रुक्मणी राधा के शरीर को देखकर अंचभित हो गईं थी क्यों ?
रुक्मणी राधा के शरीर को देखकर अंचभित हो गईं थी क्यों ? कृष्ण की पत्नी रुक्मणि जी है । लेकिन फिर भी राधा कृष्ण के रोम - रोम में वास करती है। एक बार रुक्मणि जी ने कृष्ण को भोजन के बाद दूध पीने के लिए दिया। वैसे भी कृष्ण भगवान् को दूध और मक्खन तो प्रिय था ही इसलिए उन्होंने वह दूध जल्दी से पी लिया। लेकिन दूध इतना गर्म था की कृष्ण जी के मुख से निकल ही गया, हे राधे !
पति के मुख से राधा का नाम सुनकर रुक्मणि जी बोली की मैं भी तो आपसे गहन प्रेम करती हूँ। लेकिन आप के मुख से राधा जी का नाम ही क्यों निकलता है ? ऐसा किया है राधा जी में ? आप मुझे क्यों नहीं बुलाते है। कृष्ण भगवान् इस बात पर मंद - मंद मुस्काते रहे। और बोले की आप राधा से मिली हो ?
फिर क्या था रुक्मणि जी राधा जी से मिलने राधा जी के महल में पहुँच गयी। तब रुक्मणि जी ने महल के बाहर ही एक बहुत ही सुंदर महिला को देखा। उसके चेहरे पर गजब का तेज था। रुक्मणि जी आगे बढ़ी और उस स्त्री के पेअर छू लिए। उस स्त्री ने तुरंत पूंछा की आप कोण है और आप किस लिए आयी हो। रुक्मणि जी ने अपने आने का कारण बताया।
स्त्री ने कहा की मैं तो राधा जी की दासी हूँ। राधा जी से मिलने के लिए आपको तो सात द्वार के अंदर जाना पड़ेगा। रुक्मणि जी ने एक - एक द्वार पार किये। हर द्वार पर बहुत ही खूबसूरत महिलाये थी और उनके चहेरे पर वैसा ही तेज था।रुक्मणि जी ने सोचा की दासिया इतनी सुन्दर है, तो राधा रानी के तो रूप की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
रुक्मणि जी ने जब राधा के कक्ष में कदम रखा तो राधा के तेजश्वी रूप और खूबसूरती को देखकर उनके चरणों में समर्पित हो गयी। तभी उनके शरीर पर पड़ी जिसपर बहुत ही अधिक छाले पड़े हुए थे। रुक्मणि जी ने ससंकोच करते हुए पूछे की ये छाले आपके शरीर पर कैसे हो गए।
राधा ने जबाब देते हुए कहा की कल आपने कृष्ण जी को गर्म दूध दे दिया था। फिर उनके दिल पर छाले पड़ गए। उनके दिल में तो मेरा वास है ,इसलिए मुझ पर ही सारे छाले पड़ गए। कृष्ण के रोम - रोम में वास करने वाली राधा का विवाह भले ही कृष्ण के साथ न हुआ हो लेकिन वो और कृष्ण एक ही है।
इस बात का पता इस बात से ही चल जाता है की कृष्ण जी के साथ पूजा हमेशा राधा जी के साथ ही होती है, न की रुक्मणि जी के साथ। और कृष्ण जी का नाम हमेशा राधा जी के साथ ही लिया जाता है। उनका प्रेम और समर्पण किसी भी तर्क से ऊपर है। ये वो प्रेम है जो निस्वार्थ है।
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Article Posted By: Manju Kumari
Work Profile: Hindi Content Writer
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