जीवन में बुरा वक्त चल रहा हो तो क्या करना चाहिए ?

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जीवन में बुरा वक्त चल रहा हो तो क्या करना चाहिए ? | - कभी - कभी हमे अपने जीवन में एक बहुत ही बड़े हादसे का सामना करना पड़ता है। या फिर जीवन में हमे कोई निराशा हाथ लगती है। या फ़ी कोई अपना हमेशा के लिए छोड़ कर चला जाता है। जब जिंदगी में कुछ इस प्रकार के दिन आते है तब हमे ऐसी कठिन परिस्थिति में क्या करना चाहिए ?

एक बार खिलाडीअपनी गाड़ी से गिर गया था। उसके पैर में चोट लग गयी और वह बिना किसी सहारे के चल भी नहीं पा रहा था। कुछ महीने बीत जाने के बाद भी उसका पैर थोड़ा ही ठीक हुआ था उसे अभ्यास करे हुए भी एक अरसा हो गया था। आखिर में उसने अपने लक्ष्य को मजबूत बनाकर दुर्घटना को भूलने का फैसला किया। फिर से दौड़ना और व्यायाम करना शुरू कर दिया। अगले कुछ दिनों के भीतर उसे काफी आराम मिल गया, लगभग ठीक ही हो गया था। वह फिर से क्षतिग्रस्त  हो गया और फिर से उसे कुछ दिन तक आराम करना पड़ा।

कुछ हफ्तों के बाद उसने  फिर से दौड़ना और व्यायाम करना शुरू कर दिया। ligament और भी ज्यादा क्षतिग्रस्त हो गया ,और इस बार उसे सर्जरी करवानी पड़ी। इस बार उसे कम से कम 6 महीने तक आराम करने की सलाह दी गयी।इस बीच उसने एक विश्व प्रसिद्ध डॉक्टर से सलाह लेने के लिए मुलाकात की। क्योकि अब उसका career दाव पर लग चूका। डॉक्टर ने खुद उसकी history cheke करने के बाद कहा -"अपनी कमियों को नजर अंदाज करने के बाद भी आप एक अच्छे खिलाडी नहीं बने। बल्कि आप असफल हो गए है।”

आपके ऊपर एक बहुत बड़ा संकट आया था। आपको धैर्य रखना चाहिए था और पैर को पूरी तरह ठीक होने देना चाहिए था। और पैर को ठीक होने के बाद भी आपको आराम करना चाहिए था। उसके बाद आपको सिर्फ चलने की शुरुआत करनी चाहिए थी और आपको अपने पैर को पूरी तरह से ठीक होने देना चाहिए था। इस बीच आपको अंदाज हो जाता की आप कसरत कर सकते है। और फिर आपको धीरे - धीरे दौड़ना और व्यायाम करना चाहिए था।

 

इस प्रकार खेल में आप अब तक पूरी तरह वापस आ चुके होते। लेकिन जब इतना समय बीतने के बाद भी आप इस समय उसी हालत में है जब आपको चोट लगी थी। खिलाड़ी ने डॉक्टर की बातो को समझा और इतना बेकार होने पर खेल व्यक्त किया। लेकिन अब किया हो सकता था। अतः दोस्तों जब भी आके साथ कोई बड़ा हादसा होता है या किसी बड़ी असफलता का सामना करना पड़ता है। यद्पि आपके शरीर पर कोई घाव नहीं होता पर आपकी भावना पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है।

 

यदि आप अपने आप को तुरंत सही होने के लिए या अपने लक्ष्यों की दिशा में काम करने के लिए या जीवन में स्वतंत्र होने के लिए मजबूर करते है , तो आप अभी दुखी होंगे और दिमाग पर बोझ आ जायेगा। मन और अशांत हो जायेगा , फिर आखिर में आप अपने लक्ष्य में असफल हो जायेंगे। दुःख और पीड़ा के उन दिनों में दोबारा असफल होना आपको भावनात्मक रूप से और भी अधिक दुखी और कमजोर कर देगा। इस प्रकार दुःख का एक दुस्चर बन जायेगा और आप इससे निकल नहीं पाओगे।

 

 

फिर एक दल - दल की तरह फसते जाओगे। अपने जख्मो की गहराई को ठीक से समझनी चाहिए।  चाहे वह मानसिक ही क्यों न हो। उनका सम्मान करो और हर जरुरी काम से समय निकालो , मन को ठीक होने दो और फिर धीरे - धीरे काम करना शुरू करो। जब भी आप दोबारा शुरुआत करो ,एक - एक कदम संभल कर रखो। अपेक्षाओं को थोड़ा कम रखो थोड़ा - थोड़ा प्रयत्न करो और फिर कुछ समय बाद आप निश्चित रूप से अपनी गति पकड़ लोगे , और सफल हो जाओगे।  और अब जीवन में खुशिया भी लोट आएँगी  

 

 

कोई भी इंसान जब बुरे दौर से गुजरता है तो इस दौर से निकलने  के लिए  इंसान अपनी पूरी आत्मशक्ति को लगा देता है ।  जीवन में संघर्ष कभी खत्म नही होता बस बदलता रहता है।  बुरे समय में इंसान को अपना धैर्य नही खोना चाहिए और न ही आत्मविश्वास को। इस कमजोर समय में  अपना संयम बनाए रखें अपने आप को मजबूत रखें।

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Article Posted By: Manju Kumari

Work Profile: Hindi Content Writer

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