ममता बनर्जी की व्यक्तिगत जीवन परिचय | ममता बनर्जी ने राजनीति में कैसे प्रवेश किया? बंगाली में ममता बनर्जी की पुस्तकें |

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ममता बनर्जी की व्यक्तिगत जीवन परिचय  -

ममता बनर्जी का जन्म 5 जनवरी 1955 को कोलकाता (पूर्व में कलकत्ता), पश्चिम बंगाल में, एक निम्न-मध्यम श्रेणी के बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री प्रोमिलेश्वर बनर्जी थे और उनकी माँ श्रीमती गायत्रीदेवी थीं। उन्होंने नौ वर्ष की उम्र में अपने पिता को खो दिया। उन्होंने कोलकाता में जोगोमाया देवी कॉलेज से इतिहास में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और कलकत्ता विश्वविद्यालय से इस्लामी इतिहास में मास्टर की उपाधि भी प्राप्त की। बनर्जी को कोलकाता के श्री शिक्षायतन कॉलेज से शिक्षा में डिग्री और कोलकाता के जोगेश चन्द्र चौधरी लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री भी हासिल है। उन्होंने विवाह नहीं किया। उनका कलात्मक जुनून स्वयं साखी हुई चित्रकला और कविता के रूप में सामने आता है। उनके पसंदीदा मनोरंजनोंमें पढ़ना, लिखना और संगीतसुनना शामिल हैं।

ममता बनर्जी ने राजनीति में कैसे प्रवेश किया? -

ममता बनर्जी का राजनीति में प्रवेश बहुत ही कम उम्र में हुआ था, जब वह स्कूल में ही थीं। वह राज्य की कांग्रेस (आई) पार्टी में शामिल हो गईं और उन्होंने पार्टी एवं अन्य राजनीतिक समूहों में अलग-अलग पदों पर सेवा प्रदान की। 1970 के दशक में उन्होंने शीघ्र ही राजनीतिक सीढ़ी पार कर ली और उन्हें 1976 से 1980 तक महिला कांग्रेस का महासचिव बनाया गया।

ममता बनर्जी के बारे में -

ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल, भारत की नौवीं मुख्यमंत्री हैं। वह राज्य के मुख्यमंत्री पद पर कार्य करने वाली पहली महिला है। 19 मई 2016 कोवह लगातार दो बार जीतने वाली एकमात्र महिला मुख्यमंत्री बनीं। आठवें मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के अंत में जबरदस्त जीत के तुरंत बाद उन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप भी लगे। वर्ष 1997 मेंबनर्जी ने खुद को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अलग कर लिया और अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की, जिसे टीएमसी या एआईटीएमसी भी कहा जाता है।

 

बंगाल में वह लोकप्रिय रूप से "दीदी" (बड़ी बहन) के रूप में जाना जाती हैं, उन्होंने पश्चिम बंगाल के वर्ष 2011 के विधानसभा चुनावों में व्यापक जीत के साथ राज्य में इतिहास बनाया, जिसने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)की अगुवाई में 34 वर्ष पुरानी वाम मोर्चा सरकार को उखाड़कर फेंक दिया।यह दुनिया की सबसे लंबी सेवा करने वाली लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित कम्युनिस्ट सरकार थी।बनर्जी को देश की पहली महिला रेलमंत्री होने का कीर्तिमान भी हासिल है। उन्होंने दो बार पद संभाला।उनके द्वारा संभाले गये अन्य प्रमुख पदों में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री, कोयला मंत्री, महिला एवं बाल विकास मंत्रीऔर युवा मामलेएवं खेल विभाग शामिल हैं।

 

मई 2013 मेंभारत के सबसे बड़े भ्रष्टाचार विरोधी संघ, इंडिया अगेन्स्ट करप्सन द्वारा ममता बनर्जी को भारत की सबसे ईमानदार राजनेत्री के रूप में चुना गया था। उन्होंने हमेशा एक दृढ़ और सरल जीवनशैली अपनाई है। ममता बनर्जी कई मानव और सामाजिक अधिकार संगठनों से जुड़ी हैं जो गरीब बच्चों और महिलाओं के कल्याण और विकास को बढ़ावा देते हैं, गरीबों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करते हैं और बच्चों और मांओं के लिए विभिन्न स्थानों पर स्वास्थ्य शिविर आयोजित करते हैं।

 

बंगाली में ममता बनर्जी की पुस्तकें -

उपलब्धि ,मां-माटी-मानुष ,जनतार दरबरे ,मानविक ,मातृभूमि ,अनुभूति ,तृणमूल , जनमायनी,अशुबो शंकेत ,जागो बांग्ला ,गणोतंत्र लज्जा ,एंडोलानेर कथा

अंग्रेजी में ममता बनर्जी द्वारा किताबें -

स्माइल (मुस्कान) ,स्लॉटर ऑफ डेमोक्रेसी (लोकतंत्र की हत्या) ,स्ट्रगल ऑफ एक्सिसटेंस (अस्तित्व का संघर्ष) ,डार्क हॉरिजोन (गहरा क्षितिज)

 

यूएन के आम चुनावों में भारत का प्रतिनिधित्व किया

(1) एक महिला सांसद के रूप में रूस में आयोजित वर्ल्ड वूमेन राउंड टेबल कांफ्रेंस में राष्ट्र का प्रतिनिधित्व किया।

(2) वियतनाम में भारत के प्रतिनिधि के रूप में विश्व युवा सम्मेलन में भाग लिया।

(3) कुआलालंपुर में आईसीएफटीयू और आईएलओ के कार्यकारी महिला सम्मेलन में भाग लिया।

(4) 1991 में मानवाधिकार फिर से लागू करने के लिए 21 दिनों का धरना प्रदर्शन किया।

(5) भारत में, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में महिलाओं की हवालात में तथा अत्याचार के दौरान मौत के खिलाफ प्रदर्शन किया।

लंबे समय से चली रही गोर्खालैंड की समस्या को हल करने की पहल करने का श्रेय ममता बनर्जी को दिया जाता है। 2 सितंबर 2011 को, दार्जिलिंग पर शासन करने के लिए गोर्खालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) नामक एक अर्द्ध स्वायत्त निकाय का गठन किया गया था। जीटीए में विधायी शक्तियों को छोड़कर वित्तीय, प्रशासनिक और कार्यकारी शक्ति निहित है।

ममता बनर्जी की गतिविधियां और उपलब्धियां

(1) 1997 में कांग्रेस से अलग होने के बाद ममता बनर्जी ने सफलतापूर्वक एक नई पार्टी का गठन किया। नई पार्टी, अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस बाद में सीपीआई (एम) के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल में प्रमुख विपक्षी दल बन गई।

 

(2) 2002 में, रेलमंत्री बनने के बाद, उन्होंने नई ट्रेनों का प्रस्ताव दिया, कुछ एक्सप्रेस ट्रेन सेवाओं का विस्तार किया, पर्यटन विकसित करने के उद्देश्य से कुछ ट्रेनों की आवृत्ति में वृद्धि की और भारतीय रेलवे खानपान प्रबंध और पर्यटन निगम का प्रस्ताव भी दिया।

 

(3) बुद्धदेव भट्टाचार्य की अगुआई वाली वाम मोर्चा सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल में औद्योगिकीकरण के लिए किसानों और कृषिविशेषज्ञों के जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ 20 अक्टूबर 2005 को उन्होंने सक्रिय रूप से विरोध किया।

 

(4) उन्होंने 31 मई 2009 से 19 जुलाई 2011 तक रेलवे मंत्री के इनके दूसरे कार्यकाल के दौरान कई नान-स्टॉप टूरंटो एक्सप्रेस ट्रेनों की शुरुआत की जो प्रमुख शहरों को अन्य यात्री गाड़ियों और महिला-विशेष ट्रेनों के माध्यम से आपस में जोड़ती हैं।

 

(5) अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और एसयूसीआई के गठबंधन ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2011 में 227 सीटों (टीएमसी -184, कांग्रेस -42, एसयूसीआई -1) पर जीत दर्ज की, जिसके परिणामस्वरूप वाम मोर्चा की हार हुई।

 

(6) 20 मई 2011 को वह बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री बन गईं और वाम मोर्चा सरकार के 34 वर्षों के कार्यकाल को मात दी।

 

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Article Posted By: Manju Kumari

Work Profile: Content Writer

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