumari

Work Profile: Hindi Content Writer

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