पढ़े लिखें परिंदे कैद हैं, माचिस से मकान में। 9 से 6 की ड्यूटी, और मानसिक थकान में।।

114
Views

पढ़े लिखें परिंदे कैद हैं, माचिस से मकान में।
9 से 6 की ड्यूटी, और मानसिक थकान में।।
 
**????️२**
मन गांव में ही रह गया, शरीर शहर का वासी है।
ताज़ा बस, ख़बर यहाँ, तासीर बासी_बासी है।।
**????️३**
दो जन दोनों कमाने वाले, बच्चों को कौन संभाले।
टारगेट के पीछे भाग रहे हैं, तन को कर, बीमा के हवाले।।
**????️४**
यारों का न संग रहा, न न्योता न व्यवहार।
खुद के घर जाते हैं बन, जैसे रिश्तेदार।।
**????️५**
कर बंटवारा एकड़ बेचा, वर्ग फीट के दरकार में।
बिछड़े, पिछड़ा कह के, खो गए अगड़ों के कतार में।।
**????️६**
शुरुवाती; मज़ा बहुत है, एकाकी; स्वप्न; संसार में।
मुसीबत हमेशा हारा है, संगठिक संयुक्त परिवार में।।
**????️७**
मात, पिता न आने को राजी, गांव में नौकरी है कहां जी।
जिनके पास दोनों है बंधुओं, उनका जीवन है शान में
पढ़े लिखें परिंदे कैद हैं, माचिस से मकान में।
9 से 6 की ड्यूटी, और मानसिक थकान में।।
~विपिन शर्मा ????️????️

0 Answer

Your Answer



I agree to terms and conditions, privacy policy and cookies policy of site.

Post Ads Here


Featured User
Apurba Singh

Apurba Singh

Member Since August 2021
Nidhi Gosain

Nidhi Gosain

Member Since November 2019
Scarlet Johansson

Scarlet Johansson

Member Since September 2021
Mustafa

Mustafa

Member Since September 2021
Atish Garg

Atish Garg

Member Since August 2020

Hot Questions


Om Paithani And Silk Saree



Quality Zone Infotech



Sai Nath University


Rampal Cycle Store



Om Paithani And Silk Saree



Quality Zone Infotech



Kuku Talks



Website Development Packages