गोवर्धन पूजा में पढ़ें ये कथा, जानें कैसे हुई इसकी शुरुआत !

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गोवर्धन पूजा में पढ़ें ये कथा, जानें कैसे हुई इसकी शुरुआत ! 

जाने कैसे हुई गोवर्धनपूजा की शुरुवात

द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने की थी गोवर्धन पूजा की शुरुआत यह त्यौहार कार्तिकमास की प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है। यह हिन्दू का प्रमुख त्यौहार है यह खास तौर से उत्तर भारत में मनाया जाता है इसकी शुरुआत मथुरा से भगवन श्री कृष्ण के हाथो से हुई थी जब भगवान श्री कृष्ण ने अपने बाल्यकाल में देखा की हर वर्ष भगवान इंद्र की पूजा क्यों होती है। 

 तो वो अपनी माँ से पूछने लगे की हम लोग भगवान् इंद्र की पूजा क्यों करते है तो उनकी माँ यशोदा ने उन्हें बताया की भगवन इन्द्र हर वर्ष बारिश करते है ।  जिससे हमारे खेतो में अच्छी फसल होती है और गाये भी हरा चारा खा पति है  इस लिए हम लोग हर वर्ष इनकी पूजा करते है। तो भगवान श्री कृष्ण ने कहा की ये तो उनका काम है। 

 और हमारी गाये तो गोवर्धन पर्वत पर चरती है तो हम लोग उनकी पूजा क्यों नहीं करते यह बात गोकुल वासी समझ गए और गोवर्धन पर्वत की पूजा करने चल दिए तो भगवान इंद्र ने इसे अपना अपमान समझ कर घोर वर्षा करने लगे जिससे भीषण बारिश होने लगी तो भगवान् श्री कृष्ण ने अपनी कनिष्ठा ऊँगली से गोवर्धन पर्वत उठा लिया और समस्त गोकुलवासिओ को उस पर्वत की नीचे शरण दी लगातार ७ दिनों तक भगवान इंद्र ने भीषण वर्षा की जिससे कुछ भी नहीं हुआ। 

जब भगवान् इन्द्र को पता चला की भगवान श्री कृष्ण स्वयं नारायण भगवान विष्णु के अवतार है तो उनका क्रोध तुरंत शांत हो गया और वो भगवान श्री कृष्ण से क्षमा मांगी तब भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रख दिया। और उसके बाद उनहोने पूरी विधि विधान से गोवर्धन पर्वत की पूजा अर्चना की और ५६ भोग लगाए तभी से गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई। 
इस दिन गाय की पूजा करनी बहुत शुभ मणि जाती है। 


कैसे करे गोवर्धन पूजा 

इन दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना शुभ माना जाता है। और ब्रह्म मुहूर्त में स्नान  करना चाहिए इसके पश्चात गाय के गोबर से  घर के आँगन में गोबर से इंसान के तरह की लेटी हुई प्रतिमा बनाई जाती ह।  इसके बाद विभिन्न प्रकार के व्यंजन घर में बनाये जाते है तथा उनसे भोग लगाया जाता है । 

 और धूप दीप रोली अगरबत्ती आदि से पूजा अर्चना की जाती है। इसके पश्चात शाम को घर के बाहर पर्वत के आकर का बना कर रख दिया जाता है फिर एकादसी के दिन खेत या पार्क आदि जगह में रख दिए जाते है। 


 

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