Ahoi Ashtami Puja Vidhhi | जानिये अहोई अष्टमी व्रत की विधि ,पूजा सामग्री, नियम |
अहोई अष्टमी व्रत की विधि ,पूजा सामग्री, नियम - अहोई अस्टमी के दिन मताये अपनी सन्तानो की भलाई व् लम्बी आयु की कामना करते हुए व्रत करती है। अहोई अस्टमी का व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद पड़ता है। यह भी बिना कुछ खाये -पिए ही रखा जाता है इसमें महिलाये सरे दिन उपवास रखती है और शाम को तारो को अर्ग देकर ही अपना व्रत खोलती है। अहोई अष्टमी में मताये अपनी संतान की लम्बी आयु और रक्षा के लिये करती है। अहोई अस्टमी को "अहोई आठे " के नाम से भी जाना जाता है। अहोई अस्टमी के व्रत में माता पार्वती की ही प्रिय वास्तु का ही उपयोग किया जाता है। अपनी संतान को किसी भी प्रकार की अनहोनी और मुसीबत से बचाने के लिए करती है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अस्टमी को अहोई अस्टमी का पर्व मनाया जातो है।
अहोई अष्टमी व्रत में पूजा सामग्री - अहोई अष्टमी व्रत में पूजा सामग्री में अहोई माता की मूर्ति ,आकृति या चित्र और फूलो की माला ,श्याम माला ,करवा दुब कलश ,श्री फल ,माता का शृंगार ,रोली ,अक्षत ,चन्दन ,धुप ,दीप , घी ,(रुई ऋतू फल)सिंघाड़ा, मूली ,नवैद्य में दूध -भात ,पूड़ी ,हलवा ,इन सामग्री का स्तेमाल किया जाता है।
अहोई अष्टमी व्रत में पूजा विधि - अहोई अष्टमी व्रत में प्रातः काल उठकर स्नान आदि के बाद व्रत का संकल्प करना चाहिए। इस दिन माता पार्वती के पूजा का विधान है। अहोई अष्टमी माता की पूजा की तैयारियां शाम से पहले ही कर लेनी चाहिए। सर्व प्रथम गेरू से अहोई माता का चित्र बनाया जाता है। और उनके बच्चो के चित्र भी बनाया जाता है। शाम के समय पूजा स्थल पर अहोई माता के चित्र की बायीं तरफ पानी से भरा कलश भर कर स्थापित किया जाता है। कलश पर स्वस्तिक का चित्र बना कर मोली बांध ले इसके बादअहोई माता की विधि वत पूजा -अर्चना करके पूड़ी हलवे और पुए का भोग लगाए। होम धुप दीप करने के बाद कथा सुनते समय हाँथ में गेहू के सात दाने रखने चाहिए। फिर अंत में आरती करे । फिर शाम को तारो को अर्ग देकर ही व्रत को खोलना चाहिए। पूजा के बाद अपने घर में सभी बड़ो के पेअर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए। अन्न जल ग्रहण करके व्रत खोलते है।