अपनी रुचियों और स्वभाव के अनुसार सफलता का मार्ग चुनें | Choose Your Own Path For Success In Life
अपनी रुचियों और स्वभाव के अनुसार सफलता का मार्ग चुनें | Choose Your Own Path for Success in Life - यह बहुत पुरानी बात है। एक नगर में माणिकचंद नाम का एक सक्स रहता था। यह अमीर सेठ खानदानी रहीस और बहुत ही नेक व्यक्ति था। लीगो को सहायता करने में हमेशा आगे ही रहता था। एक वर्ष उसे व्यापार में बभूत ही घटा हुआ और वह बहुत ही गरीब हो गया। फिर उसका जीवन बहुत ही कठिनता से गुजरने लगा। माणिकचंद बहुत ही चिंतित रहने लगा। लेकिन एक रात उसे स्वपन आया।एक व्यक्ति उसे साधू के वेश में दिखाई दिया। उस साधू ने सेठ से कहा की मैं तुम्हारे पूर्वजो के द्वारा संचित किया गया हूँ। मैं सुबह इसी वेश में तुम्हे आकर पुकारूंगा। मुझे देखकर मेरे सर पर एक डंडे से प्रहार करना। ऐसा करने से मैं सोने के ढेर में बदल जाऊंगा। फिर तुम मुझे उठकर मुझे घर पर रख लेना। मेरा इस्तेमाल करके फिर से अमीर बन जाना माणिकचंद अपने कामो में लग गया। अचानक उसके घर पर दस्तक हुई और उसने देखा की एक व्यक्ति उसे साधु के वेश में उसे पुकार रहा है।
उसे रात का स्वपन याद आ गया। वह तुरंत एक डंडा उठा लाया और साधु के सर पर प्रहार कर दिया। ऐसे करते ही वह साधु सोने के ढेर में तब्दील हो गया। माणिकचंद ने वह सोने का ढेर उठा कर अपने घर में रख लिया। मानिकचंद को ऐसा करते हुए उसके एक पडोसी ने देख लिया। उसे लगा जब माणिकचंद ऐसा करके अमीर बनसकता है तो मैं भी कर सकती हूँ। ऐसा करके मालामाल होना तो बिलकुल ही आसान है। ऐसा सोच कर वह पडोसी मंदिर पहुंच गया और वह बैठे एक साधु को भोजन करने के लिए निमंत्रण दे दिया।
साधू ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया और अगले दिन वह पडोसी उस साधू के आने का इंतजार करने लगा और उसने पास एक मोटा डंडा भी रख लिया था। सुबह जैसे ही उसके घर कर दस्तक हुई वो ख़ुशी से चमकने लगा और उसने साधु को अंदर बुलाया और उसी डंडे से उस साधु पर वार करने लगा। उसके प्रहारों से वह साधू जोर - जोर से चिल्लाने लगा। साधू के चिल्लाने की आवाज सुनकर आस - पास के लोग वहां आकर जमा हो गए। उन्होंने उस साधु को उसी पडोसी से किसी तरह से बचाया।
साधू ने उस पडोसी की इस हरकत की शिकायत वहां के राजा से कर दी। राजा के सिपाहियों ने उसे पकड़ लिया और न्यायालय में पेश किया। न्यायधीश ने उस विवेकहीन पडोसी की सफाई सुनने के बाद उसे बहुत ही कड़ी सजा दी। अतः यह कहानी भले ही बहुत ही पुरानी है लेकिन आज भी उतनी ही सत्य है। और हमारे जीवन में आज भी उतनी ही खरी उतरती है। जबभी हम अपने आप से अमीर किसी पडोसी को देखते है तो हमारे अंदर भी उसके जैसा बनने की लालसा जाग उठती है।
हमे लगता है जब कोई भी व्यक्ति ये विशेष कार्य करके सफल हो गया है तो हम भी ऐसा ही करके सफल हो जायेंगे। बिना ये जाने की सफलता को हासिल करने में उसने कितनी और किस तरह की मेहनत की है हम उसका अनुसरण करने लगते है। अगर कोई business idea सफल हो गया है तो ढेरो लोग बिना दुनिया की बातो को जाने उस idea पर काम करना शुरू कर देते है। बाद में जब असफलता हासिल होती है तो मन मसोस के रह जाते है। फिर किस्मत को दोष देना शुरू कर देते है।
जो भी दृश्य बाहर से दिखाई देता है वह सिक्के का मात्र एक पहलू है। सिक्के का दूसरा पहलू है उस सफलता को हासिल करने में की गयी मेहनत। जो की हमे दिखाई नहीं देती। सिर्फ किसी की सफलता को देखकर उसकी मेहनत और लगन का अनुमान नहीं लगा सकते है।इसीलिए किसी की सफलता को देखकर उसका अनुसरण करना सुरु कर देना ये एक विवेकहीन नकल ही है। जो की आखिर में किसी सार्थक परिणाम पर नहीं पहुँचती।
इसीलिए जब अगली बार जब किसी सफल व्यक्ति को देखकर उसका अनुसरण करने का मन हो तो आप अपने आप से पूंछे की क्या मेरे अंदर इस काम करने का जज्बा है क्या मैं अपनी पूरी मेहनत और लगन से पूरी ईमानदारी से कर सकते है। क्या ये काम मेरी सफलता या असफलता से अलग एक प्रेरणा बन सकती है यदि आपको इन सभी सवालों के जवाब हाँ में मिले तो फिर आप उस काम को शुरू कर सकते है। और अपने जीवन में सफलता के पद पर आगे बढ़ सकते है।
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Article Posted By: Manju Kumari
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