करवा चौथ व्रत का नियम और जानें महत्व और करवा चौथ व्रत की कथा
करवा चौथ व्रत का नियम और जानें महत्व और करवा चौथ व्रत की कथा - पूरे देश में महिलाएं करवा चौथ का व्रत रख अपने पति के लंबे उम्र की कामना करती है। यह व्रत प्रत्येक भारत में बड़ी ही धूम - धाम से मनाया जाता है। प्रत्येक स्त्री व्रत करती है और इस त्यौहार के समय बाजारों में भी बहुत ही धूम - धाम रहती है।
करवा चौथ व्रत पूजा की थाली में रखें ये सामग्री - करवा चौथ व्रत पूजा में करवा और उसका ढक्कन, गंगाजल, पानी के लिए एक लोटा, रूई, अगरबत्ती, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, दीपक, रोली, अक्षत, फूल, चंदन, कुमकुम, गाय का कच्चा दूध, दही, देसी घी, चावल, मिठाई, शहद, चीनी, हल्दी, चीनी का बूरा, सिंदूर, चूड़ी, बिछुआ, चुनरी माता गौरी को बनाने के लिए पीली मिट्टी, चंद्रमा को जल अर्पित करने के लिए छलनी, लकड़ी के आसन आदि की जरूरत होती है. इस लिए पूजा की थाली में इसे जरूर रख लें. इसमें दक्षिणा के लिए कुछ पैसे भी रखें.
नियम - 1. चंद्रोदय तक रखें व्रत 2. शिव परिवार की पूजा 3. पूर्व मुखी होकर करें पूजन 4.कथा सुनना जरूरी 5. छलनी में देखें चांद को
1. चंद्रोदय तक रखें व्रत - यह व्रत सूर्योदय से पहले से प्रारंभ हो जाता है। उसके पूर्व कुछ भी खा-पी सकते हैं। उसके बाद जब तक रात्रि में चंद्रोदय नहीं हो जाता तब तक जल भी ग्रहण नहीं करते हैं। यदि कोई स्वास्थय समस्या है तो जल पी सकते हैं। चन्द्र दर्शन के पश्चात ही इस व्रत का विधि विधान से पारण करना चाहिए। शास्त्र अनुसार केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया हो वही स्त्रियां ये व्रत रख सकती हैं। पत्नी के अस्वस्थ होने की स्थिति में पति ये व्रत रख सकते हैं।
2. शिव परिवार की पूजा - संध्या से एक घंटे पूर्व शिव परिवार (शिव ,पारवती ,गणेश और कार्तिकेय सहित नंदी जी)की पूजा की जाती है। इसके बाद रात्रि में चंद्रोदय के बाद चाँद की भी पूजा करना भी आवश्यक है
3. पूर्व मुखी होकर करें पूजन - पूजन के समय देव प्रतिमा का मुख पश्चिम की और होना चाहिए , तथा महिला का मुख पूर्व दिशा की और मुख करके बैठना चाहिए। इस व्रत के दौरान महिलाओ को लाल या पीले वस्त्र ही पहनने चाहिए। इस दिन पूर्ण शृंगार और अच्छा भोजन करना चाहिए।
4.कथा सुनना जरूरी - व्रत वाले दिन कहा सुनना बेहद जरुरी मना गया है। ऐसी मान्यता है कि करवाचौथ की कथा सुनने से विवाहित महिलाओं का सुहाग बना रहता है, उनके घर में सुख, शान्ति,समृद्धि आती है और सन्तान सुख मिलता है। करवा चौथ व्रत की कथा सुनते समय साबूत अनाज और मीठा साथ में अवश्य रखें। इस दिन कहानी सुनने के बाद बहुओं को अपनी सास को बायना देना चाहिये।
5. छलनी में देखें चांद को - चंद्रोदय के बाद सबसे पहले स्त्रियाँ चलनी में से चाँद को देखती है फिर अपने पति को। फिर इसके बाद पति अपनी पत्नी को लोटे से जल पीला कर व्रत को पूरा करते है। क्वारी महिलाये चंद्र की जगह तारो को देखती है। जब चंद्रदेव निकल आएं तो उन्हें देखने के बाद अर्घ्य दें।
एक पत्नी का अपने पति के प्रति प्यार की निशानी है। यह त्यौहार भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है। हिन्दू धर्म में पत्नी अपने पति के लिए कई व्रत रखती है ,लेकिन करवाचौथ का महत्व सबसे खास है। अपने हाँथो में महंदी सजाये ,माथे पे सिंदूर लगाए चाँद के दीदार में पलके बिछाए ,हर सुहागिन इंतजार करती है और अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करती है। जैसे ही चाँद का दीदार होता है सुहागिने अपने पति का चाहा देखकर व्रत को पूरा करती है।
व्रत में माता पारवती शिव ,गणेश और कार्तिके का पूजन किया जाता है करवा चौथ से जुडी ऐसी कई कहानिया है। लेकिन जिसकी मान्यता सबसे ज्यादा है वो इस प्रकार से है -
करवाचौथ व्रत की कथा - एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहां तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी।
शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्य देकर ही खा सकती है। चूंकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है।
सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चतुर्थी का चांद उदित हो रहा हो।इसके बाद भाई अपनी बहन को बताता है की चाँद निकल आया है ,तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन ख़ुशी के मरे सीढ़ियों पर चढ़ती है और चाँद को अर्घ्य देकर भोजन करने बैठती है।
वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बौखला जाती है।उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ऐसा किया है।
सच्चाई जानने के बाद वह करवा निश्चय करती है और वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देती है। वह अपने सतीत्व से अपने पति की जीवित करने का निश्चय करती है। वह अपने पति के पास पुरे एक साल तक बैठी रहती है और उसकी देखभाल करती है उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है।
एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियां करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियां उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह चली जाती है।
इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उसे भी यही बात दोहराती है यह भाभी उसे बताती है चुकी सबसे छोटे भाई की वजह से ही उसका व्रत टूटा था। अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है वह तुम्हारे पति को दुबारा जीवित कर सकती है ,इसलिए जब वह आये तो तुम उसे पकड़ लेना। वह जब तक तुम्हारे पति को जीवित न करे तुम उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कहकर वह चली जाती है।
सबसे अंत में सबसे छोटी भाभी आती है करवा उससे भी वही आग्रह करती है ,लेकिन वह टालमटोली करने लगती है ऐसे देख करवा उसे जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिन्दा करने को कहती है ,भाभी उससे छुड़ाने के लिए नोचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है।
अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अंगुली को चीर कर उसमे से अमृत उसके पति के मुँह में दाल देती है। करवा का पति श्री गणेश - श्री गणेश कहकर उठकर बैठ जाता है। इस प्रकार उसकी सबसे छोटी भाभी के माध्यम से करवा का पति ठीक हो जाता है और करवा सुहागिन बन जाती है।
हे ! श्री गणेश जिस प्रकार आपने करवा को चिर सुहागिन का वरदान आपसे मिला है वैसा ही वरदान सब सुहागिनों को मिले।
करवा मैया की आरती -
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा ,पर करो... मैया ओम जय करवा मैय।।
सब जग की माता , तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत जग के सब प्राणी... ओम जय करवा मैय।।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी ,जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होव , दुःख सरे हरती... ओम जय करवा मैया
होये सुहागिन नारी , सुख सम्पति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु विघ्न सभी नशे... ओम जय करवा मैया।
करवा मैया की आरती।, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पुराण सब विधि सुख पावे... ओम जय करवा मैया
बोलो करवा चौथ माता की सदा जय हो।
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Article Posted By: Manju Kumari
Work Profile: Hindi Content Writer
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