भगवान कृष्ण ने एकलव्य का वध क्यों किया था ?
भगवान कृष्ण ने एकलव्य का वध क्यों किया था ? - एकलव्य का असली नाम अभय था। उनके पिता एक निषाद राजा थे,जिनका नाम हिरण्यधनु था। और उनकी माता का नाम सुलेखा था। एकलव्य को बचपन से ही धनुर र्विद्या को सीखने की लग्न थी। जिसके कारण उनके गुरु ने उनका नाम एकलव्य रखा था। इसके बाद एकलव्य की शादी उनके पिता के मित्र की पुत्री के साथ किया गया। जिसका नाम सुनीता था।लेकिन शास्त्र में माहिर अभय (एकलव्य) को धनुर विद्या में आगे बढ़ने की चाह थी।
जिसके कारण वह द्रोणचार्य के पास जाता है ,और उनका शिष्य बनने की इच्छा बताता है। किन्तु द्रोणचार्य सिर्फ ब्रह्मण और क्षत्रिय जाती के लोगो को ही शिक्षा देते है। इसीकारण द्रोणाचार्य ने एकलव्य को धनुर्विद्या सिखाने को मना कर दिया। लेकिन एकलव्य को तो धनुर्विद्या सीखनी ही थी। उन्होंने पास के जंगल में गुरु द्रोणाचार्य की एक मूर्ति बनाई। उनको ही अपना गुरु मानकर धनुर्विद्या सीखने लगे। कुछ समय के बाद एकलव्य धनुर विद्या में माहिर हो गए।एक बार की बात है जब एकलव्य जब धनुर्विद्या का अभ्यास कर रहे थे तभी एक कुत्ता उनको देखकर भोंकने लगा।
जिसके कारण एकलव्य को अभ्यास करने में बाधा आने लगी। लेकिन उनका ज्ञान इतना हो चूका था,की बिना कुत्ते को चोट पहुचाये , ऐसे तीर चलाये की ,जिससे की कुत्ते का मुँह बंद कर दिया।और वह वहां से भाग गया। लेकिन वह कुत्ता गुरु द्रोणाचार्य का पालतू था। उन्होंने देखा कुत्ते के मुँह में ,ऐसे तीर चलाने वाला कोई अच्छा धनुर्धारी ही होगा। फिर उसकी खोज करते हुए , एकलव्य के पास पहुंच गए। और एकलव्य से पूंछा की यह धनुष विद्या तुमको किसने सीखायी है ?
तब एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य जी को उनकी ही मूर्ति ही दिखते हुए कहा की मेरे गुरु तो आप ही है। और आप ही से मैंने धनुर्विद्या सीखी है।अब मुझे आपको गुरु दक्षिणा देनी होगी।तब ही गुरु द्रोणाचार्य जी ने एकलव्य का अंगूठा मांग लिया। अब एकलव्य ने गुरु दक्षिणा में अंगूठा तो दे दिया परन्तु अब भी तीर चलाने में अर्जुन की तरह ही माहिर था। और वह से चला गया। एक बार जब वह जरासंघ की सेना की और से जब मथुरा पर आक्रमण करता है ,तब एकलव्य के हांथो कई यादव सैनिक मारे जाते है।तब यह देखकर श्री कृष्ण भगवान् ने छल से एकलव्य का वध कर दिया।
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Article Posted By: Manju Kumari
Work Profile: Hindi Content Writer
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