अमित शाह जीवन परिचय | अमित शाह कहां के रहने वाले हैं |अमित शाह का राजनीतिक करियर -

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अमित शाह जीवन परिचय | अमित शाह कहां के रहने वाले हैं |अमित शाह का राजनीतिक करियर -

अमित शाह जी का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को महाराष्ट्र के मुंबई में एक व्यापारी के घर हुआ था। वे गुजरात के एक समृद्ध परिवार से सम्बन्धित हैं। उनका परिवार गुजराती हिन्दू वैष्णव बनिया परिवार था।उनका गाँव पाटण जिले के चँन्दूर में है।अमित शाह रईस परिवार में बहुत ही सादगी से पले-बढ़े हैं , अमित शाह के परदादा नगरसेठ थे। शाह छह बहनों के बाद सबसे छोटे भाई हैं।  बचपन में उनकी बहनें चांदी के बर्तनों में खाना खाती थीं। अमित को खाना पीतल के बर्तनों में परोसा जाता था।

 

अमित शाह की बहनें बग्घी से स्कूल जाती थीं, वहीं शाह को पैदल भेजा जाता था। यही वजह है कि विशाल पारिवारिक हवेली में पले-बढ़े अमित शाह आज भी सादगी को ज्यादा पसंद करते हैं। पांच सितारा होटलों की बजाय वे सरकारी गेस्ट हाउस में रुकना पसंद करते हैं। चार्टड फ्लाइट की जगह वे दूसरे माध्यमों से ट्रैवल करना ज्यादा पसंद करते हैं।

 

मेहसाणा में शुरुआती पढ़ाई के बाद बॉयोकेमिस्ट्री की पढ़ाई के लिए वे अहमदाबाद आए, जहां से उन्होने बॉयोकेमिस्ट्री में बीएससी की, उसके बाद अपने पिता का बिजनेस संभालने में जुट गए। राजनीति में आने से पहले वे मनसा में प्लास्टिक के पाइप का पारिवारिक बिजनेस संभालते थे। वे बहुत कम उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। 1982 में उनके अपने कॉलेज के दिनों में शाह की मुलाक़ात नरेंद्र मोदी से हुयी। 1983 में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और इस तरह उनका छात्र जीवन में राजनीतिक रुझान बना।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे भरोसेमंद और करीबी अमित शाह भारत सरकार का हिस्सा बन गए हैं। नरेंद्र मोदी के उलट अमित शाह गुजरात के एक बहुत समृद्ध परिवार से संबंध रखते है। उनके परदादा नगरसेठ हुआ करते थे। लेकिन परिवार के करीबी बताते हैं कि अमित शाह को उनके मांता-पिता ने रईसी की चमक-दमक से दूर रखा था।

अमित शाह को महाराष्ट्र का दामाद भी कहा जाता है। अमित शाह की पत्नी कोल्हापुर से हैं इसलिए उन्हें महाराष्ट्र का दामाद भी कहा जाता है। 1986 में अमित शाह की शादी कोल्हापुर के मसाला और ड्रायफ्रूट्स के थोक व्यापारी सुंदरलाल मंगलदास शाह की बेटी सोनल शाह से हुई थी। यूपी में 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में अमित शाह ने जो चमत्कार किया, उसके बाद उन्हें  राजनीति का चाणक्य कहा जाने लगा। लेकिन सच्चाई ये है कि अमित शाह पहली बार 9 साल की उम्र में कौटिल्य के अर्थशास्त्र को पढ़ा था।

 

मोदी से शाह की मुलाकात - बचपन से ही शाह आर एस एस की शाखाओं में जाते थे। अहमदाबाद के बीजेपी दफ्तर में पहली बार नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात हुई थी। अमित शाह उस समय बीजेपी के छात्र संगठन बी वी पी के नेता थे और नरेंद्र मोदी बीजेपी में संगठन का काम देखते थे।  दोनों का एक दूसरे पर विश्वास ऐसा बना कि विरोधी आज तक इस जोड़ी का तोड़ नहीं ढूंढ़ पा रहे हैं।

 

ना दोस्तों को भूलते हैं ना दुश्मनों को - शाह 2002 से ही मोदी के साथ गुजरात सरकार में जुड़े रहे। एक वक्त में उनका जलवा ऐसा था कि वे 12-12 पोर्टफोलियो अकेले ही संभालते थे। मोदी की तरह शाह भी शुद्ध शाकाहारी हैं और सिगरेट-शराब से दूर रहते हैं। वे ना दोस्तों को भूलते हैं ना दुश्मनों को, यहां तक की कार्यकर्ताओं को भी उनके नाम से जानते हैं।

कोई इलेक्शन मशीन कहता है तो कोई वोटों का जादूगर। मोदी के पांच साल के कामों को जनता तक पहुंचाने का मैकेनिज्म अमित शाह ने ही डेवलप किया। 2014 की तरह इस बार बीजेपी के पास कोई प्रशांत किशोर जैसे पॉलिटिक्ल स्ट्रेटजिस्ट नहीं थे। नारे और रणनीति प्रचार कैसे हो, हर चीज में शाह का अपर हैंड था। कोई अमित शाह को इलेक्शन मशीन कहता है तो कोई वोटों का जादूगर, लेकिन सच्चाई ये है कि बीजेपी के इतिहास में सबसे सफल अध्यक्षों में रहे अमित शाह ने कॉओबेल्ट की जातिवादी पॉलिटिक्स का तोड़ निकाल कर दिखाया। अब देखना होगा कि गृह मंत्रालय में अपने काम से क्या वे बीजेपी की तरह देश की उम्मीदों पर भी खरें उतरेंगे।

भाजपा प्रमुख अमित शाह को 2014 के चुनावों में भाजपा के शानदार प्रदर्शन का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने उन्हें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात में एक शानदार जीत के लिए प्रेरित किया। सरखेज के विधायक के रूप में चार कार्यकाल देने वाले शाह को मोदी के सबसे भरोसेमंद सहयोगी के रूप में माना जाता है और गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी के कार्यकाल के दौरान राज्य सरकार में कई प्रमुख विभागों को संभालते रहे हैं। अमित शाह जो एक समृद्ध व्यापार साम्राज्य, पी वी सी पाइप लाइनों के मालिक हैं, अहमदाबाद में अपने कॉलेज के दौरान एक आर एस एस स्वयं सेवक (स्वयं सेवक) बन गए। आर एस एस में उनके कार्यकाल के दौरान 1982 में उन्होंने मोदी से मुलाकात की। अमित शाह ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत आरएसएस के छात्र संगठन के नेता के रूप में की और 1986 में बीजेपी में शामिल हो गए। वहां उन्होंने भाजपा के प्रमुख कार्यकर्ता के रूप में काम किया और प्रधानमंत्री की राजनीतिक मेज की बगल में अपनी जगह अर्जित की।

 

अमित शाह से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

[1] अमित शाह गुजरात के सरखेज विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चार बार क्रमश: 1997, 1998, 2002 और 2007 से विधायक निर्वाचित हो चुके हैं।

[2] उन्होंने अहमदाबाद में एक स्टॉक ब्रोकर (stockbroker) और सहकारी बैंक में काम किया।

[3] पहली बार, उन्होंने 1982 में अहमदाबाद आरएसएस सर्कल्स में नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।

[4] गुजरात में नरेंद्र मोदी की (2002) सरकार के तहत उन्हें गृह, संसदीय कार्य, कानून और न्याय सहित कई प्रमुख वर्गों का प्रभार दिया गया।

[5] वह 2000 में अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक (ADCB) के अध्यक्ष बने।

[6] वह शतरंज खेलना पसंद करते हैं और वह गुजरात चेस एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे हैं।

अमित शाह 1986 में भाजपा में शामिल हुए थे।

[7] उन्होंने 2014 में नरेंद्र मोदी के लिए, 1991 में लालकृष्ण आडवाणी के लिए और 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी के लिए चुनाव अभियान चलाय।

[8] उनके पुत्र जय ने निरमा विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की, और गुजरात चेस एसोसिएशन के संयुक्त सचिव रहे हैं।

 

[9] भारतीय राजनीतिज्ञ तथा सम्प्रति भारत के गृह मंत्री हैं। वे भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष भी रह चुके है। भारत के गुजरात राज्य के गृहमंत्री

 [10] भारतीय जनता पार्टी के महासचिव रह चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में गांधी नगर से लोकसभा के सांसद चुने गए हैं।

[11] इसके पहले वे राज्यसभा के सदस्य थे। मोदी सरकार के द्वितीय कार्यकाल में भारत के गृहमंत्री बनाए जाने के बाद उन्होंने ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाने का बड़ा फैसला लिया।

 

 

राजनीतिक करियर - शाह 1987 में भाजपा में शामिल हुए। 1987 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का सदस्य बनाया गया। शाह को पहला बड़ा राजनीतिक मौका मिला 1991 में, जब आडवाणी के लिए गांधीनगर संसदीय क्षेत्र में उन्होंने चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला। दूसरा मौका 1996 में मिला, जब अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात से चुनाव लड़ना तय किया। इस चुनाव में भी उन्होंने चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला। पेशे से स्टॉक ब्रोकर अमित शाह ने 1997 में गुजरात की सरखेज विधानसभा सीट से उप चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1999 में वे अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक (एडीसीबी) के प्रेसिडेंट चुने गए। 2009 में वे गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बने। 2014 में नरेंद्र मोदी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद वे गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने। 2003 से 2010 तक उन्होने गुजरात सरकार की कैबिनेट में गृहमंत्रालय का जिम्मा संभाला।

2012 में नारनुपरा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से उनके विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले उन्होंने तीन बार सरखेज विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वे गुजरात के सरखेज विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चार बार क्रमश: 1997 (उप चुनाव), 1998, 2002 और 2007 से विधायक निर्वाचित हो चुके हैं। वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीबी माने जाते हैं। शाह तब सुर्खियों में आए जब 2004 में अहमदाबाद के बाहरी इलाके में कथित रूप से एक फर्जी मुठभेड़ में 19 वर्षीय इशरत जहां, ज़ीशान जोहर और अमजद अली राणा के साथ प्रणेश की हत्या हुई थी।

 

गुजरात पुलिस ने दावा किया था कि 2002 में गोधरा बाद हुए दंगों का बदला लेने के लिए ये लोग गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने आए थे। इस मामले में गोपीनाथ पिल्लई ने अदालत में एक आवेदन देकर मामले में अमित शाह को भी आरोपी बनाने की अपील की थी। हालांकि 15 मई 2014 को सीबीआई की एक विशेष अदालत ने शाह के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य होने के कारण इस याचिका को ख़ारिज कर दिया।

एक समय ऐसा भी आया जब सोहराबुद्दीन शेख की फर्जी मुठभेड़ के मामले में उन्हें 25 जुलाई 2010 में गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा। शाह पर आरोपों का सबसे बड़ा हमला खुद उनके बेहद खास रहे गुजरात पुलिस के निलंबित अधिकारी डीजी बंजारा ने किया। सोलहवीं लोकसभा चुनाव के लगभग 10 माह पूर्व शाह दिनांक 12 जून 2013 को भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया, तब प्रदेश में भाजपा की मात्र 10 लोक सभा सीटें ही थी।

 

 उनके संगठनात्मक कौशल और नेतृत्व क्षमता का अंदाजा तब लगा जब 16 मई 2014 को सोलहवीं लोकसभा के चुनाव परिणाम आए। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 71 सीटें हासिल की। प्रदेश में भाजपा की ये अब तक की सबसे बड़ी जीतथी। इस करिश्माई जीत केशिल्पकार रहे अमित शाह का कद पार्टी के भीतर इतना बढ़ा कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष का पद प्रदान किया गया।
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Article Posted By: Manju Kumari

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