भगवद गीता के ये 10 उपदेश देते हैं जीवन में सफल होने का संदेश | Success Mantras From Bhagavad Gita
भगवद गीता के ये 10 उपदेश देते हैं जीवन में सफल होने का संदेश | Success Mantras from Bhagavad Gita - भगवद गीता में भगवन श्री कृष्ण ने हमे धन,लक्ष्य ,जीवन, मानवस्वभाव, प्रेम से जुडी कई बाते सिखाई है। भगवद गीता में बहुत सारे महान सन्देश उपलब्ध है। इसी पुस्तक में भगवान श्री कृष्ण ने सफलता के कई महान रहश्य भी बताये है।ये उन लोगो के लिए बहुत ही जरूरी है जो किसी भी क्षेत्र में सफल पाने को उत्सुक है। वो महत्वपूर्ण सन्देश जो श्री कृष्ण ने युद्ध के समय अर्जुन को दिए थे -
(1) विफलता का मुख्या कारण क्रोध है - क्रोध हमारी सोचने - समझने की शक्ति को नष्ट कर देता है। क्रोध में लिया गया निर्णय कभी भी उचित नहीं होता है।अक्सर क्रोध के कारण हम गलत निर्णय ले लेते है।जिसके कारण हम कभी - कभी हमारा सब कुछ नष्ट हो जाता है। क्रोध व्यक्ति के जीवन के सभी परिवार के असफलता का मूल कारण क्रोध है। क्रोध के कारण आप किसी का बुरा कर पाए या न कर पाए पर आप अपना बुरा अवश्य कर ही लेते है। यदि आप अपने जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते है तो मन को शांत रखते हुए क्रोध को दूर करने का प्रयाश करना चाहिए।
(2) वो करो जिससे मन शांत हो - भगवान् श्री कृष्ण कहते है की मन में उलझन अशांति नहीं होनी चाहिए। बाहर चाहे कितनी भी बड़ी दुविधा क्यों न हो लेकिन अंदर शांति रखते है तो आप उस विपरीत परिस्थितियों में सकारात्मक ऊर्जा महसूस करेंगे और सही निर्णय ले पाएंगे। जो की लक्षो को प्राप्त करने में मद्त करते है। यदि आपको सफल होना है तो ध्यान या maditetion ही एक युक्ति है जो की व्यक्ति के सभी दुखो को दूर करने में मद्त कर सकती है।ध्यान या maditetion के द्वारा मन को शांत कर सकते है।
(3) अपनी शक्ति को पहचाने - आपके अंदर एक अद्भुत शक्ति है यह एक सबोध शक्ति है जो आपको जीवित् रखती है। आप कुछ भी कर सकते हो। छुपी हुई शक्ति पर हमेशा विश्वास रखो आप जो भी कर रहे हो पूरे विशवास के साथ करो। आपके अंदर की शक्ति आपको सही बताने के लिए आपके साथ होती है। आपको हमेशा अद्भुत कार्य करने की हमेशा प्रेरणा देती है।
(4) कर्तव्य से कभी दूर नहीं भागो - कर्तव्य से दूर भागना सही रास्ता नहीं है इसलिए कर्तव्य को पूरी लगन के साथ करना चाहिए कर्तव्य अपने माता -पिता के लिए ,अपने बच्चो ,अपने परिवार ,अपने मित्रो के और समाज के लिए होता है। इन सबके भलाई के लिए जो हमे करना चाहिए वही हमारा कर्तव्य है।
(5) डर का सामना करो - डर से हमे डरना नहीं चाहिए बल्कि सामना करना चाहिए। यदि आपके अंदर कुछ खोने का डर होगा तो आप कुछ बभी बड़ा नहीं कर पाएंगे। किसी भी समस्या का दृढ़ता से सामना करना चाहिए। यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है की अगर कोई डर नहीं हो तो जीवन कितना सुन्दर होगा।
(6) परिणामो की परवाह नहीं करो - कर्म करना आपका कर्तव्य है परिणामो की परवाह नहीं करनी चाहिए। आप अपने कार्य पर धयान दें परिणामो पर आपका कोई नियंत्रण नहीं है कामका फल आपका मकसद नहीं है और आपको कभी भी निष्क्रिय नहीं होना चाहिए। हमारे अधिकांश फैसले तब प्रभावित होते है जब हम उनके परिणामो के बारे में ज्यादा सोचने लगे। यदि आप सिर्फ पुरुष्कार के बारे में ही सोचते रहेंगे तो कर्म कैसे करेंगे इसलिए केवल कर्म करे जो व्यक्ति परिणामो की परवाह नहीं करते वह कभी भी हार नहीं सकता।
(7) परिवर्तन के लिए तैयार रहे - परिवर्तन तो संसार का नियम है उसके लिए तैयार रहे। परिवर्तन ही जिंदगी का सार है चाहे वह जिंदगी हो या कुछ और परिवर्तन के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए यदि आप इसके लिए तैयार नहीं होते तो आप कभी भी आगे नहीं बढ़ सकते हो। इसीलिए परिवर्तन जरुरी है। अपने दिमाग को विचार पूर्ण बनाइये। और मार्ग में आने वाली बांधो का सामना कीजिये। हमे यह जानना जरुरी है की रहे कहा कहा तक जाएगी और कहा तक हमे जाना है। इसलिए हमेशा विचारशील होना चाहिए।
(8) जीवन में उच्च मंत निर्धारित करे - जब आप जीवन में आगे बढ़ने के लिए कुछ फैसला कर लेते है अपनी सफलता के मनको को निर्धारित करे। अपनी स्वंम की सफलता को back न करे। सबसे बड़ी उपलब्ध हासिल करने वालो में खुद को हमेशा प्रेरित ही किया है। ये आप इतिहास में देख सकते है। ऐसे लोग खुद से पर्तिस्पर्धा करते है और अपने जीवन में सोचना हमेशा जारी रखते है। ये सफलता और विफलता के साथ मिलते है और फिर भी बढ़ते रहते है और उनकी आत्माये प्रेरित करती रहती है व् हमारे जीवन को प्रकाश देते है।
(9) हमेशा विनम्र रहे - श्री कृष्ण सारी शक्ति के स्वामी थे फिर भी वे अत्यंत नम्र थे और अपने बड़ो के प्रति सम्मान दिखते थे। चाहे वे उनके माता - पिता हो या शिक्षक हो या उनके निर्धन मित्र सुदामा। वे उन्हें खुश करने के लिए हमेशा उत्सुक रहते थे इसी वजह से लोग हेर जगह उनकी मद्त करने को तैयार रहते थे यदि आप सफल होना चाहते है तो आपको हमेशा विनम्र रहना होगा। सभी के प्रति सम्मान दिखाना होगा।
(10) हमेशा एक रणनीति बनाकर चलना होगा - जीवन में किसी भी क्षेत्र में हमेशा अपनी स्थिति से अवगत रहे। और व्यवहारिक रहे। श्री कृष्ण ने विधान में रणनीति का अर्थ एक और प्रेम का पाठ पढ़ाकर हर किसी को समान दृस्टि से देखने की सीख देते है। वे दूसरी और अर्जुन को युद्ध के लिए प्रेरित कर यह भी सिखाते है की सब्र सिर्फ एक हद तक ही करना ठीक होता है और जब बात धर्म और मर्यादा की होती है तो शास्त्र उठाने से डरना नहीं चाहिए। एक उचित रणनीति आपको सफलता की और ले जाते है।
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Article Posted By: Manju Kumari
Work Profile: Hindi Content Writer
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