यहां देखे करवाचौथ व्रत पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट और पूजा विधि |

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यहां देखे करवाचौथ व्रत पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट और पूजा विधि - यह व्रत सुहागिन महिलाये अपने -अपने पति की लम्बी आयु के लिए रखती है। यह व्रत कार्तिक मॉस की कृष्ण पक्ष की चौथ को मनाया जाता है। इस दिन सभी सुहागिन महिलाये व्रत रखती है। ऐसी मान्यता है की घर की बड़ी ही अपनी घर की बहुओ या सुहागिन महिलाओ को सूर्योदय के पहले जो दिया जाने वाला प्रशाद है। इसको ग्रहण करने के बाद सूर्योदय के साथ ही सुरु होता है फिर निर्जला व्रत रखा जाता है और शाम को चंद्रोदय के पश्चात चन्द्रमा की पूजा करने और अर्ग्य देने के पश्चात ही व्रत खोला जाता और पानी पिया जाता है। इस व्रत में सभी सुहागिन महिलाये अपने -अपने पति की आरती कर तिलक कर उनका आशीर्वाद ले फिर अपने ही पति द्वारा पानी पिलाने पर व्रत खुलवाया जाता है।

karva choth

पूजा की सामग्री - सबसे पहले करवा चौथ का कलेंडर ,आटा छानने वाली चलनी , मायके का दिया हुआ पीतल का करवा और एक मिटटी का करवा , सात सीके ,नारियल ,चावल बताशे गट्टे रबड़ी सुखी मेवा लाल कपड़ा चुनरी।

 

 सिंगार का सामान - चूड़ी, बिंदी ,लाल और पीला सिंदूर, मेहँदी और बिछिया और जो आपकी श्रद्धा है आपकी सामर्थ्य की अनुसार आदि।  

 

 

पूजा की विधि  - करवा चौथ कमाता की पूजा करने के लिए सबसे पहले हम चौक पूरते है आटे से और हल्दी और रोली ,चावल छिटक ने के बाद उसी चौक पक पाटे को रखते है और पाटे पर भी चावल , रोली और हल्दी छिटकने के बाद हम लाल कपड़े  को बिछा लेते है आस-पास रंगोली बिछा लेते है उसके बाद करवाचौथ माता की फोटो रख कर चुन्नी उढ़ाते है।साथ ही में हम एक गिलास में गेहू भरकर रख लेते है। उसमे अपनी इच्छानुसार पैसे रखदेते है। करवे पर मोली , हल्दी  लगाते है चावल , फूल डालते है।

 

 

पाटे पर थोड़े से चावल रखकर उसपर करवा शुद जल से भर कर रख देते है और करवे में एक फूल थोड़े से चावल और एक रूपये डालकर उसपे पारे को रखकर पारे में चावल रख कर रखदे। फिर कर्वे पर स्वस्तिक बनाये। माँ गोरी को धुप दीप फूल माला व् फूल चढ़ाये और तिलक क्र उनको महावर या अलता लगाए फल मिठाई चढ़कर पूजा करे। थोड़े से चावल या थोड़े से गेहू के दाने को हाथ में लेकर कथा सुने बाद में गणेश जी की भी कथा सुने। भोजन कच्चा (कढ़ी ,चावल आते के मीठे फरे), कहीं - कहीं पकका भोजन (खीर पूड़ी सब्जी कचौड़ी आदि ) बनेव जाता है वह सभी थोड़ा - थोड़ा थाली में लगा कर पूजा में अर्पण किया जाता है ।

 

थाली में घर पर बना थोड़ा -थोड़ा भोजन मिठाई फल और सिंदूर आदि लगाकर जब चाँद निकले तब चाँद को टोटी वाले करवे  से अर्ग देकर फल मिठाई आदि चढ़कर आरती करके और चलनी में चाँद को देखकर तुरंत अपने -अपने पति को देखकर फिर अपने पति की आरती उतर कर तिलक करके अपने पति का आशीर्वाद लेकर बाद में अपने ही पति के हाथो से पानी पीकर व्रत को खोला जाता है उसके बाद घर के बड़े - बूढ़ो का भी आशीर्वाद लेना भी परम आवश्यक माना जाता है घर के बड़े ख़ुशी होकर आशीश देते है फिर भोजन ग्रहण किया जाता है।

pati

करवा चौथ व्रत  की कथा -  करवा चौथ की कहानी को सुनने के लिए चावल के तरह दाने ले ले और कथा सुने। एक साहूकार के सात पुत्र और एक पुत्री थी। ये सब भाई बहन एक साथ ही भोजन किया करते थे एक बार की बात है की साहूकार की पत्नी और सातो बहुओ व् बेटी ने एक साथ करवा चौथ का व्रत रखा जब साहूकार के बेटे भोजन करने बैठे तब उन सभी ने अपनी बहन से खाना खाने को कहा तो बहन ने कहा की भाई अभी चाँद नहीं निकला है और जब चाँद निकलेगा तबमैं चाँद को अर्ग देकर ही भोजन करूंगी।

 

साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। वो अपनी बहन को भूखा नहीं देख पाए शहर की पास की पहाडी पर एक दीपक जला दिया और चलनी की ओट में रख दिया फिर बहन से बोले की देखो बहन चाँद निकल आया। अब तुम अर्ग देकर भोजन कर लो। साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियो से कहा - की भाभी तुम भी अर्ग दे दो और भोजन कर लो। भाभी ने कहा - की बायी सा  ये तो तुम्हारा चाँद है।हमारा चाँद आने में अभी  समय है। भूख से व्याकुल वह चाँद को अर्ग देकर भोजन करने को बैठ गयी। जैसे ही पहला निवाला खाया उसे छींक आ गयी दूसरा निवाला कहते ही उसमे बाल निकल आया। और तीसरे निवाले में ससुराल से बुलावा आ गया। की पति बीमार है और जिस भी हालत में हो तुरंत ससुराल पहुँचो।

 

बेटी को विदा करने के लिए माँ ने जब बक्से से कपड़े निकालें तो काले कपड़े मिले और दूसरे बार कपड़े निकालें तो सफ़ेद निकले। जब तीसरी बार बक्से में हाथ डाला तो फिर काले कपड़े ही निकले। बेटी बोली की माँ तुम ये सब रहने दो। मई जाती हु तो माँ ने घबराकर कहा की बेटी सस्ते में जो ही छोटा -बड़ा मिले तो पेअर छूते हुए जाना जो भी सदा सुहागन होने का आशीर्वाद दे व्ही पल्ले में गत लगा लेना। बेटी ने ठीक है ऐसे कहा और ससुराल चली गयी। रस्ते में उसे जो भी मिला वह सभी के ही पेअर छूते ही गयी और सभी ने खुश रहो ,पीहर का सुख मिले ,खुश रहो। ऐसे ही वह अपने ससुराल पहुंच गयी और घर के दरवाजे पर छोटी ननंद खेल रही थी।

 

जब ननंद के पेअर छुए तो उसने आशीर्वाद दिया की सदा सौभाग्य वती रहो और पुत्रवती होने का आशीर्वाद दिए। ये सुनते ही उसने अपने पल्ले में गांठ लगा ली। घर के अंदर गयी तो उसने देखा की उसका पति मरा हुआ मिला और उसे ले जाने की तयारी हो रही है। वह बहुत रोई और चिललई और रट हुए बोली की मई इन्हे ले जाने नहीं दूंगी फिर भी जब कोई नहीं मन तो बोली की मैं भी साथ में चलूंगी। नहीं मानी तो सब  बोले की ले चलो साथ में। वह चली गयी और जब अंतिम संस्कार का समय आया तो बोली की मैं इन्हे जलाने नहीं दूंगी। तो सब बोले की पहले तो पति को खा गयी अब मिटटी भी ख़राब करेगी।

 

लईकिन वह नहीं मानी और अपने पति की मिटटी को लेकर बैठ गयी। तब परिवार के सभी लोगो ने यह निर्णय लिया की रहने दो ऐसे और इसके लिए एक झोपड़ी बनवादो। वह अपने पति को लेकर रहने लगी। अपने पति की साफ -सफाई करती और उसे लेकर बैठ रहती। उसकी छोटी ननंद दिन में दो बार आकर खाना दे जाती थी। और वह हर चौथ को अर्ग देती। फिर चौथ माता यह कहकर आती की –

             

                      करवा ले भाईयो की प्यारी करवा ले घडी बुखारी करवा ले    

 

तो वह चौथ माता से अपने पति के परं मांगती। तब चौथमाता कहती की हमसे बड़ी चौथ आएगी तो उनसे अपने पति के प्राण मांगना। ऐसे ही एक -एक करके सभी चौथ माता आयी और चली गयी। आश्विन की चौथ माता बोली की तुजसे कार्तिक की चौथ माता नाराज है। वो ही तेरा  सुहाग लौटाएगी। जब कार्तिक की सबसे बड़ी चौथ माता आयी तब उसने अपनी छोटी ननंद से सोलह सिंगार और सुहाग का सामन मंगवाया। करवा भी मंगवाए। सास ने सोचा की पागक हो गयी है जो मांगती है वही दे आओ  साहूकार की बेटी ने करवाचौथ का व्रत रखा और चन्द्रमा को अर्ग देकर चौथ माता की जोत करी तब चौथ माता प्रकट हुयी और बोली की -

                                    करवा ले भाईयो की प्यारी करवा ले घडी बुखारी करवा ले

                                     दिन में चाँद उगाने वाली करवा ले ,घडी बुखारी करवा ले।।      

 

तब उसने उनके पैर पकड़ लिए और बोली की -माता मेरा सुहाग वापस करो तो चित्त माता बोली की तू तो बड़ी भूखी है सात भाईयो की प्यारी बहन है तुझे सुहाग से किया काम। नहीं माता मैं आपके पैर तब तक नहीं छोडूंगी जब तक आप मेरा सुहाग वापस नहीं करेंगी। चौथ माता ने सुहाग का सारा सामान माँगा तो उसने एक -एक कर सुहाग का सारा सामान चौथ माता को दे दिए तभी चौथ माता ने आँख से काजल निकाला और नाखुनो से मेहँदी और मांग से सिंदूर निकला फिर एक चुटकी सिंदूर ऊँगली का छीटा दिया और उसका पति जीवत हो गया और चौथ माता ने जाते -जाते उसकी झोपडी में लात मर गयी जिससे उसकी झोपडी महल में बदल गयी।

 

जब छोटी ननंद खाना लेकर आयी तो देखा की भाभी के झोपडी की जगह महल है। साहूकार की बेटी दौड़ी-दौड़ी ननंद के पास आयी और कहा की देखो बायीं सा आपका भाई वापस जीवत हो गया और घर जाकर सासु माँ से बोलो की हमे  गाजे बजे के साथ घर ले चलो। छोटी दौड़ी -दौड़ी घर गयी और माँ से बोली की माँ माँ भाई जीवित हो गए है माँ बोली की तेरी भाभी के साथ तेरा भी दिमाग खराब हो गया है ननंद बोली की नहीं माँ मैंने देखा है की भाई जीवित है भाभी ने गाजे -बाजे के साथ बुलाया है सभी घर वाले गाजे बाजे के साथ लेने पहुंचे तब बेटे को जिन्दा देखकर सास बहु के पैर छूने लगी। और बहु सास के पैर छूने लगी और बोली की देखो माँ आपका बेटा वापस गया है तो सास बोली की मैंने तो ऐसे साल भर पहले ही इसे भेज दिया था वो तो तू ही है जो इसे वापस ले आयी

 

 

         हे चौथ माता जैसे साहूकार की बेटी के साथ किया ऐसा किसी के साथ करना और

                     जैसे साहूकार की बेटी को आशीर्वाद दिया  ऐसे ही सबको आशिष देना

                                       करवा चौथ माता आपकी सदा जय हो

 

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