वट सावित्री व्रत पूजा सामग्री, विधि एवं नियम, पूजा कैसे करें |वट सावित्री व्रत की कथा |

1009
Views

वट सावित्री व्रत पूजा सामग्री, विधि एवं नियम, पूजा कैसे करें - वट सावित्री व्रत को करने से सुख - समृद्धि और सम्पूर्ण सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत में सामग्रियों का विशेष महत्व होता है।व्रत सावित्री व्रत का हिन्दू धर्म में सुहागिन महिलाओ के लिए बहुत ही महत्पूर्ण होता है। इस व्रत को सभी सुहागिन महिलाये अपने पति की लम्बी आयु ,पारिवारिक सुख ,घर में सुख -समृद्धि और सम्पूर्ण सौभाग्य प्राप्ति की मनोकामना से करते है।

दक्षिण भारत में यह व्रत ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन किया जाता है और उत्तर भारत में यह व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को किया जाता है। लेकिन वट सावित्री व्रत को दोनों ही जगह पर एक सामान ही किया जाता है। वैट सावित्री व्रत की महत्ता और महिमा का उल्लेख हमारे पुराणों में भी है। हिन्दू पौराणिक कथाओ के अनुसार यह माना जाता है की वट का वृक्ष त्रीमूर्ति को दर्शाता है और ये दीर्घ आयु का भी प्रतीक है। त्रीमूर्ति का अर्थ है ब्रहम्मा ,विष्णु ,महेश।ऐसी मान्यता है की बरगद के पेड़ के नीचे व्रत पूजा और कथा सुनने से पति की सम्पूर्ण मनोकामनाएं पूरी होती है। यह व्रत हर सुहागीन अपने परिवार के रीती रिवाज के अनुसार ही करती है इसका मतलब है की अपनी सास द्वारा बताये गए नियम के अनुसार ही किया जाता है।   

 

वट सावित्री व्रत की विधि सामग्री और नियम क्या  है ? -नियमो का पालन आपको एक दिन पहले से ही करना चाहिए। एक दिन पहले ही सर धो के नहा ले और शुद्ध हो जाये और सात्विक भोजन करे अपने व्यवहार को भी सात्विक रखे। अगले दिन सुबह जल्दी उठकर नहा धो कर साफ़ वस्त्र पहनले। वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाओ का व्रत होता है। सभी सुहागिनों को सोलह श्रिंगार करने होते है। कई लोग इस व्रत में अपनी सदी का जोड़ा पहनते है। यदि आप सदी का जोड़ा नहीं पहन रहे है तो लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करे। जो भी वस्त्र आप पहने वो शुद्ध ही होना चाहिए। और पीले रंग के सिंदूर को लगाने का विधान है।

 

अब आपकी घर पर सभी बड़ो के पैर छू कर आशीर्वाद ले। इससे व्रत का श्रेष्ट फल मिलते है। अपने पूजा स्थल पर जैसे आप रोज पूजा करते है उसी प्रकार पूजा करे। अब आप एक रूपये का सिक्का और थोड़े से चावल और एक फूल ,थोड़ा सा गंगा जल लेकर संकल्प ले और विष्णु भगवान के चरणों में छोड़ दे।

 

सामग्री - वट सावित्री के व्रत मे धुप, दीप, पुष्प,रोली ,चन्दन , सिंदूर ,दीपक में घी रखकर माचिस भी रख ले। और साथ में कच्चे सूट की भी आवश्यकता होती है। कच्चे सूत का दो सात - सात धागे की दो माला बना ले एक अपने लिए और एक बरगद के लिए फिर कच्चे सूत को बरगद में भी सात बार लपेटा जाता है सात छाकर लगते हुए।

 

प्रसाद में - काम से काम पांच पूड़ी ,सात मीठे (आते और गुड़ के )और सात नमकीन (बेसन के) छोटे छोटे गोले बनाये जाते है जिन्हे  अलग - अलग लकड़ियों में पोये जाते है और थोड़े से थाली में रखने के लिए ,हो सके तो पांच फल नहीं तो एक फल ही काफी है , मिठाई फूलो की माला ,कुछ फूल ,और सात चूड़ी किसी के यह पर लाल चलती है तो किसी के यह पर हरी तो किसी के यह पर काली सदा चूड़ी चलते है थाली में रखनी होती है।साथ ही में श्रृंगार की सामग्रियों का आवशयकता भी होती है। श्रृंगार की सामग्रियों को दान का भी विधान होता है। आप जितना भी अधिक दान करते है आपके जीवन में उनकी महत्ता और भी बढ़ जाती है। और आपको व्रत खोलने के लिए बरगद के पेड़ की बड़ी की जरुरत होती है जिसका अर्थ है बरगद का जो नई काली होती है।एक लोटे में शुद्ध पानी ले और व्रत खोलने के लिए शुद्ध पानी भी ले इस कली के सात टुकड़े और सात काले चने को एक साथ निगला जाता है।

वट सावित्री व्रत की कथा - एक समय की बात है एक अश्वपति नाम के राजा थे उनके कोई संतान नहीं थी। राजा ने संतान प्राप्ति के लिए अनेको यज्ञ करवाए और यज्ञ स्वरूप उन्हें एक कन्या की प्राप्ति हुई। कन्या का नाम सावित्री रखा। समय  बीतता गया और सावित्री विवाह योग्य हो गयी। एक दिन राजा ने सावित्री से कहा – “ सावित्री अब तुम विवाह योग्य हो गयी हो। इसलिए तुम स्वम् ही अपने वर की खोज करो।“ पिता की बात मान कर सावित्री अपने मंत्री और सिपाहियों के साथ वर की खोज में निकल पड़ी।

 

अनेक ऋषियों के आश्रमों, तीर्थो और जंगल में घूमने के बाद वह राजमहल वापस लोट आयी संयोग वश उस समय उसके पिता के साथ नारद मुनि भी बैठे हुए थे। सावित्री ने उन्हें प्रणाम किया और राजा अश्वपति ने सावित्री से उसके यात्रा का समाचार पूछा। पिता जी तपोवन में अपने माता - पिता के साथ निवास कर रहे सत्यवान मेरे लिए योग्य है। मैंने मन से उन्हें अपना पति चुना है। सावित्री की बात सुनकर देवऋषि नारद चौक उठे। और बोलेहे राजन! सावित्री ने तो बहुत ही बड़ी भूल कर दी है।“

 

यह सुनकर अश्वपति चिंतित हो गए और बोले हे देवऋषि ! सत्यवान में ऐसा कोन सा अवगुण है।“ देवऋषि बोले “सत्यवान के पिता शत्रुओ के द्वारा राज्यपाठ से वंचित कर दिए गए है। वे वन पे तपस्वी जीवन व्यतीत कर रहे है। और अपनी दृष्टि खो चुके है। राजन ! सबसे बड़ी कमी यह है की सत्यवान अल्प आयु है। 12 वर्ष की आयु में से अब उसके पास अब एक वर्ष की आयु ही शेष रह गयी है।“अश्वपति ने सावित्री को समझाया की - अब वः किसी दूसरे अच्छे गुणों वाले पति को चुन ले। सावित्री बोली- पिता जी नारी अपने जीवन में केवल एक बार ही अपने पति का वर्ण करती है।“

सावित्री बोली – “हे पिता जी! अब चाहे जो भी हो अब मैं और किसी को अपना पति नहीं चुन सकती।“ पुत्री की हट के आगे पिता विवस हो गए।और फिर सावित्री का सत्यवान के साथ पुरे विधि - विधान के साथ विवाह कर दिया गया। विवाह के बाद सावित्री अपने पति और सास - ससुर के साथ वन में रहने लगी।पति और सास - ससुर की सेवा ही अब उसका धर्म बन गया था। जैसे - जैसे समय बीतता जा रहा था सावित्री का मन का भी ड़रता जा रहा था। नारद ऋषि के कहे अनुशार जब उसके पति की आयु केवल चार दिन ही बची।

 

तब सावित्री ने तीन दिन पहले से ही व्रत रखना शुरू कर दिया।अंततः वह दिन भी गया जब सत्यवान की मृत्यु निश्चित थी चौथे दिन जब सत्यवान लकडिया लेने वन को जाने लगा तब सावित्री बोलीहे नाथ ! मैं भी आपके साथ वन को चलूंगी।“ सत्यवान के मना करने पर भी सास -ससुर की आज्ञा लेकर वह वन को चली गयी। वन में सत्यवान ने जैसे ही लकड़ी को काटना शुरू किया उसके सर मियाउ असहनीय पीड़ा होने लगी। और वः पेड़ से उत्तर गया। सावित्री समझ गयी की उसके पति का अंत समय निकट है।

फिर उसने अपने पति का सर होनी गोद में रख लिया कुछ समय के बाद सत्यवान अचेत हो गया। सावित्री चुप - चाप आंसू बहती हुयी ईस्वरसे प्रर्थना करने लगी। तभी उसे लाल वस्त्र पहने भयंकर आकृति वाला एक पुरुष दिखाई दिया। वे साक्षात् यमराज थे। सावित्री बोली- “हे महाराज !आप कौन है ?” यमराज ने उत्तर दिया-“ सावित्री मैं यमराज हूँ और तुम्हारे पति के प्राण हरने आया हूँ।“ सावित्री बोली – “प्रभु सांसारिक प्राणियों को लेने तो आपके दूत आते है। क्या कारन है की आपको स्वम् ही आज आना पड़ा।“ 

 

यमराज ने उत्तर दिया-सावित्री सत्यवान तो धर्मात्मा और गुणों का सागर है। मेरे दूत इन्हे ले जाने के योग्य नहीं है। इसलिए ही मुझे स्वम ही आना पड़ा।” ऐसा कहकर यमराज ने उसके पति के प्राणो को निकला और उसे लेकर दक्षिण दिशा की और चलने लगे सावित्री भी उनके पीछे - पीछे चल दी।सावित्री को अपने पीछे - पीछे आता देख यमराज बोले - “ सावित्री तुम मेरे पीछे कहा रही हो।“ सावित्री बोली- जहा मेरे पति जायँगे मैं भी वही जाउंगी। यही मेरे धर्म है।“

 

यमराज के बहुत समझने पर भी सावित्री नहीं मानी। सावित्री के पतिव्रता धर्म की निष्ठां को देखकर यमराज बोले“तुम अपने पति के बदले कोई भी वरदान मांग लो|” सावित्री ने अपने नेत्र हीन सास - ससुर की दृष्टि मांगी ,यमराज ने कहा –“तथास्तु।“ और यमराज आगे चले। फिर से सावित्री उनके पीछे - पछे चल दी। तब यमराज ने सावित्री से कहा- एक और वर मांग लो।“ फिर सावित्री ने यमराज से अपने सास - ससुर के राजपाठ को भी मांग लिया और फिर,यमराज ने कहा – “तथास्तु।“

 

यमराज आगे चले। फिर से सावित्री उनके पीछे - पछे चल दी। तब यमराज ने सावित्री से कहाचलो और एक वर मांग लो सावित्री ने अपने पिता के लिया सौ पुत्रो का वरदान मांग लिया| ,यमराज ने कहा-तथास्तु।“ और यमराज आगे चल दिए। सावित्री को वापस लौटने को कहा। लेकिन सावित्री नहीं मानी। फिर से सावित्री उनके पीछे - पछे चल दी। फिर यमराज बोले - की सावित्री तुम अपने पति के आलावा और कुछ भी वरदान मांग लो।“ फिर सावित्री ने वर माँगा की उसके सत्यवान से उसे सौ पुत्र हो।“

 

इस बार भी यमराज तथास्तु कह कर आगे बढ़ने लगे। अब सावित्री फिर यमराल के पीछे - पीछे चल दी फिर यनराज जी बोले सावित्री मैंने तुम्हे सरे मनवांछित वर दे दिए अब तुम लोट जाओ।“ तब सावित्री बोली – “महाराज ! आपने मुझे सत्यवान से सौ यशस्वी पुत्रो का वरदान दिया है। और स्टीवन के बिना पुत्र कैसे संभव है? ऐसा कहकर सावित्री ने यमराज को उलझन में दाल दिया। अब यमराज बोले –“ सावित्री मैं तुम्हारे पति व्रत धर्म से प्रसन्न होकर सत्यवान के प्राण छोड़ रहा हूँ। और साथ - साथ यह आशीर्वाद भी देता हूँ की तुम्हारी यह कहानी युगो -युगो तक सुनाई जाएगी।“ ऐसा कहकर यमराज ने सत्यवान के प्राण छोड़ दिए और यमलोक को लौट गए। यमराज ने सत्यवान के प्राण छोड़ दिए।

तब सत्यवान और सावित्री अपनी कुटिया में पहुंचे वहां उनके माता - पिता की दृष्टि भी लौट आयी थी। और उन्हें अपना खोया हुआ राज भी पुनः मिल चूका था। अब दोनों ख़ुशी ख़ुशी जीवन यापन करने लगे। यह कथा सुनने और सुनाने से सभी सुहागिन स्त्रियों के दुःख दूर होते है और उनके पति की दीर्घआयु होती है। 

-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

Article Posted By: Manju Kumari

Work Profile: Hindi Content Writer

Share your feedback about my article.  

0 Answer

Your Answer



I agree to terms and conditions, privacy policy and cookies policy of site.

Post Ads Here


Featured User
Apurba Singh

Apurba Singh

Member Since August 2021
Nidhi Gosain

Nidhi Gosain

Member Since November 2019
Scarlet Johansson

Scarlet Johansson

Member Since September 2021
Mustafa

Mustafa

Member Since September 2021
Atish Garg

Atish Garg

Member Since August 2020

Hot Questions


Om Paithani And Silk Saree



Quality Zone Infotech



Sai Nath University


Rampal Cycle Store



Om Paithani And Silk Saree



Quality Zone Infotech



Kuku Talks



Website Development Packages