खुद को किसी से कम नहीं समझना-

461
Views

खुद को किसी से कम नहीं समझना-हम चाहे सफल हो या असफल लेकिन हमारी वैल्यू जो वो कभी भी कम नही हो सकती है जीवन में सुख दुःख, हार जीत तो लगा रहता है जीत में गर्व होता है तो हार में खुद को हीन भावना से देखने लगते है या खुद को बेकार समझने लगते है जबकि इन्सान की वैल्यू कभी कम नही होती है इसलिए आप अपने आप में खास है इसे कभी नही भूलना चाहिए

kamakna

जीवन में अनेक घटनाये घटित होती है जो ज्यादातर असफलता या सफलता के बीच की होती है और अक्सर असफलता मिलने पर लोग खुद को दुसरो के मुकाबले कमतर आकने लगते है यानी वे अपने ही नजर में खुद की Value को कम समझते है और फिर ऐसी स्थिति में दिमाया  में भी यही लगता है की नहीं हमसे नहीं होगा हमे नहीं आता  है लेकिन क्या आपने सोचा है जिस इन्सान को ईश्वर ने बनाया है उसकी वैल्यू भला कैसे कम हो सकती है

 

अपने आप की कभी किसी के साथ तुलना नहीं करनी चाहिए क्योकि तुलना करने की अपेक्षा महनत इतनी की जाये की तुलना करने की जरूरत ही न पड़े हमेशा आगे होने पर ही ध्यान देना चाहि।  सामे वाला सफल व्यक्ति ने कितनी मेहनत की है ये हमने नहीं देखा पर उसकी सफलता पर अपनी तुलना कैसे ? नहीं ये गलत है सफलता के लिए मेहनत बहुत आवश्यक है

 

        "अपने आप को किसी से छोटा नहीं समझो फिर देखो कैसे सफलता कैसे मिलती है "

 

 

तुलना न करे लेकिन मेहनत में जी जान लगादो फिर देखना कामयाबी कैसे तुम्हारे कदम चूमेगी। आपने देखा होगा की एक मकड़ी जो होती है वो जल बनाती है वह कितनी बार नीचे गिरती है लेकिन फिर भी वह जब तक मेहनत करना नहीं छोड़ती जब तक की जाल पूरा नहीं हो जाता है। जब मकड़ी एक छोटा सा जीव होकर वह इतनी मेहनत कर सकता है तो क्या इन्सान होकर भी मेहनत नहीं कर सकते यदि पुरे लग्न के साथ मेहनत की जाए तो ऐसा नहीं हो सकते की मेहनत रंग न लाये व्यक्ति सफल न हो

                          बुझी शमा भी जल सकती है,

                                          तूफानों से कश्ती भी निकल सकती है,

                        हो के मायूस यूँ ना अपने इरादे बदल,

                                           तेरी किस्मत कभी भी बदल सकती है।

 

जिस प्रकार महात्मा बुध ने पत्थर की कीमत को समझाया-प्रचलित प्रसंग के अनुसार महात्मा बुद्ध किसी गांव में ठहरे हुए थे। गांव के साथ ही आसपास के क्षेत्रों से भी लोग उनके दर्शन करने और प्रवचन सुनने पहुंच रहे थे। एक दिन उनसे मिलने एक व्यक्ति आया और बोला कि तथागत कृपया बताएं कि इस जीवन का मूल्य क्या है? बुद्ध ने उस आदमी को एक पत्थर दिया और कहा कि पहले इस पत्थर की कीमत मालूम करके आओ, फिर मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर देता हूं। ध्यान रहे इस पत्थर को बेचना नहीं है।

 

वह व्यक्ति पत्थर लेकर बाजार में गया। वहां एक संतरे वाले के पास गया और बोला कि इस पत्थर को देखो और बताओ इसकी कीमत क्या है? संतरे वाले ने उस पत्थर को देखा, वह चमक रहा था। उसने कहा कि ये पत्थर मेरे काम का नहीं है। फिर भी मैं इसके बदले तुम्हें 12 संतरे दे सकता हूं। इसके बाद वह व्यक्ति एक सब्जी वाले के पास गया। पत्थर देखकर सब्जी वाले कहा कि एक बोरी आलू ले लो और ये पत्थर मुझे दे दो।

 

इसके बाद वह व्यक्ति पत्थर लेकर एक सुनार के पास गया और उसे पत्थर दिखाया। सुनार ने पत्थर देखा और कहा कि इस पत्थर के बदले मैं तुम्हें एक हजार स्वर्ण मुद्राएं दे सकता हूं। उस व्यक्ति ने पत्थर बेचने से मना कर दिया तो सुनार बोला कि मैं तुम्हें हजार स्वर्ण मुद्राएं देता हूं, ये मुझे दे दो। इसके बाद भी व्यक्ति पत्थर बेचने के लिए तैयार नहीं हुआ तो सुनार ने कहा कि तुम इसकी जो कीमत मांगोगे, मैं दे सकता हूं। उस व्यक्ति ने कहा कि इस पत्थर को मैं बेच नहीं सकता। मुझे सिर्फ इसकी कीमत मालूम करनी है।

 

सुनार के बाद वह व्यक्ति एक जौहरी के पास गया और पत्थर दिखाया। जौहरी ने जब उस पत्थर को देखा तो वह बोला कि ये तो अनमोल रत्न है। वह व्यक्ति हैरान हो गया। इसके बाद वह बुद्ध के पास लौट आया। उन्हें सारी बात बता दी और पूछा कि अब बताएं जीवन का मूल्य क्या है?

 

बुद्ध ने कहा कि संतरे वाले ने इस पत्थर की कीमत 12 संतरे लगाई | सब्जी वाले ने 1 बोरी आलू, सुनार ने 4 हजार स्वर्ण मुद्राएं और जौहरी ने इसे अनमोल बताया। यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है। हर व्यक्ति एक हीरा है, लेकिन दूसरे लोग हमारी कीमत उनके सामर्थ्य और उनकी जानकारी के अनुसार लगाते हैं। हमें हमारी योग्यता की तुलना किसी से नहीं करनी चाहिए। योग्यता की कीमत हमें स्वयं लगानी चाहिए, क्योंकि कोई दूसरा व्यक्ति उसकी सही कीमत नहीं लगा पाएगा। अगर कोई हमारी योग्यता की कीमत लगाएगा तो उसके सामर्थ्य के अनुसार लगाएगा। इसलिए कभी भी खुद को दूसरों से कम नहीं समझना चाहिए।

 

                               "तिनका कबहुँ निन्दिये ,जो पाँवन तर होये,

                           कबहुँ उडी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।

 

 

0 Answer

Your Answer



I agree to terms and conditions, privacy policy and cookies policy of site.

Post Ads Here


Featured User
Apurba Singh

Apurba Singh

Member Since August 2021
Nidhi Gosain

Nidhi Gosain

Member Since November 2019
Scarlet Johansson

Scarlet Johansson

Member Since September 2021
Mustafa

Mustafa

Member Since September 2021
Atish Garg

Atish Garg

Member Since August 2020

Hot Questions


Om Paithani And Silk Saree



Quality Zone Infotech



Sai Nath University


Rampal Cycle Store



Om Paithani And Silk Saree



Quality Zone Infotech



Kuku Talks



Website Development Packages