दुखों से मुक्ति कैसे पाएं ? | Freedom From Sorrow | A Motivational Story
दुखों से मुक्ति कैसे पाएं ? | Freedom From Sorrow | A Motivational Story - एक बार एक गांव में भगवान् बुद्ध, एक गांव में उपदेश दे रहे थे। उस गांव का एक धनि व्यक्ति भगवान बुद्ध के उपदेश सुनने आया हुआ था। उपदेश सुनकर उसके मन में एक प्रश्न पूछने की जिज्ञाषा हुई। उन सबके बीच में प्रश्न पूछने में संकोच हुआ क्योकि उस गांव में बहुत प्रतिष्ठा थी। और प्रश्न ऐसा था की उसकी प्रतिष्ठा दाव पर लग जाती।इसलिए वह सबके जाने का इंतजार करे लगा। जब सब लोग चले गए ,वह उठ कर भगवान् बुद्ध के पास आया।
और अपने दोनों हांथ जोड़कर बुद्ध से कहने लगा हुजूर मेरे पास सब कुछ है। धन - दौलत , मान - प्रतिष्ठा ,किसी चीज की कोई कमी नहीं है लेकिन कोई कमी नहीं है। लेकिन मैं खुश नहीं हूँ। हमेशा खुश रहने का राज क्या है ? मैं जानना चाहता हूँ की हम हमेशा प्र्शन्न कैसे रहे ? भगवान् बुद्ध कुछ देर तक चुप रहे और बोले -"तुम मेरे साथ जंगल में चलो ,तो मैं तुन्हे खुश रहने का राज बताता हूँ। " ऐसा कहकर बुद्ध उसे साथ लेकर जंगल की और चल पड़े।
रास्ते में भगवान् बुद्ध ने एक बड़ा सा पत्थर उठाया और उस व्यक्ति को देते हुए कहा -" इसे पकड़ो और चलते रहो।"वह व्यक्ति पत्थर उठा कर चलने लगा। कुछ समय बाद उस व्यक्ति के हाथ में दर्द होने लगा, लेकिन वह चुप रहा और चलता रहा। लेकिन जब चलते हुए काफी समय बीत गया फिर उस व्यक्ति से दर्द सहा नहीं गया फिर उसने बुद्ध को अपनी परेशानी बताई। बुद्ध ने उससे कहा -"पत्थर नीचे रख दो ,और पत्थर को नीचे रखते ही उस व्यक्ति को बड़ी रहत मिली।
तभी बुद्ध ने समझाया -"यही खुश रहने का राज है। " उस व्यक्ति ने कहा - मैं कुछ समझा नहीं। " बुद्ध बोले की " - जिस तरह तुमने इस पत्थर को कुछ पल तक हाथ में रखने पर थोड़ा सा दर्द और एक घंटे तक पकड़ने पर अधिक दर्द और काफी समय तक उठाये रखने पर उससे भी तेज दर्द होता है। उसी तरह दुखो के बोझ को जितने ज्यादा समय तक उठाये रखेंगे उतना ही अधिक दर्द होगा। यह हम पर निर्भर करता है की हम दुखो के बोझ को कुछ पल तक हटाए रखना चाहता है या जिंदगी भर।
यदि खुश रहने की इच्छा है तो बोझ के पत्थर को जल्दी से जल्दी नीचे रखना सीखना होगा। संभव हो तो उसे उठाने से ही बचना होगा। दोस्तों हम सब यही करते है की हम सब दुखो के बोझ को ढोते ही रहते है।मैंने अपने जीवन में कई लोगो को कहते सुना है की उसने मेरे इतना काम किया की मैं जिंदगी भर नई ढूंढ सकता। वास्तव में अगर आप उसे नहीं ढूंढ़ते है। तो आप अपने आप को ही कष्ट दे रहे है। देखो से मुक्ति तभी संभव है जब हम दुखो के बजह को जल्दी से जल्दी निकाल दे।
अपनी इच्छाओ से मुक्त होकर या जो हमारे पास है उसी में संतोष कर प्रसन्न रहे। याद रखिये की प्रत्येक छान अपने आप में नया है और जो क्षण बीत चुका है उसकी कड़वी यादो को मन में संजो कर रखने से बेहतर है की हम अपने वर्तमान क्षण का पूर्ण आनंद उठाये।
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Article Posted By: Manju Kumari
Work Profile: Hindi Content Writer
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