गलत विचारो से मन को कैसे रोके कैसे रोके नकारात्मक सोच

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 कैसे रोके नकारात्मक सोच - इस बात को सभी जानते है की जब तक हमारा मन निर्मल न हो जाये तब तक हम ब्रह्म चर्या के उच्च शिखर पर कभी नहीं पहुंच सकते। और न ही ब्रह्म चर्या के आनंद का अनुभव कर सकते है भगवान् भी उसी के मन में वास करते है जिसका मन निर्मल हो। इसीलिए तो कहा गया है। 

    negative-thoughts                                     निर्मल मन जन सो मोहि पावा , मोहि कपट छल छिद्र भाव।।

 

हमारे इस पवित्र देश भारत में जितने भी महान ऋषि - मुनि हुए है उनका एक ही लक्ष्य था मन की निर्मल कर जन्म - मृत्यु के चक्र से मुक्ति होना। क्योकि भगवान् श्री कृष्ण ने गीता में श्री कृष्ण से कहा था की

मने मनुष्याणां करक बन्द्ये मोक्ष्यो

अर्थात मन ही बंधन का कारण है और मन ही मुक्ति का कारण।  मन हमारा मित्र भी है और मन ही हमारा शत्रु भी। जब हम पूरी तरह से मन के हिसाब से चलते है तो हमको मन भटका देता है। और जब हम मन को पूरी तरह नियंत्रित करके अपने हिसाब से चलाते है तो आप जिंदिगी में जो पाना चाहते हो वो सब आपको मिल जायेगा। इसीलिए सबसे पहले मन को प्रसिद्ध करो इसको शुद्ध करने के मैंआपको उपाए बताता हूँ। आपने ये तो गौर किया ही होगा की जितने भी महान ऋषि - मुनि हुए। वे ज्यादा से ज्यादा ध्यान किया करते थे।

negative-thoughts

कभी आपने इसके पीछे का विज्ञानं जानने की कोशिश की जो की ध्यान है। ध्यान जो की हमे अपने आप का अनुभव कराता है। हमको स्वम् की गहराइयों में ले जाता है। ध्यान एक ऐसी टेक्निक है हमारे चंचल मन की चंचलता के दूर कर मन के निर्मल करता है ध्यान चुम्बक के भांति मन में छुपी आशक्ति एवं काम वासनाओ की इच्छाएं और गलत संस्कारो के मन से खींच कर बहार कर देता है। इसीलिए ध्यान ज्यादा से ज्यादा करने की कोशिश करे।

 

सत्पुरषो का संग - कहते है की जैसी सांगत वैसी रंगत। हम जैसे लोगो के संपर्क में रहते है। हमारे मन में वैसे ही विचार उठते है। ऐसी ही हमे बुरी संगती को छोड़ कर अच्छे संगत में बैठना चाहिए और इससे हमारे विचार शुद्ध होते है मन में आने वाले कुविचार भी नष्ट हो जाते है।

 

सतग्रंथो का अध्ययन - यदि आपको सत्पुरुषों की संगती किसी वजह से नहीं हो पाती है तो आप सत्ग्रंथो का अध्ययन कीजिये। यह भी सत्य है की हम जो भी ग्रन्थ पढते है वैसे ही विचार हमारे मन में उत्पन होते है। मन में जब अच्छे विचार उत्पन होते है तो वो मन में छुपे कुविचारों के नष्ट कर देते है।

स्वम् के व्यस्त रखना - एक पुरानी कहावत है की खाली दिमाग शैतान का घर होता है। यदि आप खाली है और कोई काम नहीं है तो आपके मन में ऐस वैसे विचार अवश्य ही आएंगे। इसीलिए हमेशा अपने आप के व्यस्त रखिए। दिमाग के फालतू की बातो के सोचने का समय ही रहे। धीरे - धीरे निरंतर व्यस्त रहने से आपका दिमाग विचार शुन्य हो जायेगा। बुरे विचार बुल्कुल भी नही रहेंगे।     

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Article Posted By: Manju Kumari Work

Profile: Hindi Content Writer

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