SUCCESS चाहिए तो हमेशा मैदान में टिके रहो | Story Of Success

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SUCCESS चाहिए तो हमेशा मैदान में टिके रहो - बहुत पुराने समय की बात है।एक गांव में सुखीराम नाम का एक व्यक्ति रहता था। नाम तो उसका सुखी था पर सुख नाम का उसके पास कुछ नहीं था। न तो परिवार न बच्चे न ही कोई सगा -सम्बन्धी। गांव के दूसरे छोर पर एक टुटा-फूटा  सा मकान था। जब बारिश या तूफान आता था वह बड़ा प्रसन्न और दुखी रहता था इन सब के बावजूद उसके पास नाचने की कला थी और उसका गुजर -बसर हो जाता था बस्ती के लोग उसे नाचने वाले बाबा के नाम से जानते थे। 

SUCCESS

उसी गांव से करीब 50 किलो मीटर दूर एक गांव में सूखा पड़ गया। जिसके कारन उस गांव के लोग बहुत अधिक परेशान रहने लगे। उस गांव के लोग दिन रात परेशान रहने लगे। ईश्वर से प्रार्थना करते रहते की हे ईश्वर हमे इस आपत्ति से बचा लीजिये और हमारी सहायता कीजिये। हमारे गांव में बारिश करवा दीजिये जिससे हमारे बच्चे भूखे और प्यासे न रहे। लेकिन लगता था की उनके प्रार्थना का फल नहीं मिल पा रहा था। वह बड़ा परेशान और दुखी रहता  थे। एक दिन गांव के बुजुर्ग व्यक्ति के बारे में पता चला।  क्या पता उनकेपास जाके कोई रास्त या कोई जानकारी मिल जाये। 

यही सोच कर गांव के कुछ 10 लोग और गांव का प्रधान मिलकर उस बुजुर्ग व्यक्ति के पास गए । वह बुजुर्ग व्यक्ति एक घर में टूटी फूटी खत पर लेटा था। सभी लोगो ने उन्हें प्रणाम किया और कहा की बाबा आपको पता है की गांव में सूखा पड़ने के कारण सभी लोग परेशान है क्या कुछ आप बता सकते है। मैंने सुना है की यहाँ से कुछ दूर एक गांव में सुखी नाम का एक व्यक्ति रहता है। उसके बारे में का जाता है की जब वह नाचता है तो बारिश हो जाती है। यह सुनकर गांव वालो के मन में एक आशा की एक किरण जगी।

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बाबा से आज्ञा केकर कुछ लोग वहां पहुंच जाते है और जहां सुखी राम नाम का एक व्यक्ति रहता था। और पहुंच कर सुखी राम को आवाज लगाते है तब  सुखी राम बाहर निकल कर पूछते है की क्या हुआ। कहिये कैसे आना हुआ। इस पर गांव का प्रधान बोलता है की हम बहुत परेशान है। हमारे गांव में सूखा पड़ा हुआ है। और बारिश बिलकुल भी नहीं हो रही है। जिसके कारन पूरा गांव दुखी और परेशान है। हम ने सुना है की आप नाच कर बारिश करा सकते है। हाँ यह तो मेरा पेशा है।

 इस काम को करने के लिए मैं 10 किलो गेहू और 10 किलो चावल लेता हूँ। इस पर प्रधान ने कहा - की हमे आपका प्रस्ताव मंजूर है कृपा हमारे साथ चलिए। इस पर सुखीराम अपने साथ एक व्यक्ति को साथ में लेकर गांव वालो के साथ उस गांव में पहुंच गया। पूरा गांव इसके लिए इकट्ठा हो गए जिस जगह सुखीराम नाचने वाला था। सुखी राम ने कहा की मेरे गेहू और चावल। तब प्रधान ने उसके आये उस व्यक्ति को अनाज और चावल दे दिए। तब सुखी राम ने नाचना शुरू किया। 

सारे गांव वाले उसका नाच एक उम्मीद की तरह देख रेहे थे और ऊपर आसमान में देख रहे थे की बादल आये की नहीं। नाचते -नाचते सुबह से शाम हो गयी और फिर सुबह। लेकिन बदलो का कही आता पता नहीं। गांव वालो में अब बेचैनी होने लगी खुसर - फुसर होने लगी। इसके नाचने से कुछ नहीं होने वाला। चलो अपने घर चलते है। इसी कारण वहां खड़े लोगो में 80% लोग अपने घर चले गए। लेकिन थोड़े से सहनशील और आशावादी लोग वह खड़े हुए थे और धीरे - धीरे तीसरा चौथा दिन भी हो गया। लेकिन बदलो का नामोनिशान नहीं था। 

अब वहां मौजूद थोड़े से लोगो की हिम्मत भी जबाब देने लगी। और अंत में वे लोग भी वहां से चले गए। अब पांचवा दिन सुखी राम और उसका साथी ही रह गए और सुखी राम अपने होश - हवाश में बस नाचे ही जारहे थे।  नाचते -नाचते उसकेपैर में खून भी निकलने लगा और शाम होने को आगयी। अचानक काळा बादल चारो तरफ से घिर आये। तेज हवाएं चलने लगी। बिजली कड़कने लगी। और कुछ ही छड़ो में ताबतोड़ बारिश होने लगी। और गांव वाले चिल्लाने लगे और ख़ुशी व्यक्त करने लगे। 

सभी गांव वाले सुखी राम के पास आये और ख़ुशी व्यक्त करने लगे। और उनलोगो ने उसे और भी ज्यादा भोजन और खाने का सामान दिया। आखिर कार सुखी राम ने उनकी सारी परेशानी सुखीराम ने दूर ही कर दी। अब गांव वालो से विदा लेकर सुखी राम अपने साथी के साथ अपने गांव जाने लगा। गांव से बहार निकलते ही गांव के आवारा लड़को ने उसे पकड़ लिया और उनको डरा धमका कर पास के घर में ले गए और कहने लगे की हमे तुमसे कोई दिक्क्त नहीं है बस वह राज बता दो। जिससे नाचकर तुम बारिश करा लेते हो। 

इस पर सुखी राम ने कहा - की ऐसा कोई राज ही है मित्रो मैं तो बस अपना काम कर रहा था। मुझे पता थी की मेरे नाचने से बारिश नहीं होगी परन्तु मैं तब तक नाचता हूँ जब तक की बारिश न होउसके लिए मैं अपने काम में लगा रहता हूँ। मुझें नहीं पता की बारिश कब होगी लेकिन मुझे ये पता है की बारिश होने तक मुझे नाचना है यह सुन कर सभी लड़के आश्चर्य चकित हो गए। वे सुखी राम के चेहरे को देखने लगे और कभी उसके पैरो को खून से भरे। और सोचने लगे की यह तो बड़ा कमाल का आदमी है। 

फिर वे लड़के भी उनके पैरो में गिर गए की इतनी उम्र होने के बाद भी इतनी मेहनत करते है इन्होने आज हमारी आखे खोल दी। वे लड़के बोले की हम भी जब तक म्हणत करेंगे जब तक की कामयाब न हो जाये। इसी प्रकार हम लोगो को भी जब तक म्हणत करनी चाहिए जब तक की सफलता प्राप्त न हो जाये।            

                               इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं। हम वो सब कर सकते हैं, 
                                          जो हम सोच सकते हैं और हम वो सब सोच सकते हैं, जो आज तक हमने नहीं सोचा।

   

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Article Posted By: Manju Kumari

Work Profile: Hindi Content Writer

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