यदि आप धूल लगे हुए चश्मे से देखेंगे तो यह दुनिया आपको गन्दी ही नजर आएगी।
दिल्ली के एक ऑफिस में किरन नाम एक महिला कार्य करती थी। उसे अपने द्वारा किये हुए कार्य के अलावा किसी का कार्य पसंद नहीं आता था। वह ऑफिस के हर सहकर्मी में और उनके द्वारा किये कार्य में कोई न कोई कमी निकाल ही लेती थी।
एक दिन जब किरन अपने ऑफिस में अपना कार्य कर रही थी तो अचानक उसने देखा कि उसकी ऑफिस बिल्डिंग के ठीक सामने वाली बिल्डिंग में एक महिला कपड़े सुखा रही है।
उसको देखते ही किरन ने अपने पास बैठे सहकर्मी से कहा, “देखो तो! यह महिला कितने गंदे कपड़े धोती है। और इसका घर तो देखो, वह भी कितना गन्दा है। और तो और जो कपड़े वह पहने हुए है वह भी कितने गंदे हैं।”
किरन के पास बैठे सहकर्मी ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलायी और अपना कार्य करने लगा।अब तो रोज जब भी वह महिला अपने बिल्डिंग की बॉलकनी में कपड़े सुखाने आती थी तो किरन रोज उसमे कोई न कोई कमी निकालती और उसको और उसके आसपास की चीजों को गन्दा कहती। कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा।
एक दिन जब किरन अपने ऑफिस में बैठी उस महिला को देख रही थी कि तभी ऑफिस का बॉस किरन के केबिन में आ गया।
किरन को बॉस के आने का पता भी नहीं लगा क्योंकि वह उस महिला को बहुत ध्यान से देख रही थी और उसमे बुराइयाँ निकाले जा रही थी।
यह सभी देख बॉस ने उसे टोका, “किरन! आप कहाँ देख रही हैं? क्या आपका मन अपने कार्य में नहीं लग रहा?”
बॉस की आवाज सुनकर और उसे पास खड़ा देखकर किरन अचानक चौंक गयी और अपनी सीट से उठकर बोली, “कुछ नहीं सर! बस मैं तो उस सामने वाली बिल्डिंग की उस महिला को देख रही हूँ जो रोज गंदे कपडे सुखाने अपनी बालकनी में आ जाती है।”
बॉस ने भी उस महिला, उसकी बिल्डिंग और उसके कपड़ों पर नजर डाली।
तभी किरन फिर बोली, “देखो तो सर! अपने काम के प्रति कितने लापरवाह लोग होते हैं। वह महिला जो भी कपड़े धोकर सुखाती है वह गंदे ही होते हैं। उसके पहने हुए कपड़े भी कितने गंदे हैं और उसकी बिल्डिंग ऐसी की बरसों से उसकी धूल साफ ही नहीं की गयी है।”
बॉस उस महिला को कुछ ध्यान से देखने लगे और मुस्कुराने लगे। किरन को यह कुछ अजीब लगा।
उससे न रहा गया और अपने बॉस से पूछा, “सर आप इस महिला को देखकर मुस्कुरा रहे हैं? मेरी तो आज तक यह समझ नहीं आया कि यह महिला इतनी गन्दी कैसे रह लेती है?”
किरन के पूछने पर बॉस मुस्कुराते हुए बोले, “आपके इन प्रश्नों का उत्तर मैं कल दूंगा। कल जब आप इस महिला को कपड़े सुखाते हुए देखें तो मुझे बुला लेना।”
इतना कहकर बॉस चले गए। किरन अब भी सोच रही थी कि बॉस आखिर मुस्कुरा क्यों रहे थे।
अगला दिन आया। रोज की तरह किरन अपने ऑफिस में काम करने लगी। अब जैसे ही वह महिला कपड़े सुखाने अपनी बॉलकनी में आयी तो किरन की नजर उस पर पड़ी।
“अरे यह क्या?” किरन अचानक बहुत चौंक गयी।
“यह महिला तो आज कितने साफ़ कपड़े सुखा रही है।”
तभी किरन की नजर उस महिला के पहने कपड़ों और उसकी बिल्डिंग पर गयी।
किरन के मुँह से अचानक ही निकला, “अरे! आज तो यह कितने साफ़ कपड़े पहने हुए है और उसकी बिल्डिंग भी आज कितनी साफ़ नजर आ रही है जैसे कल रात ही पेंट कराया गया हो।”
उसने तुरंत अपने बॉस को बुलाया और सभी बातें बताते हुए आश्चर्यचकित होकर पूछने लगी, “सर आप आज मेरे प्रश्न का उत्तर देने वाले थे। लेकिन सर आज तो सब कुछ साफ़ हो गया है। आखिर यह कैसे हुआ होगा?”
बॉस मुस्कुराये और बोले, “यह महिला रोज साफ कपड़े ही सुखाती है। इसके पहने कपड़े भी कभी गंदे नहीं होते। और तो और इसकी बिल्डिंग पर भी पेंट बहुत दिनों से नया ही है। बस कल शाम आपके जाने के बाद सामने का शीशा जिससे आप उसको देखती हैं, उस पर बहुत धूल लगी थी और अब उसे अच्छे से मैंने साफ करा दिया है।”
यह बात सुनकर किरन भी मुस्कुराने लगी और उसे अपनी भूल का एहसास हुआ।
दोस्तों! हो सकता है इस प्रेरक कहानी का मजेदार अंत पढ़कर आपके चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी हो लेकिन यह कहानी हमें बहुत कुछ सिखा देती है।
यह दुनिया, इस दुनिया के सभी लोग और इस दुनिया की सभी बस्तुएं हमें वैसी ही दिखाई देती हैं जैसे दृष्टिकोण से हम उनको देखते हैं।
अर्थात आप जिस रंग का चश्मा पहने होंगे, यह दुनिया भी आपको उसी रंग की दिखाई देगी।
यदि आप धूल लगे हुए चश्मे से देखेंगे तो यह दुनिया आपको गन्दी ही नजर आएगी।
बहुत से लोग इतने नकारात्मक दृष्टिकोण के होते हैं कि उन्हें दुनिया के हर इंसान और बस्तु में कोई न कोई कमी नजर आने ही लगती है।
सभी लोगों में कुछ अच्छाइयां जरूर होती हैं। क्यों न हम सभी लोगों की उन अच्छाइयों की तरफ अपना फोकस करें।
यदि आप ऐसा कर पाते हैं तो खुद को हमेशा सकारात्मक रखने के अलावा बहुत सी समस्याओं से बचे रहेंगे।
यदि आपमें केवल किसी की बुराई देखने की आदत है तो आज ही इस आदत को बदल डालिये और सामने वाले में अच्छाई खोजने का प्रयास कीजिये।
इस बारे में कबीर दास जी ने कहा है–
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोई।
जो मन खोजा अपना, तो मुझसे बुरा न कोई।।
लोगों में अच्छाई खोजने का प्रयास कीजिये। यदि किसी भी कुछ बुराई नजर आती है तो सबसे पहले अपने गिरेबान में झांककर देखिये। यदि आपका विचार सकारात्मक होगा तो सब कुछ आपको Positive ही Positive नजर आएगा।