दीपावली का महत्व एवं कथाये | Why We Celebrate Diwali | How To Celebrate Diwali In India
दीपावली का महत्व एवं कथाये :
दीपावली का त्यौहार सनातन धर्म के लोग बहुत ही जोर शोर से मानते है तथा इनके साथ ही जैन, बौद्ध, सिख लोग भी इस त्यौहार को मानते है
सभी धर्म के लोगो के अपने अपने तथ्य है इस त्यौहार को मनाने को लेकर अपने अपने विचार प्रस्तुत करते है।
सनातन धर्म के अनुसार सतयुग में जब भगवान श्री राम ने रावण का वध करके अपने घर अयोध्या वापस आने की खुशी में मानते है कहा जाता है की जब भगवान श्री राम ने समस्त राछसों का वध करके सत्य का राज स्थापित करके तथा अपने 14 वर्षो का वनवास पूर्ण करके अपने राज्य अयोध्या वापस आने की खुशी में नगर के सभी लोगो ने उनके स्वागत के लिए दीपो तथा फूलो से पुरे राज्य को सजा दिया था तभी से दिवाली का ये त्यौहार मनाया जाता है।
ऐसा माना जाता की जब भगवान श्री राम अपने नगर वापस आ गए तो उन्होंने सभी देवी देवताओ तथा पशु पछियो सभी का आभार व्यक्त किया तब चंद्र देव ने उनसे कहा की मै तो हर पल आपके साथ था सोते जागते आपके साथ था जब आप अकेले होते थे तो भी मै आपके साथ होता था फिर भी आपने ऐसे दिन क्यों आये जिस दिन मै नहीं आया (मतलब यह की अमावस्या वाले दिन चन्द्रमा नहीं निकलता है) तब भगवान श्री राम जी उन्हें वरदान दिया की उन्हें आज के बाद रामचंद्र जी के नाम से भी जाना जायेगा तभी से भगवान श्री राम को रामचंद्र के नाम से भी जाना जाने लगा।
ऐसा कहा जाता है की द्वापर युग भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर राछस का वध किया था इसी खुशी में दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है तथा ये भी कहा जाता है इसी दी पाण्डुपुत्र अपने 11 वर्षो कवनवास तथा 1 वर्ष का अज्ञातवास पूरा करके वापस लौटे थे।
ऐसी मान्तया भी है की परमवीर तथा महादानी राजा बलि में तीनो लोको में विजय प्राप्त कर ली थे तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से ३ पग भूमि दान में मांगी थी जिसमे उन्होंने तीनो लोक नाप लिए थे उनके दानवीरता से खुश होकर भगवान विष्णु ने उन्हें पतन लोक का राज्य दे दिया तथा उनको वरदान दिया इस आपकी दानवीरता से प्रशन्न होकर हर वर्ष धरती वासी दीपोस्त्सव का त्यौहार आपकी याद में मनाएंगे। ऐसी अनेको कथाये प्रचलित है।
कुछ लोगो का कहना है की इस दिन गणेश लक्ष्मी की पूजा ही क्यों होती है
ऐसा माना जाता है की इसी दिन देवी दुर्गा में महाकाली का रूप धारण कर समस्त राछसों का वध कर तथा अपना रौद्र रूप धारण कर नृत्य करने लगी थी तब भगवान शिव ऊके सामने लेट गए थे जैसे ही देवी के चरण भगवान शिव को स्पर्श हुए तभी उनका क्रोध शांत हो गया तथा तभी से उनके शांत रूप देवी महालक्ष्मी की पूजा का प्रधान है
ऐसा माना जाता है की एक राजा ने एक लकड़हारे हो चन्दन का जंगल दान में दे दिया तो वो लकडहारा उसकी लकड़ी काट कर जलने के लिए ले गया तभी से ऐसा माना जाता है की जिसके पास बुद्धि हो उसको ही धन की क़द्र होती है इस लिए देवी लक्ष्मी जी के साथ भगवान गणेश की भी पूजा की जाने लगी। और कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि को गणेश लक्ष्मी की पूजा की जाने लगी।
जैन धर्म के लोगो का ऐसा मानते है की इस दिन भगवान महावीर स्वामी जी को मोक्ष प्राप्त हुआ था तो जैन धर्म के लोग इस दिन को मोक्ष दिवस के रूप में मानते है
सिख धर्म के लोगो का ऐसा मानते है की सन १६१९ में उनके ६ गुरु हरगोविंद सिंह जहाँगीर की कैद से आजाद हुए थे तो सिख धर्म के लोग इस दिन को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मानते है।
दीपावली का त्यौहार पांच त्योहारों का समूह है
दीपाली की शुरुआत धनतेरस से शुरू होकर भैया दूज तक मनाई जाती है जो क्रमश धनतेरस, छोटी दिवाली, दीपावली, गोवर्धन पूजा तथा भैयादूज है।
धनतेरस- ऐसा माना जाता है की इस दिन भगवान धवंतरि का जन्म हुआ था तब से धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है इस दिन धातु खरीदना शुभ माना जाता है ।
छोटी दिवाली - ऐसे नरक चौदस के नाम से भी कहा जाता है। इस दिन भगवान यम की पूजा घर के बाहर की जाती है।
दीपावली - इस दिन गणेश लक्ष्मी के साथ साथ देवी महाकाली तथा कुबेर की पूजा का भी महत्व है।
गोवर्धन पूजा - ऐसा मानते है की द्वापर युग में भगवान श्री कृष्णा ने आज के दिन गोवर्धन पर्वत की ५६ भोग के साथ पूजा अर्चना की थी तभी से इस दिन को गोवर्धन पर्व के रूप में माने जाता है।
भैयादूज - इस दिन बहन अपने भाइयो को टीका करके उनकी लम्बी आयु की कामना करती है।
दीपावली का त्यौहार भारत के साथ साथ नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, म्यांमार, मॉरीसस ,सिंगापुर, मलेशिया तथा कई अन्य देशो में भी मनाया जाता है तथा इस दिन सरकारी अवकास का भी प्रावधान है।
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श्री कृष्ण के कहने पर ही ग्राम वासियो ने गोधन की पूजा की थी इस पर्व पर गोवर्धन और गौ माता की पूजा का विशेष महत्व है कन्हैया को गिरिराज धरण और गोबर्धन गिरीधरी भी कहते है। गोबर धन की पूजा के कारन ही इंद्र देव नाराज हुए थे।जब इंद्र देव ने नाराज होकर ब्रजवालो के ऊपर घनघोर वर्षा और तूफान को लेकर जो खर बर्षाया था तभी श्री कृष्ण जी ने सभी ग्राम वासियो की रक्षा हेतु गोबर धन पर्वत को अपनी छोटी ऊँगली पर उठा लिए थे।
ऐसा मानते है की द्वापर युग में भगवान श्री कृष्णा ने आज के दिन गोवर्धन पर्वत की ५६ भोग के साथ पूजा अर्चना सभी गोकुल वासियो से करवाई और स्वम् ने भी की थी तभी से इस दिन को गोवर्धन पर्व के रूप में माने जाता है।
Hi Rohit singh ,
दिवाली का त्यौहार बुराई पर अच्छे का प्रतीक है श्री राम के वर्ष बाद अयोध्या वापस लोट कर आने की ख़ुशी में मनाया जाता है और कई वर्षो बाद सच में राम अपनी जन्म भूमि अयोध्या में फिर से विराजमान हो रहे है।
जय श्री राम