गणेश जी को तुलसी क्यों पसंद नहीं है ?और श्री गणेश जी की पूजा में तुलसी जी को नहीं चढ़ाया जाता है?
गणेश जी को तुलसी क्यों पसंद नहीं है ?और श्री गणेश जी की पूजा में तुलसी जी को नहीं चढ़ाया जाता है? तुलसी भगवान् विष्णु जी को अति प्रिय है। विष्णु जी के दूसरे रूप शालिग्राम जी का विवाह तुलसी जी से ही हुआ है। दूसरी ओर भगवान् गणेश जी को इतनी अप्रिय है किइनकी पूजा में भी नहीं चढ़ाई जाती। ऐसा क्यों है इसके बारे में एक पोराणिक कथा है। वह कथा इस प्रकार से है -
एक बार की बात है कि श्री गणेश जी गंगा नदी के किनारे तप कर रहे थे। उसी समय काल में तुलसी जी मानव रूप में विवाह की इक्षा से तीर्थ यात्रा के लिए प्रस्थान किया। देवी तुलसी प्रत्येक तीर्थ स्थलों का भृमण करते हुए गंगा के तट पर पहुंची। तट पर देवी तुलसी ने भगवान् श्री गणेश जी को देखा। उस समय भगवान् गणेश जी तपस्या में लीन थे। उस समय गणेश जी रत्न जड़े सिंहासन पर विराजमान थे उनके प्रत्येक अंगो पर चन्दन का लेप लगा हुआ था।
गणेश जी के गले में पष्पो की माला व् स्वर्ण मणि रत्नो के कई आभूषण थे गणेश जी के कमर पर रेशम का पितंबर लिप्त हुआ था। गणेश का मनमोहक रूप को देख कर तुलसी जी मोहित हो गयी। तत्पश्चात तुलसी जी के मन में गणेश जी से विवाहकरने की इक्षा उत्पन्न हुई। विवाह करने की इक्षा से गणेश जी का ध्यान भंग किया।तब गणेश जी ने तुलसी द्वारा तपस्या भंग करने को अशुभ बताया।
तुलसी की विवाह की इक्षा जानकर स्वंम को ब्रह्मचारी बता कर इंकार कर दिया।गणेश जी का विवाह के प्रस्ताव को मना करने पर तुलसी जी भट दुखी हुयी और क्रोध में आकर दो विवाह होने का श्राप दे दिया फिर श्री गणेश जी ने भी तुलसी जी को श्राप दिए की तुम्हारा विवाह एक असुर से होगा। असुर से विवाह की सुनकर तुलसी जी ने गणेश जी से क्षमा मांगी। तब श्री गणेश जी ने तुलसी जी से खा की तुम्हारा विवाह एक शंखचूर्ण नमक असुर से होगा।
लेकिन बाद में तुम एक पौधे का रूप धारण करोगी श्री विष्णु और श्री कृष्ण जी को अति प्रिय होने के कारण तुम कलयुग में जगत में कल्याण करने वाली और मोक्ष प्रदान करने वाली होगी। लेकिन मेरी पूजा में तुम्हारा प्रयोग नहीं होगा। मेरी पूजा में तुलसी चढ़ाना शुभ नहीं माना जायेगा तभी से तथा इसी कारण श्री गणेश जी की पूजा में तुलसी जी को नहीं चढ़ाया जाता है।