सास बहू के बीच कलह रोकने के कारगर उपाए | सास बहू की लड़ाई के कारण|
सास बहू के बीच कलह रोकने के कारगर उपाए -सास-बहू का झगड़ा पूरे विश्व में सबसे प्रसिद्ध झगड़ों में से एक माना जाता है। एक घर में यदि सास और बहू दोनों रहते हो तो उनके बीच झगड़ा एक आम बात है। लेकिन ये झगड़ा यदि जरूरत से अधिक बढ़ जाए, या फिर सास बहू का झगड़ा घर में रोजाना क्लेश उत्पन्न करने लग जाए तो उसे जल्द से जल्द रोकना ही बेहतर होता है। सास बहू का झगड़ा खत्म करने के लिए आप सास बहू का झगड़ा मिटाने का उपाय अपना सकते है।
सास बहू की लड़ाई के कारण-
(1)सास बहू की लड़ाई के पीछे कई कारण हो सकते है। कई बार सास नई नवेली बहू को दहेज के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर देती है या फिर उसे घर की नौकरानी बनाकर पूरे दिन बहुत काम कराती है।
(2)वहीं कई बार बहू अपनी सास के बेटे को उससे छीनने या फिर दूर करने की कोशिश करती है।
(3)आज कल की नई युवा पीढ़ी में लड़की के माता-पिता अपनी बेटी को पढाते तो है पर घर का काम बिलकुल नहीं सिखाते जो की लड़ाई की सबसे बड़ी वजह बना हुआ है नौकरी तो करती है पर घर की साफ सफाई अपनी बूढी सास से ही करवाना पसंद करती है उसी सास के बीमार पड़ने पर वही सास-बहू के लड़ाई की वजह बनती है।
(4) महिलाएं अपने बेटे को किसी से बाँट नहीं सकती. उन्हें लगता है कि वह सिर्फ उन्ही की सुन। बेटे माताओं के बहुत करीब होते है। विवाह के बाद बेटा थोडा ध्यान अपनी पत्नी पर भी देता ह। जो विवाद का कारण बनता है जहाँ बेटे विवाह के बाद भी माँ की तरफ ही झुकते हैं, वहां भी विवाद होता है क्यों किउ नकी पत्नी यह बर्दाश्त नहीं कर पात।
(5)महिलाएं को अपनी रसोई में किसी की भी दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं होती। सास हर काम अपनी तरह करवाना चाहती है। बहु का अपना तरीका होता है। अगर बहु अपना तरीका बदल भी ले तब भी उसके दिल में खटास उत्पन्न हो जाती है। जो कभी न कभी निकल जाती है यहीं अगर सास बहु का तरीका स्वीकार कर ले तब भी उसके मन में बहु को लेकर खटास उत्पन्न हो जाती हैयही खट्टापन ही धीरे-धीरे लड़ाई की वजह बन जाते है।
अक्सर सास बोलती है कि मेरा बेटा मेरे हाथ से निकल गया सुनता ही नही वहीं बहु बोलती है कि सारा समय अपनी मम्मी की ही सुनते हैं मेरी सुनते ही नही दोनो अपना अधिकार जताती हैं बचपन से मां ने बेटे की देखभाल की सारे काम मां से पूछ कर करता था और आज.. वही बहु को लगता है कि मेरे पति है उन्हें मेरी सुननी चाहिए जबकी कोई भी बात हो बजाय तेरा मेरा करने के उन्हें आदर दें और एक बेटा एक पति होने के नाते उनकी भावनाओं को भी समझें मां को भी चाहिए कि बेटे बहु की बात में बार-बार इंटर फियर न करे.।बेटा और बहु को सारी जिंदगी एक साथ बितानी है तो उनके सम्बंध मजबूत बनाने की कोशिश करनी चाहिए।
सास बहू का झगड़ा मिटाने का उपाय-हमारे द्वारा बताए गए सास बहू का झगड़ा मिटाने का उपाय बेहद ही सरल और आसान है। यदि आप भी अपने घर में रोजाना होने वाले झगड़े और क्लेश से परेशान है और अब घर में सुख-शांति और अमन चाहते है तो एक बार सास बहू का झगड़ा मिटाने का उपाय अवश्य आज़माना चाहिए।
(1)सास बहू का झगड़ा न हो इसके लिए एक कारगर उपाए जो की अधिक नहीं कुछ दिन तक ही करना होगा। आप गाय के गोबर की मदद से एक दीपक बना ले। अब प्रतिदिन एक दीपक आपको अपने घर के मुख्य दरवाजे के पास जलाना है। इस दीपक में आपको तिल का तेल डालना है। साथ ही थोड़ा सा गुड़ भी दीपक में ही रख दे। तिल के तेल को मीठा तेल बोला जाता है और गुड़ तो सदा से ही अपने मिठे स्वाद के लिए जाना जाता है। इस प्रकार दीपक जलाने से सास-बहू का झगड़ा खत्म हो जाता है और उन दोनों के रिश्ते में एक मिठास आने लगती है। सास बहू का झगड़ा मिटाने का एक कारगर उपाय है।
(2)एक सास इतने सालों से एक सास अपने घर को सम्भाल रही थी वहीं अब बहु आ गई है घर सम्भालने के लिए यकीनन बहुत बदलाव भी आया है पहले के समय सास ने कह दिया बहु को उस बात को बिना काटे ही करती थी। लेकिन अब बदलाव आया है।आज के समय में लडकिया पढी लिखी होती हैं और नौकरी भी करती हैं तो सोच में बहुत बदलाव आया है वो थोडी खुले विचारों की है जबकि सास बहुत ज्यादा आजाद ख्यालात की नही है तो ऐसे में सास-बहु दोनो को झुकना चाहिये। बहु को भी अपनी मर्यादा में रहना चाहिए क्योकि अब वो शादी करअपने ससुराल आ गई है। कुछ दायरा बना कर रखना चाहिए
(3)बहुत घरों में मायका भी बहुत बडा मुद्दा बनता है। बहु बहुत ज्यादा समय फोन पर ही लगी रहती है अपनी मम्मी या भाभी से ही बात करती रहती है, या बहु की मां बहुत ज्यादा दखलंदाजी करती है। वही सास भी हर बात अपनी बेटी को फोन करके बताती रहती है आज बहु ने ये किया आज ऐसा हुआ वैसा हुआ तो सास बहु दोनो को चाहिए कि अपनी अपनी सीमा में रहें और बात-बात पर फोन करके बताने की आदत से भी दूरी बनाए रखें जब पति शाम को घर आए तब भी फोन पर लगे रहना.बात करते रहना एक गुस्सा भर देता है तो बात जरुर कीजिए पर समय देख कर ।
बहुत बड़ी बात होती है अपने ससुराल के परिवार को प्रेम के साथ लेकर चलना मगर पता है आज का जो छोटा परिवार है उसमे नतोबड़ा भाई या छोटा भाई ,न ही बड़ी बहन या छोटी-बहन जब किसी लड़के को बड़े या छोटा का अनुभव ही नहीं है तो क्या समझे या कह सकते है किसी भी लड़की को छोटी बहन या बड़ी बहन का अर्थ या साथ ही नहीं पता तो वह नए (ससुराल)घर में जाकर किसी के साथ कैसे निभा कर रह पाएगी एक सोचने वाली बात है शुरू से उसने अपने परिवार में क्या देखा-सिर्फ खाना न की खिलाना,अपने लिए न की छोटो को देना या बड़ो पूछना नहीं ये भावनाये बचपन से ही नहीं आयी तो कैसे निभाएगी
बूढ़े तो सभी को ही होना ही है यह हर तरिके से ही सही है इसमें न तो सोचने वाली कोई बात ही नहीं है न ही रोका जा सकता है जब नई पढ़ी के युवा नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा माता पिता हो या सास-ससुर बुढ़ापा भी आएगा और सेवा भी करनी होगी तो मानाने में क्या बुराई है कोई भी हो माता-पिता ने किस लिए बड़ा किया है की अपने ही बच्चे बड़े होकर अपमान करे या बहु आकर अपमान करे। ये गलत है सास हो या बहु एक दूसरे को समझना चाहिए व्ही सही है और दोनों को ही झुकना ही चाहिए