गणेश चतुर्थी की कहानी और पूजन विधि ,सामग्री और नियम

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गणेश चतुर्थी की कहानी और पूजन विधि ,सामग्री और नियम - भारत में गणेश चतुर्थी को बड़ी ही धूम - धाम के साथ और बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा की जाती है। यह त्यौहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। बहुत से लोग इस त्यौहार के दिन गणेश जी को अपने घर में लाते है। अनंत चतुर्दशी पर भगवान् गणेश जी को विदाई दी जाती है। विदाई के दिन लोग भगवान् गणेश जी से अगले साल लौटने की दुआ भी करते है।

गणेश जी का रूप निराला है

चेहरा भी कितना भोला भला है ,

जिसे भी आती है कोई मुसीबत

उसे इन्ही ने तो संम्भाला है।।

 

  कुछ लोग इस त्योहार को सिर्फ दो दिन के लिए मनाते हैं,तो कुछ इसे पूरे दस दिनों तक मनाते हैं। इसे गणेश महोत्सव भी कहते है। भगवान् गणेश जी की पूजा करने से जीवन में सुख - शांति और समृद्धि भी आती है। सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने की शुरुआत से पहले भगवान् गणेश जी की पूजा भी की जाती है। इसलिए गणेश चतुर्थी का भी विशेष महत्व है। इस वर्ष 'चतुर्थी तिथि' 10 सितंबर को सुबह 12:17 बजे शुरू होगी और रात 10 बजे तक चलेगी।

इस दिन लोगो को जल्दी उठ कर स्नान आदि करना चाहिए फिर घर में मंदिर की सफाई करनी चाहिए। फिर 'दूर्वा घास', 'लड्डू' और 'मोदक' भगवान गणेश को अर्पित किए जाते हैं।  भगवान गणेश की पूजा 'आरती' के साथ पूरी होती है। ऐसी मान्यता है की भगवान् गणेश जी की विधिवत पूजा करने से सभी समस्याओ का समाधान होता है भगवान गणेश की मूर्ति, पानी का बर्तन, 'पंचामृत', लाल कपड़ा, 'रोली', 'अक्षत', 'कलावा जनेऊ', इलायची, नारियल, 'चंडी का वर्क', 'सुपारी', 'लौंग', पंचमेवा, 'घी' पूजा को पूरा करने के लिए कपूर', 'चौकी' और 'गंगाजल' इकट्ठा करने की जरुरत है।

 

लोग जितना भगवन गणेश जी का एप घर में स्वागत करना पसंद करते है , उतना ही उनके जाने पर उन्हें दुःख भी होता है। लेकिन भगवान्  गणेश जी का स्वागत और विदाई दोनों ही दिल में उतनी ही भक्ति भाव से की जाती है। भगवान गणेश को आमतौर पर 'विघ्नहर्ता' के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है सभी बाधाओं को दूर करने वाले।

गणेश चतुर्थी की कहानी - एक समय की बात है। एक गांव में एक सेठ और सेठानी रहते थे। वे लोग बहुत ही धार्मिक प्रवृति के थे। और गणेश जी के अनन्य भक्त थे। जरूरत मंदो की सहायता के लिए हमेशा ततपर रहते थे।और उनका बहुत बड़ा परिवार था। लेकिन उनके कोई संतान नहीं थी।पूरा परिवार उन्हें बहुत ही प्यार किया करता था। परन्तु सब काना - फुंसी करते थे की  सेठानी की कोई संतान नहीं है और वे बाँझ है।वे दोनों बहुत ही दुखी रहते थे।

एक समय की बात है सेठानी गणेश जी के मंदिर में पूजा कर रहे थे। पूजा करके जब वह मंदिर से बहार रहे थे। तब उन्होंने देखा की मंदिरो के सीढ़ियों पर 4 -5 साल का बच्चा बैठा हुआ है ,और रो रहा है। सेठ जी ने चारो तरफ देखा की शायद बच्चे के माता पिता आस -पास होंगे लेकिन वहां को नहीं था। वो उस बच्चे कोपुजारी जी के पास ले गए। और बोले की पुजारी जी ये बच्चा अकेला है। इसके माँ - बाप कही दिखाई नहीं दे रहे। उसकी बात सुनकर पुजारी जी बोले की आप इस बच्चे को अपने साथ घर ले जाए।

यदि कोई इस बच्चे को ढूंढ़ते हुआ आएगा तो हम उसे आपके घर भेज देंगे सेठ - सेठानी ख़ुशी - ख़ुशी उस बालक को अपने घर ले गए। जब कोई भी कई दिनों तक लेने नहीं आये तो सरपंच से कहकर सबकी सलाह से गोद ले लिया। सेठानी ने उस बच्चे का नाम गणेशा रखा। ऐसे ही कई वर्ष बीत गए। एक दिन एक ठग पति - पत्नी गांव में आये और मंदिरो की सीढ़ियों पर बैठ गए। और गांव के सबसे अमीर आदमी को ठगने की योजना बनाने लगे।

 

तभी पुजारी जी वहां गए। और अनजान पति - पत्नी को मंदिर की सीढ़ियों पर बैठा देख उनसे कहने लगे। क्यों भैया क्या बात है ?आप यहाँ कैसे बैठे हो? उन्होंने कोई जबाब नहीं दिया। तब पुजारी जी बोले - क्या आपका बच्चा गुम हो गया है ?तुरंत ही ठग पति पत्नी ने कहा की है हमारा ही बच्चा खो गया है। पुजारी जी ने पूछा की कितने समय पहले की बात है ? वे दोनों अनजाने में बोले की यही कोई 4 - 5 साल पहले की बात है। पुजारी जी बोले की आप उदास हो, आपका बच्चा यही ऐसी गांव में ही है।

 

एक अच्छे सेठ के यहाँ पल रहा है। पुजारी जी दोनों को सेठ के घर ले गये। जब सेठ जी को पता चला की गणेश जी के असली माता पिता गए है। तो वो बहुत दुखी हुए। सेठानी भी बहुत रोइ। आज तो बहुत रात हो गयी है। आज रात आप यही ठहर जाए और कल सुबह आप गणेशा  को ले जाये। पति - पत्नी तो चाहते ही यही थे। वो बच्चे को नहीं बल्कि सेठ जी को ठगने आये थे। सेठ जी ने उन्हें अतिथि ग्रह में ठहरा दिया। वो दोनों चोरी की योजना बनाने लगे।

 

उधर सेठ - सेठानी को नींद रही थी। वे दोनों सेठ - सेठानी बहुत ही दुखी थे। और इधर दोनों ठग कमरे की एक - एक करके हर कमरे की तलाशी लेने लगे तलाशी लेते -लेते तिजोरी वाले कमरे में पहुंच गए। आवाज सुनकर घर के नौकर की नींद खुली। तो उसने उन दोनों को कमरे में देखा तो कमरा बहार से बंद कर दिया। और जोर - जोर से चिल्लाने लगा। चोर - चोर घर में चोर घुसे है। सभी लोग वहां इखट्टे हो गए। जब सेठ जी ने कमरा खोला तो को पति - पत्नी को चोरी करते हुए पकड़ा।

वो बोले की ये दोनों तो चोर है। हम गणेशा इन्हे नहीं देंगे उधर उन्हें अपनी योजना विफल होती दिखी तो वे दोनों जिद पर अड़ गए। की ये बच्चा हमरा है और हम ऐसे लेकर ही जायेंगे। तब गांव के सरपंचो ने फैसला किया। की सूर्य देव के सामने सेठानी और उस औरत को खड़ा कर देते है और दोनों के सामने गणेशा को भी खड़ा कर देते है। जिसकी भी आँचल से दूध की धार बच्चे के मुँह में जाएगी , बच्चा उसी का बन जायेगा। तब गणेश जिनकी कृपा से सेठानी के आँचल से दूध की धार गणेशा के मुँह में गयी। और सभी लोगो ने गणेश जी की जय जयकार की।

बोलो गणेश जी की जय

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Article Posted By: Manju Kumari

Work Profile: Hindi Content Writer

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