भगवान श्री कृष्ण के जीवन से सीखें सफलता के 7 सूत्र, Learn Life Success Secrets From Lord Sri Krishna
भगवान श्री कृष्ण के जीवन से सीखें सफलता के 7 सूत्र, Learn Life Success Secrets from Lord Sri Krishna -भविष्य में मास्टर बने या जगत गुरु या बने विद्वान। भगवान् श्री कृष्ण के जितने नाम है उतनी कहानी। जीवन जीने के तरिके तो पूरी तरह से परिभाषित भगवान् श्री कृष्ण ने ही किया है। गीता में जीवन के सार का वर्णन बहुत ही विस्तार से किया है। कुरुक्षेत्र में दो सेनाओ के बीच खड़े होकर भारी तनाव के समय श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया वही ज्ञान ही दुनिया का सबसे श्रेस्ट ज्ञान है। इसीलिए गीता को भगवन श्री कृष्ण का ही एक रूप भी मानते है।
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जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए भगवन श्री कृष्ण के जीवन से जुडी तमाम बातो का अध्ययन करके काफी कुछ सीखा जा सकता है।भगवन श्री कृष्ण के जीवन से जुडी अहम बातें जिन्हे आप जीवन में सफल होने के लिए सात सूत्र भी बोल सकते है -
(1) हर परिस्थितियों में मन शांत और दिमाग स्थिर रहे - पांडवो के राजसी यज्ञ में शिशुपाल से श्री कृष्ण छोटा था और सारी मर्यादा तोड़ दी थी। पूरी सभा चकित थी कुछ लोग क्रोधित भी थे। लेकिन श्री कृष्ण शांत थे और मुस्करा रहे थे। शांति दूत बनकर गए तो दुर्योधन ने अपमान किया। तब भी श्री कृष्ण शांत थे। अगर हमारा दिमाग स्थिर है ,मन शांत है तभी हम कोई सही निर्णय ले सकेंगे। आवेश में हमेशा हादसा ही होता है। यही श्री कृष्ण बताते है। विपरीत परिस्थितियों में भी विचलित नहीं होना चाहिए। श्री कृष्ण से बेहतर कोई नहीं जानता ।
(2) साधारण जीवन जीना - भगवन श्री कृष्ण हमेशा साधारण जीवन जीने में ही विश्वास करते थे। गोकुल के राज घराने में पेवरिष होने के बावजूद वे हमेसा सामान्य बालको के साथ रहते और खेलते और खाते - पीते रहते थे कोई भेद भाव नहीं करते थे। श्री कृष्ण में कभी भी अपने राज घराने का घमंड नहीं था।
(3) कभी हार नहीं मानना - कभी भी श्री कृष्ण का मन बुरा समय आने पर भी घबराता नहीं था। श्री कृष्ण विपरीत परिस्थितियों में भी डटकर मुकाबला करते थे। उनका मानना था की बुरे समय में भी विवेक पूर्वक काम करना चाहिए। भगवान् श्री कृष्ण ने जीवन में कभी भी हार न मानने का सन्देश दिया था। अंत तक प्रयास करते रहना चाहिए। भले ही परिणाम हमारे विपक्ष में क्यों ही न हो।
(4) दोस्ती निभाना - श्री कृष्ण और सुदामा की दोस्ती को कोण नहीं जनता। यह दोस्ती केवल दोनों के प्रेम के कारण नहीं बल्कि एक दूसरे के प्रति आदर के कारण भी प्रसिद्ध है। लेकिन आज के जमाने में दोस्ती के मायने भी कोई नहीं जानता । श्री कृष्ण ने हमेशा अपने मित्र अर्जुन और सुदामा का साथ दिया था।
(5) माता पिता का हमेशा आदर करना - श्री कृष्ण को जन्म देवकी ने दिया था और इनका पालन - पोषण यशोदा जी और नन्द बाबा ने गोकुल में किया था। वे जानते थे की उनके माता - पिता उनसे दूर है। श्री कृष्ण ने उन्हें दिल से प्रेम किया। व् आदर और सम्मान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
(6) जीवन में रिस्तो को निभाना - श्री कृष्ण ने कभी भी उन लोगो का साथ नहीं छोड़ा जिनको मन से अपना माना। अर्जुन से वे युवा अवस्था में मिले। अर्जुन से उनका रिस्ता मन का ही था और सुदामा हो या उद्धव। श्री कृष्ण ने जिसको अपना मन लिया उसका साथ जीवन भर दिया। रिस्तो के लिए श्री कृष्ण ने कई लड़ाईया लड़ी। रिस्तो के लिए कई लड़ाईया जीती भी। श्री कृष्ण का सन्देश है की सांसारिक जीवन में इंसान की सबसे बड़ी धरोहर रिश्ते ही है। इसीलिए अपने रिस्तो को दिल और दिमाग से जीते।
(7) हमेशा दूरगामी परिणाम सोचे - महाभारत के एक जीवन की घटना के बाद पांडवो को वनवास हो गया था। श्री कृष्ण ने अर्जुन को समझाया की ये समय भविष्य के लिए तैयारी करने का है और श्री कृष्ण ने भगवान देवराज इंद्र और माँ दुर्गा की उपशना करने को कहा। श्री कृष्ण जानते थे की दुर्योधन को कितना भी समझाये वह कभी भी पांडवो को उनका राज -पाठ नहीं देगा। तब शक्ति और सामर्थ्य की जरूरत होगी। कारण के कुण्डल और कवच पांडवो के आड़े आएगी। यह सब पहले से ही अर्जुन की पूरी तेरी करवा दी थी उन्हें पहले ही पता था।
भगवान कृष्ण ने अपने जीवन को जिस तरह से प्रेम, पराक्रम और कुशलता के साथ जिए उसकी अभी तक लोग मिसाल देते हैं। उन्होंने बचपन में ही अपने अन्यायी मामा कंश का वध किया और फिर अपनी बुद्धिमत्ता और रणनीति कौशल से पांडवों को विजय दिलाई। किसी में सीखने की ललक हो तो वह भगवान कृष्ण के जीवन से बहुत कुछ सीख सकता है। भगवान श्रीकृष्ण का पूरा जीवन विभिन्न दुर्लभ प्रसंगों से भरा हुआ है। हर बार वह नए भाव, नई कला और चाल व चमत्कार से समय को अपने पक्ष में कर लेते थे।
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Article Posted By: Manju Kumari
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