बुरा समय आने पर क्या करना चाहिये?क्या है सफलता का मंत्र?-
बुरा समय आने पर क्या करना चाहिये?क्या है सफलता का मंत्र?-जिंदगी में सभी के जीवन में एक बार ऐसा समय आता है जब हमे लगता है की हमारे साथ कुछ भी ठीक नहीं हो रहा है हमे ऐसे लगने लगता है की जैसे हम कुछ क्र ही नहीं सकते है कई लोग तो इस संघर्ष से लड़ते हुए आगे निकल जाते है और कुछ तो अपने हालातो से हर मानकर जिंदगी के हवाले कर देते है जिंदगी उस नदी की तरह है जो की रास्ते में आने वाले कई चीजों का सामना करना पड़ता ही पड़ता है कभी वह बड़े-बड़े पत्थरो से टकराकर निकलती है तो कभी -कभी तो रास्ता ही बदलना पड़ता है।
सबसे ख़ास बात तो यह है की नदी कभी रूकती ही नहीं है आगे बढ़ती ही जाती है उसी प्रकार हमे भी जिंदगी में कभी रुकना नहीं चाहिए आगे बढ़ते जाना चाहिए यदि कोयी मुसीबत या असफलता आगे न बढ़ने दे तो एक बाज हमे जिंदगी से जो एक बहुत बड़ा संदेस देता ह। बाज एक ऐसा पक्षी है जिसकी उम्र लगभग 70वर्ष है। बाज मो अपने जीवन के ४०वे वर्ष में एक पक्का फैसला लेना ही पड़ता है। उस अवस्था में तीन अंग निस्प्रभाव हो जाते है।
पंजे नुकीले और लचीले हो जाते है। शिकार की पकड़ बनाने में परेशानी होने लगती है। चोंच आगे की और मुद जाती है जो की भोजन पकड़ने में परशानी होती है। पंख भी बड़े हो जाते है पंखो के बड़े होनेऔर सीने से चिपकने के कारन पूरी तरह खुल नहीं पाते है जिससे आकाश में उड़ने पर परेशानिया होने लगता है। और बाज की उड़ान को दिमित कर देते है। अब बाज भोजन ढूँढना, भोजन पकड़ना ,भोजन खाना अपनी तीनो ही नेचुरल पकड़ खोने लगता है।
अब उसके पास केवल तीन ऑप्शन ही बचते है एक मृत्यु को गले लगाना दूसरा अपना नेचुरल ऐटिटूड छोड़कर गिध्द की तरह किसी का छोड़ा हुआ भोजन लेना और तीसरा फिर स्वयं को पुनः स्थापित करे। पहले के दो ऑपशन्स को ही कोइ भी चुनेगा। लेकिन बाज चुनता है तीसरा ओप्शन्स। अटूट लम्बा और पीड़ा दायक रास्ता।और स्वयं को पुनः इस्थापित करता ह। इसके लिए बाज किसी ऊँचे पहाड़ की छोटी पर जाता है और एकांत में अपना घोंसला बनता है और स्वयं को पुनः स्थापित की प्रकिरिया शुरू करता है अपने ही जीवन में संघर्ष करके।
सबसे पहले अपनी चोंच चट्टान पर मार-मार कर तोड़ देता है इससे अधिक पीड़ा दायक कुछ नहीं है पक्षी राज के लिए। फिर वह चोंच के फिर उग आने की प्रतीक्षा करता है उसके बाद अपने पंजे भी उसी प्रकार तोड़ देता है और फिर उग आने की प्रतीक्षा करता है। नयी चोंच व् पंजे उग आने के बाद फिर वह अपने भरी पंखो को भी एक-एक करके नोच - नोच कर गिरा देता है फिर पंखो के भी उग आने की प्रतीक्षा करता है। 4 महिने या 150 दिन की प्रतीक्षा और पीड़ा सहने के दौरान बाज को मिलती है फिर पहले के ही जैसी ऊँची उड़ान और नयी स्फूर्ति।
बाज अपने आप को पुनः स्थापित करने के बाद वः फिर बाज को मिलती है वह पुरानी भव्य ऊंची उड़ान। और बाज तीस साल तक अपनी पुरानी गरिमा और मान-सम्मान के साथ।
हम इंसानो में भी कल्पना और सोच भी समय के साथ धीमे पड़ने लगते है और इंसान खुद को अकेला महसूस करते है। खुद को हारा हुआ और कमजोर महसूस करता है। हर रात के बाद सवेरा होता है तो लोग क्यों नहीं मानते कि अंधेरे के बाद उजाला भी होता है। यानी कि एक बुरे दिन के बाद एक अच्छा समय भी आपके इंतजार में बैठा ही होगा। परन्तु अक्सर लोग यह समझ नहीं पाते और हमेशा ही उदासी के अंधकार में डूबे रहते हैं। अगर आपके साथ बुरा वक्त चल रहा है तो आप उससे कैसे अपने आप को बचा सकते हैं आप उससे लड़ने के लिए अपने आप को कैसे तैयार कर सकतें हैं।आज हम ऐसे ही कुछ बातों को यहां जानेंगे।
जिस प्रकार बाज ने अपने आप को पुनः स्थापित करके जीवन मे आगे निकल गया उसी प्रकार हम इंसान भी अपने आप को संघर्ष करके तयह महनत करके जीवन इ आगे निकल सकते है हम भी पिछले बीती बातो को पीछे छोड़ के आगे नई कल्पना और नए सपनो के साथ आगे बढ़ सकते है क्योकि आप ही वह व्यक्ति है जो की अपने आप को बहुत अच्छे से जानते है और समझते है तथा नई कल्पना के साथ आगे बढ़ सकते है। हम सकते है -
कल करे तो आज कर ,आज करे तो अब।
पल में परलये होएगी ,बहुरी करेगा कब