मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है?Makar Sankranti पर क्यों बनाती है खिचड़ी जानें धार्मिक, आयुर्वेदिक, ज्योतिषीय महत्व

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मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है?Makar Sankranti पर क्यों बनाती है खिचड़ी जानें धार्मिक, आयुर्वेदिक, ज्योतिषीय महत्व - जब माघ मास में सूर्य मकर राशि पर आये तब उस समय को संक्रांति प्रवेश काल या "मकर सक्रांति" कहते है। मकर सक्रांति हिन्दुओ का प्रमुख त्यौहार है। makar_sankranti_surya_devइस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है। दक्षिण भारत में इस दिन को "पोंगल " वहीँ उत्तर भारत में खिचड़ी ,उत्तरायण,मागि तथा पतंग उत्सव के नाम से जाना जाता है।

 

मधय भारत में इसे सक्रांति कहा जाता है हर वर्ष यह त्यौहार 14 – 15 जनवरी को ही मनाया जाता है।मकर सक्रांति पर गंगा ,यमुना आदि का स्नान का महत्व है और इस दिन किये गए जप, तप, दान,स्नान आदि धार्मिक कार्यो का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है की इस दिन किये गए दान का मनुष्यो को 100 गुना होकर मिलता है। इस दिन खिचड़ी,शुद्ध घी, गर्म वस्त्रो का दान आदि करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मकर सक्रांति क्यों मनाया जाता है इसके ऊपर कई मान्यताये है।

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ऐसी मान्यता है की इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव को मिलने उनके लोक को जाते है। शनि देव मकर राशि के स्वामी है इसलिए इस दिन को मकर सक्रांति के नाम से भी जाना और मनाया जाता है। एक अनमोल मान्यता के अनुसार इसी दिन ही भगीरथ के पीछे - पीछे माँ गंगा भी पृथ्वी पर कपि मुनि के आश्रम से होकर सागर में मिली थी। इससे पहले माँ गंगा ब्रह्म लोक में ब्रहम्मा जी के कमंडल में वास करती थी। गंगा जल भगवान् विष्णु के रोमो से पैदा हुई श्वेत अर्थात पसीने से उत्पन हुआ जल है।

 

ब्रहम्मा जी ने सर्व प्रथम शंकर जी के जटाओ में छोड़ा था जहा से भगीरथ के पीछे - पीछे चलती हुई गंगा कपि मुनि के आश्रम तक पहुंची थी जो की बंगाल की कड़ी के करीब स्थित था।  मकर संक्रांति के ही दिन ही गंगा के वहां पहुंचने पर भगीरथ ने अपने पूर्वजो का तर्पण करके उन्हें मुक्ति दिलाई थी। बाणो के शैय्या पर लेटे हुए भीष्म पितामह ने प्राणो को त्यागने के लिए आज ही की दिन को चुना था। ऐसा माना जाता की इस दिन प्राणो को त्याग करने वाला व्यक्ति जीवन के जन्म -मरण के चक्रो से मुक्त होजाता है।

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मकर सक्रांति पर विशेष रूप से खिचड़ी ,गुड़, तिल,रेवड़ी,गज्जक आदि का दान किया जाता है। इस दिन दाल -चावल मिलकर खिचड़ी मिलकर बनाई जाती है। इस दिन खिचड़ी खाना मौसम में होने वाला बदलाव को भी दर्शाता है। जब मौसम बदलता है तो पाचन शक्ति निर्बल हो जाती है ऐसे में वही आहार खाया जाता है जो आसानी से पच जाये। खिचड़ी ऐसा ही आहार है जो की खाने के बाद आसानी से पच जाता है।                                              

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Article Posted By: Manju Kumari

Work Profile: Hindi Content Writer

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