महा शिवरात्रि हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जो महादेव शिव की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल फाल्गुण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है, जो शिव जी की विवाह की तिथि मानी जाती है। यह पर्व शिव भक्तों द्वारा भगवान शिव की पूजा, व्रत, और भजन-कीर्तन के साथ मनाया जाता है।
क्यों मनाई जाती है:
शिव-पार्वती का विवाह: महा शिवरात्रि को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के रूप में मनाया जाता है, जो हिन्दू पौराणिक कथाओं में विवरणित है।
भगवान शिव की पूजा: यह दिन भगवान शिव को समर्पित है, और भक्तगण उनकी पूजा और आराधना करते हैं।
ब्रह्मा-विष्णु की कथा: महा शिवरात्रि के दिन की रात में, शिव-पुराण के अनुसार, ब्रह्मा, विष्णु, और महेश नामक तीनों देवताओं में से एक को भी नींद नहीं आती है, और वे सतत पूजा-अराधना करते हैं। इसलिए इसे महा शिवरात्रि कहा जाता है।
व्रत कैसे रखा जाता है:
जागरण और भजन-कीर्तन: भक्तगण रात्रि के समय महेश की पूजा करते हैं, जागरण करते हैं और भजन-कीर्तन में भाग लेते हैं।
व्रत और उपवास: व्रती भक्तगण महा शिवरात्रि के दिन उपवास करते हैं और शिवजी की पूजा करते हैं। उपवास में तामसिक आहार और तंतु मिलने वाले खाद्य पदार्थों का त्याग किया जाता है।
शिवलिंग पर जल अभिषेक: भक्तगण महेश की मूर्ति या शिवलिंग पर गंगाजल और दूध के अभिषेक करते हैं।
चंदन और भस्म लगाना: भक्त शिवजी की मूर्ति या शिवलिंग पर चंदन और भस्म लगाते हैं।
महाकाल ज्योतिर्लिंग का दर्शन: कुछ भक्तगण इस दिन को महत्वपूर्ण बनाने के लिए महाकाल ज्योतिर्लिंग, उज्जैन, मध्यप्रदेश में जाकर शिवजी के दर्शन करते हैं।
यह व्रत भक्तों को मानवता, शांति, और आत्मज्ञान की प्राप्ति की प्रेरणा प्रदान करता है और उन्हें महादेव शिव के प्रति भक्ति और