भगवान का अस्तित्व : Lord Shri Hari Vishnu

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भगवान का अस्तित्व : Lord Shri Hari Vishnu : - अगर हम अपने जीवन को करीब से obsurd करे और अपने चारो तरफ मौजूद netural व्यवस्था को देखे तो हम आसानी से अनुमान लगा सकते है की कोई annone anrgy या supreme power universe को अदृश्य रूप से manag कर रही है। नहीं तो हम कैसे होते , हमारा अस्तित्व कैसा होता ? कैसे चन्द्रमा, सूर्य, तारे ,ये अनंत आकाश ये इतनी नदिया सागर कैसे होती ? कैसे इतने तरह के पेड़ होते ? कैसे पेड़ो पर इतने सुन्दर फल और फूल लगते ? कैसे पक्षी इतने सुन्दर गीत गए पाते ?हमारे चारो तरफ ये इतनी natural beauty कैसे होती ? तो हम कह सकते है कोई कोई annone  pawer  या  supreme divine  कोई pawer इन सब के पीछे काम कर रही है।       

sanjay sharma

ये annone  pawer  या  supreme divine  power या कोई pawer इतने parfect  तरीके से काम करती है की अभी तक वैज्ञानिक उन सब नियमो को खोजने में लगी है जिनसे ये universe oprete होता है। आप अपनी सुविधा के लिए इस supreme divine  power को कोई भी नाम दे सकते है जैसे की  supreme consciousness यानी की सर्वोच्च चेतना। anrgy , agjiseness , powar परमात्मा ,परब्रह्मम विष्णु , जीसस कृष्ण, शिवा या अल्लाह ,शक्ति या फिर कुछ और। जो भी आप ठीक समझे। आप कोई भी नाम  supreme divine  power को दे सकते है। कोई भी नाम ठीक रहेगा।

लेकिन इतना तो तय है सर्वयापी creative supreme divine  power इस universe को manage कर रही है। इसी supreme divine  power को लोग god या भगवान् भी कहते है। अब इसके बाद ही भगवान् की दो भावना है साकार और निराकार। इसका मतलब ये हुआ की कुछ लोग कहते है की भगवान् साकार है और कोई भी रूप ले सकते है जैसे कीविष्णु ,शिवा ,कृष्णा आदि। दूसरी धारणा ये है की भगवान् निराकार है इनका कोई रूप नहीं है इस धारणा के अनुसार ईश्वर को एक supreme highest चेतना माना जाता है।

इस चेतना को भी समझ लेना जरुरी है। चेतना या consciousness प्राणियों की वह चेतना शक्ति है जिससे की वह जीवित रहते है। चेतना ही जीवन का लक्षण है। मृत्यु के समय जब चेतना शरीर को छोड़ देती है तो आदमी का शरीर मृत हो जाता है। चेतना के बिना मनुष्य अपन एक ऊँगली भी नहीं हिला सकता है। जैसे की मृत शरीर में चेतना के निकल जाने के बाद कोई हरकत नहीं हो सकती है। इस तरह इस दूसरी धारणा के अनुसार supreme formness चेतना पूरे universe में फैली हुई है उसे ही भगवान् माना जाता है इसी  supreme formness या निराकार चेतना से ही सब प्राणियों को जीवन मिलता है।

persnaly बहुत समय तक मैंने formness या निराकार चेतना के रूप मे ही देखता था। लेकिन काफी वर्षो के बाद मैंने महसूस किया की ईस्वर को साकार रूप में ही एक parsnul tuch सकता है और यही तरीका ईस्वर को स्वीकार करने में है इसका मतलब ये है की  ईस्वर को महसूस करने या ईस्वर के प्रति deviation के लिए ज्यादा सही है।इसका मतलब ये हुआ की आप भगवन को एक parsnul  साकार रूप में मान सकते है।

 

इस तरह आप भगवान् के किसी भी रूप को विष्णु, शिवा, कृष्णा आदि जिसमे भी आपकी श्रद्धा हो आप उसकी पूजा कर सकते है। और भगवान् के उस रूप को ध्यान में रखते हुए उसपर meditetion या ध्यान भी कर सकते है। जिससे की हम god या भक्ति को और भी अच्छे से जान सकते है। अब आप कह सकते है की भगवान् विष्णु ही क्यों ? वो इसलिए की ncn indian sculptures के अनुसार ये भगवन विष्णु ही है जो कि संसार के सभी प्राणियों का पालन करते है। और उनकी रक्षा भी करते है।

 

जैसे की एक माँ अपने लालन पालन करती है वही अपने बच्चे की रक्षा भी करती है। जनम और मृत्यु के बीच का जो जीवन है भगवान् विष्णु उसी जीवन को represent  करते है ये भगवान् विष्णु ही है जो की बार - बार मानवता की रक्षा के लिए जनम लेते है। विष्णु शव्द का अर्थ ही है जो की हर जगह मौजूद है। तो इसका मतलब ये हुआ की भगवान् विष्णु ही वो सर्वोच्च निराकार चेतना जो की सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में फैली हुई है।इस चेतना का कभी बुइ जनम नहीं हुआ ये शुरू से ही ब्रह्माण्ड में हर पल मौजूद ही रहते है।

 

इस प्रकार आप भगवान् विष्णु को या formless anrgy भी मान सकते है। तो इस तरह वो चेतना यानी भगवान् विष्णु में शुरू सृष्टि के creation की कामना की।जैसे ही भगवान् विष्णु ने  ब्रह्माण्ड के creation की कामना की वैसे ही उनके नाभि से एक कमल पुष्प बहार निकला जिस पर ब्रहम्मा जी विराजमान थे और इस तरह ब्रहम्मा जी का निर्माण हुआ।इसके बाद ब्रह्मा जी ने हर एक चीज की रचना की। इसका मतलब ये हुआ की भगवान् विष्णु के नाभि से चेतना ब्रह्म्मा जी के द्वारा पूरे  ब्रह्माण्ड में फैली हुयी है। और सभी जीवो में मौजूद है। यह चेतना सभी प्राणियों में जीवन प्रदान करती है।

इसीलिए तो कहा जाता है की हर चीज और हर कण में विष्णु है और हर चीज विष्णु में समायी हुयी है वेदो में भगवान् विष्णु को परमात्मा ,परब्रह्मम supreem god  और ब्रह्ममण भी कहा गया है।

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Article Posted By: Manju Kumari

Work Profile: Hindi Content Writer

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