परिवार में कलह क्यों होता है?पारिवारिक कलह को होने से रोकने के उपाए !
परिवार में कलह क्यों होता है । पारिवारिक कलह को होने से रोकने के उपाए !
पारिवार -आज के समय में किसी भी परिवार को देखो अधिकतर क्लेश एक आमबात हो गयी है आज के समय में अधिकतर परिवारो में भागम-भाग जीवन हो गया है।परिवार में किसी भी सदस्य को एक दूसरे के लिए समय का बहुत बड़ा आभाव है। सबसे बड़ी बात होती है अपनी ही चलाना,अपनी ही बात को ऊँची रखा,अपनी ही बात को न समझना और मनवाने की जिद सवार होना आदि। पारिवारिक कलह
के मुख्या कारण इस प्रकार है-
1.आपस में प्रेम नहीं होना,
2.वैचारिक मतभेद होना,
3.घर की महिलाओं का अनादर करना,
4, घर की मुखिया माँ का निरादर तथा मान-सम्मान न करना,
5.संस्कारों का अभाव,
6. खुद को घर का मुखिया समझकर अन्य सदस्यों पर हुकूम चलाना
7.धन का आभाव होना,
8. आमदनी से अधिक धन खर्च करना,
9.शराब, सिगरेट आदि व्यसनों का सेवन करना
1.आपस में प्रेम नहीं होना- जिन परिवार में प्रेम का आभाव होता है वहां परिवार के सदस्यों में दूरिया पायी जाती है जैसे की माँ-बेटी के बीच कड़वाहट ,माँ,बेटे और पिता में अनबन,सास -बहू में टकराव,पति -पत्नी में लड़ाई ,भाई-भाई केबीच में हमेशा लड़ाई होना इस प्रकार से कलह की जड़ होती है।एक दूसरे को समझने की अधिक आवश्यक होता है।इन सदस्यों में ऐसा होता है की कोईभी आपस में दूसरे से चिल्लाकर बिना सोचे -समझे ऐसी बात बोलता है की जिससे सामने वाला दूसरा व्यक्ति चिढ़ जाता है। देखते-ही-देखते वे एक-दूसरे पर चिल्लाने लगते हैं, गुस्से की आग भड़क उठती है, और इससे एक ज़बरदस्त झगड़ा छिड़ जाता है। दोनों काबू से बाहर होकर एक-दूसरे पर अँगारे उगलने लगते हैं। और फिर अचानक, एक खामोशी-सी छा जाती है! दोनों आपस में बात न करने की अपनी ज़िद पर अड़ जाते हैं
2.वैचारिक मतभेद होना-सबके विचार एक दूसरे से लगभग नहीं मिलते है सो हो जाता है वैचारिक मतभेद। जैसे की आपने घर में अपने बड़ो के द्वारा बताये गए तरीके से कोई काम नहीं करना चाहते है या न किये है तो नाराज हो जायेंग। आप किसी भी चीज को पसंद नहीं करते या जिस चीज को सामने वाला पसंद करता है इस प्रकार। अलग-अलग विचारधारा के कारण भी तथा सोच-विचार या सोचने -समझने में अंतर आदि इस प्रकार के मतभेद भी कलह का कारन बन ही जाते है।
3.घर की महिलाओं का अनादर करना-घर की महिलाओं का जिन परिवारो में आदर तथा मान-सम्मान नहीं होता वहां भी कलह की ही उत्पत्ति होती है। जिस भी घर में महिला का अनादर या सम्मान नहीं होता, वहां कभी भी सफलता नहीं आ सकती है।ऐसे परिवारों में महिला के रूप में माँ जो की घर प्रत्येक सदस्यों के सदस्यों का ध्यान रखती है और सभी के काम को पूरा करने की कोशिश भी करती है पर आज के युवा समाज के व्यक्ति में और माँ के समय में एक पीढ़ी के अंतर् तो होता ही है जो की सोच - विचार में भी अंतर् होने कारण भी ऐसा होता है।
4, घर की मुखिया माँ का निरादर तथा मान-सम्मान न करना- घर की मुखिया माँ का निरादर तथा मान-सम्मान न करनातो उस माँ के दिल को तो बहुत कष्ट पहुँचता है। जैसा की आपने देखा तो होगा ही उनका रहन-सहन और आज के युवा पीढ़ी के रहन-सहन में भी जमीन-आसमान का अंतर् होता है। अधिकतर उन्हें पसंद नहीं आता है और रोकने-टोकने को लेकर भी घर में अशांति हो ही जाती है।घर के जो बूढ़े -पुराने सदस्य है उन्हें तो ऐसा देखकर गुससा भी आता है। उनकी बातो के मान न रखने पर भी उन्हें बहुत ही बुरा लगता है।
5.संस्कारों का अभाव-कभी कभी प्रारंभ से संस्कारी व्यक्ति भी कुसंस्कारों के दलदल में फंस जाते हैं।वर्तमान में हम हमारे संस्कारों से, संस्कृति से विमुख बनते जा रहे हैंआज की नई पीढ़ी आपने ही परिवार से कहती कुछ है करती कुछ है बाद में पता चलने पर माता-पिता को कष्ट होता है। अधिकतर देखा गया है,कहते है कॉलेज जाते है घूमने परिवार के सदस्य समझते है हमारे बच्चे पढ़ने गए है पर कुछ और ही। मानते है सभी नहीं पर अधिकतर । संस्कारों के आभाव होना ही पाया जाता है ।
6. खुद को घर का मुखिया समझकर अन्य सदस्यों पर हुकूम चलाना-कई घरो में ऐसा होता है की अपनी ही बात को रखी जाती है जिसमे और किसी की बात के कोई मायने ही नहीं होतो है अपना ही हुकुम चलाया जाता है जो की परिवार के दूसरा सदस्य को दुख पहुँचता है परिवार के मुखिया अपनी ही हुकूमत चाहता है यह भी नहीं सोचना चाहता है की गलत है या सही बीएस कह दिया और मैंने को मजबूर किया इससे भी भावनाओ को कष्ट पहुँचता है जो की कलह की जड़ बनने लगती है
7.धन का आभाव होना-धन तो ऐसीचीज है आज के समय में जो की बहुत आवशयक है लेकिन खर्च भी और आमदनी भी कई परिवार तो ऐसी है जहां आमदनी से खर्च अधिक है आमदनी उतनी नहीं हो पति जितना की खर्च। हर जगह bas महंगाई ही महगाई है क्या करे न चाहते हुई भी खर्च अधिक हो ही जाता है और धन की कमी के कारण भी परेशानिया आती है सभ एक बराबर नहीं होते अपनी-अपनी सोच है पर धन के आभाव में भी क्लेश अधिक होता ह।
8. आमदनी से अधिक धन खर्च करना- कई परिवारों में तो देखा जाता है कि शौकीन कुछ अधिक ही होते है जो की परेशानिया बढ़ा देती है।खाने-पीने से लेकर कई कामो में बिना सोचे समझे खर्च करने पर भी बड़ी मुसीबतो का सामना करना पड़ता है। जितने सामन की वस्तु की आवस्य्क्ता हो उतना ही खरीदना चाहिए फालतू के खर्च करने पर भी पारिवारिक परिस्तिथि पर असर आ ही जाता है जो की कलह की जड़ भी बन सकता है।
9.शराब, सिगरेट आदि व्यसनों का सेवन करना -बहुत से ऐसे भी व्यक्ति है जो की अपने परिवार को नहीं देखते सारा पैसा शराब आदि में खर्च क्र देते है तथा घर जाकर पत्नी व् बच्चो के साथ दूरव्यवहार करते है मरते है पीटते है और गली-गलोच भी करते है उनका मान-अपमान भी करते है जो की कानूनन अपराध भी मन जाता है लेकिन आज भी ऎसी भी महिलाये है जो की अत्याचार चुप-चाप सहती और रोतीं है पर प्रेसन होते हुए भी किसी से कुछ नहीं कहती है।
पारिवारिक कलह को होने से रोकने के उपाए -
(1) प्रेम (प्यार)जीवन की बहुत बड़ी पूंजी होती है। यह प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में होना उतना ही आवश्यक होता है जितना की जीवत रहने के लिए भोजन और पानी। जिस परिवार में प्रेम होता है वहां सुख-शांति जरूर मिलेगी है। जहां पर प्यार होता है जिंदगी को भी जीने में मजा आता है।
(2) जिस परिवार में महिला को मान-सम्मान मिलता है वहां सुख-सम्पत्ति का वास होता है व् लक्ष्मी का वास होता है
(3)आमदनी के अनुसार ही खर्च करना व् जरूरतों को पूरा करना चाहिए।
(4)परिवारमे रहने वालो को एक दूसरे की बातो को समझना चाहिए व् वगळत सही का फैसला सोच-समझ क्र करना चाहिए।
(5)परिवार में कलह हो तो परिवार का मुखिया रात्रि को अपने पलंग के नीचे एक लोटा जल रख दे और रविवार को छोड़कर सुबह स्नान, घर की पूजा के बाद "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:" मन्त्र का जाप करते हुए वह जल पीपल को चढ़ायें। इससे परिवार में कलह दूर होती है, घर में प्रेम और शान्ति का वातावरण बनता है।
(6)जिस घर के सदस्यों के मध्य प्रेम रहता है वह घर स्वर्ग के समान होता है उस घर पर देवताओं की कृपा र है, शुभ कार्य संपन्न होते रहते है ।
(7)दुनिया में परिवार से बढ़कर कोई सुख नहीं है। माता-पिता, भाई-बहन आदि रिश्तों से सजा परिवार एक गुलदस्ते की तरह होता है।जिस घर के परिवार में एक दूसरे का साथ,मान -सम्मान औरसदस्यों को महत्व दिया जाता है वहां सुख सन्ति का निवास हो जाता है
(8)सबसे जरूरी और खास बात सच तो सच ही होता है एक के बीच में को या भरे समाज में। सचाई और ईमानदारी होना बहुत आवश्य्क होती है वही जीवन में हर पल साथ रहता है आगे भी और बाद में।