होनी को कोई नहीं टाल सकता ,जो होना है वो हो कर ही रहेगा

3088
Views

होनी को कोई नहीं टाल सकता ,जो होना है वो हो कर ही रहेगा - एक दिन भगवान् विष्णु के वाहन गरुड़ देव के मन में विचार आया की क्यों न एक बार पृथ्वी लोक का भर्मण किया जाये। अपने भर्मण के दौरान जब गरुण देव भगवान् विष्णु के पाटिल पुत्र मंदिर पंहुचे तो उनकी नजर वहाँ के चबूतरे पर बैठे थर - थर काँपते हुए एक कबूतर पर पड़ी।  उसकी स्थिति देखकर उन्हें आश्चर्य हुआ ,की प्रभु के मंदिर के प्राँगण में जहाँ किसी भी प्रकार का भय नहीं है और धुप में बैठे होने के बावजूद यह कबूतर काँप क्यों रहा है ?

उन्होंने उस कबूतर से काँपने का कारण पूछा तो उस कबूतर ने पहले तो उन्हें प्रणाम किया,फिर कहा की हे प्रभु ! आपके आने से कुछ समय पूर्व ही यहाँ पर यमराज आये थे। जब उनकी नजर मुझ पर पड़ी तो मुस्कराए हुआ उन्होंने मुझसे कहा की कल सुबह सूर्योदय होते ही इस अभागे प्राणी की मृत्यु हो जाएगी। कल मेरे जीवन का आखिरी दिन है। यह जानकर भला कोई कैसे खुद पर नियंत्रण रख सकता है। इसीलिए मैं मृत्यु के डर के मरे काँप रहा हूँ। मैंअभी मरना नहीं चाहता कृपा कर के मेरे प्राणो की रक्षा करो और मुझे इस मुसीबत से बचाये।

कबूतर की इस करुण भरी विनती सुनकर उन्हें उसके ऊपर दया आगयी। साथ ही उसके मन में यह विचार आया की क्यों न यमराज को चुनौती दी जाये। उन्होंने कबूतर को अपने विशाल पंजो में दबाया और मंदिर के प्रांगण से दूर एक सुरक्षित गुफा में पंहुचा दिया। मलयगन्ध पर्वत पर स्थित गुफा सुरक्षित बनाकर गरुड़ देव वह से उड़ चले। वहाँ से उन्होंने सीधा यमराज की नगरी यमलोक की और उड़ान भरी ,कबूतर के प्राणो की रक्षा करने की अपने सफलता के बारे में यमराज को बताने की उत्सुकता उनके मन में थी।

 

वो यमराज को यह बताना चाहते थे की उन्होंने कबूतर के प्राणो की रक्षा करके उनकी सफलता को विफल कर दिया। जब यमराज को पता चला की गरुड़ देव स्वम् ही यमलोक पधारे है ,तो उन्होंने उनका उचित आदर सत्कार करके आसान पर बैठाया और यमलोक आने का उद्देश्य पूंछा । तब गरुड़ देव ने बड़े शान से बताया की आज जिस कबूतर की मृत्यु होने वाली थी ,उन्होंने उसे बचा लिया है। उनकी बात सुनकर यमराज जी मुस्कुराये और चित्र गुप्त जी से उस कबूतर के बारे में पूंछा

चित्र गुप्त महाराज ने अपने बही खाते में देखकर बताया की भगवान् विष्णु के पाटिल पुत्र मंदिर में रहने वाले कबूतर आज के दिन सूर्योदय होते ही मलयगन्ध पर्वत की एक गुफा में विदन्त सर्प का भोजन बनेगा। और अभी कुछ समय पहले ही वह घडी पूरी हुई है। यह सुनते ही गरुड़ देव के आश्चर्य का ठिकाना रहा। और वह सीधा उस गुफा में पहुंचे। वहाँ उन्होंने देखा की उस सर्प ने कबूतर को खा लिया था। यह देखकर गरुड़ देव को बड़ा दुःख हुआ की कबूतर की रक्षा करने के बजाये वह स्वम् ही उसे मृत्यु के मुँह में पहुचा आये थे।

 

बैकुंठ लोक पहुंच कर गरुड़ देव दुखी मन से एकांत में बैठे थे ,तब विष्णु भगवान् ने उनकी व्यथा समझकर उन्हें समझाया की जन्म के समय ही मृत्यु भी निर्धारित हो जाती है।और फिर विधि का विधान कोई नहीं टाल सकता है। यही सत्य है जिसका जन्म हुआ है ,उसकी मृत्यु भी निश्चित की जाती है।

===================================================================================

Article Posted By: Manju Kumari

Work Profile: Hindi Content Writer

Share your feedback about my article.

0 Answer

Your Answer



I agree to terms and conditions, privacy policy and cookies policy of site.

Post Ads Here


Featured User
Apurba Singh

Apurba Singh

Member Since August 2021
Nidhi Gosain

Nidhi Gosain

Member Since November 2019
Scarlet Johansson

Scarlet Johansson

Member Since September 2021
Mustafa

Mustafa

Member Since September 2021
Atish Garg

Atish Garg

Member Since August 2020

Hot Questions


Om Paithani And Silk Saree



Quality Zone Infotech



Sai Nath University


Rampal Cycle Store



Om Paithani And Silk Saree



Quality Zone Infotech



Kuku Talks



Website Development Packages