जानें क्या है गोवर्धन पूजा का महत्व? और पूजन की सही विधि
जानें क्या है गोवर्धन पूजा का महत्व? और पूजन की सही विधि
गोवर्धन पूजा क्या है
गोवर्धन पूजा हिन्दुओ के मुख्य त्योहारों में से एक है यह त्यौहार दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है इस दिन गाय तथा खाद्य वस्तुओ (गोबर) की पूजा की जाती है। इस त्यौहार को द्वापर युग से मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है और इस के महत्व
गोवर्धन पूजा की शुरुवात मुख्य रूप भगवान कृष्ण ने द्वापर युग से की थी। जब द्वापर युग में हर साल भगवान इंद्रा की पूजा करने के विधान था तब भगवान कृष्ण ने गोकुल वासिओ को गिरिराज पर्वत अर्थात गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा तो भगवान इंद्र नाराज हो कर घोर बारिश करने लगे तब भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी ऊँगली से उठा लिए और समक्ष गोकुल वासी उस पर्वत के नीचे खड़े हो गए भगवान इंद्र ने 7 दिनों तक घोर वर्षा की |
तब तक भगवान श्री कृष्ण ने उस पर्वत को उठा कर रखा 7 दिनों के बाद भगवान इंद्र के गुस्सा शांत हो गया तब भगवान श्री कृष्ण ने उस पर्वत को नीचे रख दिया उसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने उस गोवर्धन पर्वत की पूजा अर्चना की तथा ५६ भोग लगाए तभी से हर साल इस त्यौहार को मानाने की परंपरा है।
इस दिन को राजा बलि दिवस , अन्नकुट तथा मार्गपाली नाम से भी जाना जाता है।
गोवर्धन की पूजा विधि
इस दिन सुबह सुबह उठ कर तेल से मालिश करने के बाद स्नान किया जाता है। तथा गोबर से इंसान की तरह की मूर्ति गोबर से बनाई जाती है तथा विभिन्न प्रकार के व्यंजनों से उनका भोग लगाया जाता है|
और शाम को पर्वत के आकर के बना कर घर के बाहर रख कर उनकी पूजा एकादसी के दिन तक उनकी पूजा की जाती है इसके पश्चात् उनको खेत या बगीचे में मिटटी में दबा दिया जाता है।
इस दिन गाय की पूजा के महत्व
इस दिन गाय की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है ऐसा माना जाता है की गाय के अंदर सभी देवी देवता निवास करते है और गाय को भारत में माँ के दर्जा प्राप्त है गाय के ही गोबर से ही भगवान के स्वरुप बना कर गोवर्धन पूजा की शुरुवात की जाती है।
गाय को लक्ष्मी का भी स्वरुप माना जाता है इस दिन गाय की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि तथा यश की प्राप्ति होती है।