पहली बार रख रही हैं करवा चौथ, तो जानें यहां सोलह श्रंगार और पूजन साम्रगी के साथ पूजा का शुभ मुहूर्त
पहली बार रख रही हैं करवा चौथ, तो जानें यहां सोलह श्रंगार और पूजन साम्रगी के साथ पूजा का शुभ मुहूर्त
करवा चौथ क्या है और इसे क्यों मानते है
करवाचौथ हिन्दुओ का एक प्रमुख त्यौहार है इस त्यौहार में सुहागिन औरते अपने पति की लम्बी आयु और उनकी ख़ुशी और समृद्धि की लिए ये व्रत रखती है। आज कल इस व्रत को लडकियो के रखने का भी प्रचलन है।
इस त्यौहार को मानाने की कई कथाये प्रचलित है
ऐसा कहा जाता है की सतयुग में जब राछसों और देवताओ का भयानक युद्ध हो रहा था तो समस्त देवियो ने अपने अपने पतियों की रक्षा की लिए ब्रह्मा जी से उपाय पूछा तो ब्रह्मा जी ने सभी देवियो को कृष्णापक्ष की चतुर्थी तो यह व्रत रखने को बोला जिसके बाद समस्त देवियो ने अपने अपने पति की रक्षा की लिए इस व्रत को रखा तभी से इस व्रत को रखने की प्रथा चली आ रही है। इस व्रत को निर्जला रखने की मान्यता है।
पहली बार रख रही है करवाचौथ का व्रत तो जाने कैसे करे सोलह सिंगार
जो नवविवाहिता पहली बार व्रत रख रही है वो करवाचौथ वाले दिन हो सके तो अपनी शादी का जोड़ा ही पहने अगर किसी कारन वस् न पहन पाती है तो लाल रंग की साड़ी पहने और पूरा श्रृंगार करे। और पहले करवाचौथ में अपने मायके पक्ष से बाया आने का भी रिवाज है बाया में जैसे फल मिठाई कपडे आदि मायके पक्ष से भेजे जाते है।
करवाचौथ पूजा की विधि
सर्वप्रथम सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठना चाहिए तथा स्नान आदि करके इस व्रत की शुरुआत करनी चाहिए इस व्रत तो निर्जला (बिना पानी पिए) व्रत रखना चाहिए और उस दिन घर में कई प्रकार की व्यंजनों को बनाना चाहिए।
तथा शाम को चंद्र देवता को अर्घ दे कर पूजा की जाती है तथा भगवान् शिव तथा माता पार्वती की भी पूजा की जाती है इस पूजा में मिटटी तथा पीतल की करवे का प्रयोग किया जाता है और पूजा की बाद अपने पति को चलनी से देखते है तथा उनके हाथ से पानी पी कर इस व्रत को पूर्ण करते है तथा अपने पति की लम्बी आयु की साथ उनकी ख़ुशी एवं समृद्ध होने की कामना करते है। और पति अपनी पत्नी को उपहार आदि देकर प्रश्न करते है।
इसदिन चंद्रदेव की पूजा क्यों होती है
इस दिन चंद्रदेव की पूजा इसलिए होती है की चंद्र देव को शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है चंद्र देव की कृपा से उनके पति की आयु लम्बी तथा समृद्धि की साथ साथ उनके जीवन में आनंद एवं शांति प्राप्त हो।
यह त्यौहार पुरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है तथा इस त्यौहार हो उत्तर प्रदेश ,दिल्ली , हरियाणा , राजस्थान में बड़े जोर शोर से मनाया जाता है अलग अलग राज्यों में अलग अलग समय की हिसाब से मुहूर्त होता है क्योकि यह मुहूर्त चंद्रदेव के उदित होने की साथ सुरु हो जाता है