होली का महत्व और क्यों मनाई जाती है?
होली का महत्व और क्यों मनाई जाती है?
हम जैसे ही होली शब्द को सुनते हैं, हमारे मन में एक अलग ही भाव उत्पन्न हो जाता है, यह भाव हर्ष और उल्लास का होता है। होली बहुत ही चर्चित त्यौहार है, यह त्योहार लोग बड़ी ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। यह एक ऐसा त्यौहार है जिसमें लोग अपने पुराने दुश्मनी को भूल जाते हैं और अपनी जिंदगी की एक नए सिरे से शुरुआत करना चाहते हैं।
ऐसे में होली को हम सभी आज के इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि आखिर यह होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है (Holi Kyu Manaya Jata Hai), इस होली के त्यौहार के पीछे की पौराणिक मान्यता (Holi ki Kahani) क्या है और इस त्यौहार को क्या अन्य देशों में भी मनाया जाता है।
आइए जानते हैं कि होली का त्यौहार लोग किस प्रकार से बनाते हैं और इसके क्या क्या विधियां होती हैं। होली के उपलक्ष में इस लेख को प्रस्तुत करने का हमारा मुख्य उद्देश्य है कि आप भी होली पर्व के विषय में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकें। यदि आप होली के त्यौहार के उपलक्ष में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो कृपया हमारे द्वारा लिखे गए इस महत्वपूर्ण लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
होली का त्यौहार क्या है?
जैसा कि आप सभी जानते हैं होली का त्यौहार हमारे लिए बहुत ही प्रसन्नता का त्यौहार होता है। होली का नाम सुनते ही हमारे हृदय में हर्ष उल्लास की भावना उत्पन्न हो जाती है। होली के त्यौहार के दिन हम सभी लोग अपने अपने पुराने गिले शिकवे भुला कर के एक नई तरीके से अपने जीवन की शुरुआत करते हैं। होली एक रंगों का त्योहार है, होली के दिन सभी लोग एक दूसरे को रंग लगा कर के अपनी खुशियों को एक दूसरे के समक्ष प्रकट करते हैं।
होली के त्यौहार के दिन सभी बच्चे से लेकर बूढ़े व्यक्ति सभी मिलकर के इस त्यौहार का लुफ्त उठाते हैं। होली के त्यौहार को हिंदुओं का सबसे प्रमुख और प्रचलित त्योहारों में से एक माना जाता है, परंतु इसे संपूर्ण भारत में अनेक धर्मों के लोग एक साथ मिलकर के बड़ी ही प्रसन्नता और प्रेम भाव के साथ मनाते हैं। होली के त्यौहार एक बहुत ही अच्छा त्योहार माना जाता है क्योंकि आज के दिन सभी लोग के मन में एक दूसरे के प्रति स्नेह का भाव बढ़ जाता है और यह स्नेह की भावना उन्हें एक दूसरे के करीब लाती है।
होली का त्योहार इतना प्रचलित हो चुका है कि भारतवर्ष में अनेक किसान लोग इस त्यौहार को अपनी फसल काटने की खुशी में भी मनाते हैं। इसका अर्थ यह है कि भारत में होली न केवल होली के दिन ही अपितु किसानों की फसल पैदावार के दिन भी होती है। जैसा कि आपको बताया होली का त्यौहार एक बहुत ही रंगीला त्यौहार है तो ऐसे में आज के दिन सभी लोग बहुत ही सुंदर और अलग-अलग रंगों से सजे रंग बिरंगे लगते हैं।
इस त्यौहार के दौरान प्रकृति का दृश्य भी लोगों के द्वारा सजे इस रंग रूप के कारण काफी सुंदर नजर आता है। होली के दिन सभी लोग एक दूसरे के गले लगते हैं और एक दूसरे को रंग या गुलाल लगाते हैं।
होली कब मनाई जाती है?
होली का पर्व हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है क्योंकि आज के दिन सभी लोग बहुत ही प्रेम पूर्वक व्यवहार करते हैं। सभी लोग आज के दिन एक दूसरे को बहुत ही प्रसन्नता पूर्वक रंग लगाते हैं और उन से गले मिलते हैं। संपूर्ण भारत वर्ष में होली का दिवस प्रत्येक वर्ष में एक बार मनाया जाता है।
होली का दिवस प्रत्येक वर्ष वसंत ऋतु के समय फाल्गुन माह में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। हम यदि अन्य शब्दों में कहें तो यह दिवस मार्च महीने में मनाया जाता है। यह त्यौहार खुशी का त्यौहार माना जाता है। इस त्यौहार को वसंत ऋतु के समय फाल्गुन मास के अंतिम दिन की होलिका दहन से मनाया जाता है, इस त्यौहार को होलिका दहन से ही शुरू कर दिया जाता है और लोग आपस में गले मिलते हैं और एक दूसरे को रंग लगाते हैं।
होली के पर्व के संबंध में पौराणिक मान्यता -
हम सभी होली के पर्व को तो बड़ी ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। ऐसे में आप में से किसी को यह पता है कि यह होली का पर्व आखिर मनाया क्यों जाता है? यदि नहीं तो चलिए हम आपको बता देते हैं कि होली का पर्व आखिर क्यों मनाया जाता है और इस होली के पर्व को मनाने की पौराणिक मान्यता क्या है?
एक समय की बात है जब इस पूरी धरती पर एक बहुत ही आतंकी असुर राज हिरण्यकश्यप राज करना चाहता था। वह संपूर्ण ब्रह्मांड के साथ-साथ तीनों लोगों पर भी अपना अधिकार जमाना चाहता था। इसके लिए उसने पृथ्वी वासियों को काफी हद तक डराया और उनसे यह कहता था कि वह ही भगवान है और वह लोगों से अपनी जबरदस्ती पूजा करवाता था।
लोग अपने जीवन की रक्षा में उस अहंकारी असुर की पूजा करते थे परंतु हिरण्यकश्यप का एक पुत्र था, जिसका नाम प्रहलाद था जो कि इस समय में भक्त प्रहलाद के नाम से प्रसिद्ध है। भक्त प्रहलाद अपने पिता के अहंकार के कारण उनकी कभी भी पूजा नहीं की। भक्त प्रह्लाद ने अपने भगवान के रूप में श्री हरि विष्णु जी को चुना और वह श्री हरि विष्णु जी की ही पूजा अर्चना करता था।
भक्त प्रहलाद की इस अटूट निष्ठा की भक्ति से उसके पिता को बहुत ही गुस्सा आता था। धीरे-धीरे उसके पिता उनसे नफरत करने लगे और वह अपने अहंकार में इतना अंधा हो चुका था कि कई बार तो भक्त प्रहलाद की जान लेने का भी प्रयास किया था, परंतु वह असफल रहा। भक्त प्रहलाद की भक्ति से श्री हरि विष्णु जी बहुत प्रसन्न थे और विष्णु भगवान भक्त प्रहलाद की सदैव रक्षा करते थे।
हिरण्यकश्यप को एक वरदान प्राप्त था, यह वरदान ऐसा था कि “ना तो उसे कोई मानव मार सकता है और ना कोई जानवर, न हीं घर में न हीं बाहर, न ही किसी शस्त्र से और ना ही किसी अस्त्र से, ना इस धरती पर और ना आकाश में, ना ही दिन में और ना ही रात में“अतः उसे ऐसा वरदान प्राप्त होने के कारण कोई भी देवता या असुर कोई भी उसका कुछ नहीं कर पा रहा था। अपने इसी वरदान के कारण वह किसी से भी नहीं डरता था और बिना सोचे समझे कहीं पर भी आक्रमण कर देता था।
हिरण्यकश्यप भक्त प्रहलाद की जान लेने के अनेक प्रयास किए, परंतु वह सफल रहा। इसके पश्चात उसने अपनी बहन होलिका की सहायता ली, उसकी बहन होलिका को भी ऐसा वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि छू तक नहीं सकती। इसी कारण होलिका भक्त प्रहलाद को लेकर के जलती चिता में बैठ गई।
जैसा कि हमने आपको बताया कि होलिका को भी वरदान प्राप्त था, परंतु उसे ऐसा वरदान प्राप्त था कि जब वह अकेली होगी, तब उसे ही अग्नि नहीं छू सकती। परंतु होली का तो उस चिता पर भक्त प्रहलाद के साथ बैठी थी, इसीलिए वरदान प्राप्त होने के बावजूद भी वह जल गई और भक्त प्रहलाद को भगवान विष्णु जी के द्वारा बचा लिया गया।
होलिका के जल जाने के उपरांत एक बार फिर से हिरण कश्यप भक्त प्रहलाद की हत्या करने का प्रयास किया, परंतु श्री हरि विष्णु जी ने हिरण्यकश्यप को नरसिंह अवतार धारण करके सभी वरदान के विपरीत उसे अपने घुटनों पर सुलाकर अपने नाखूनों से उसकी हत्या कर दी, इस प्रकार से हिरण्यकश्यप की मृत्यु भी हो गई और को प्राप्त वरदान भी खंडित नहीं हुआ।
इस कहानी के अनुसार होली का पर्व हिरण्यकश्यप की बहन होलिका की मृत्यु के उपलक्ष में मनाया जाता है, इसी कारण होली के त्यौहार के एक रात्रि पहले होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन से यह ज्ञान होता है कि किस प्रकार से अनेकों वर्षों पहले बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी। अर्थात होली के दिन को हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के दहन के उपलक्ष में मनाया जाता है।
होली कैसे मनाई जाती है?
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि होली का पर्व हमारा सबसे प्रिय एवं खास पर्व है। होली के दिन सभी लोग एक दूसरे को रंग तथा गुलाल लगाकर के होली का त्यौहार मनाते हैं। इतना ही नहीं सभी लोग अपने बड़ो को होली की बधाइयां देते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसके बावजूद लोग होली के पर्व के दिन अच्छे-अच्छे पकवान इत्यादि बनाते हैं और उन पकवानों का भोग करते हैं।
होली को सुरक्षा पूर्वक कैसे मनाए?
जैसा कि आप सभी जानते हैं होली के पर्व के दिन सभी लोग एक दूसरे को रंग तथा अबीर लगाते हैं, ऐसे में लोगों को केमिकल युक्त रंगों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
(1) होली के दिन सभी लोगों को प्राकृतिक रंगों का उपयोग करना चाहिए।
(2) होली के दिन आपको ऐसे कपड़े पहनने चाहिए जिससे कि आपका पूरा शरीर धका हो ताकि यदि कोई व्यक्ति आपको केमिकल युक्त रंग लगाए तो आपकी त्वचा को कम से कम नुकसान हो सके।
(3) सबसे महत्वपूर्ण बात यह होती है कि जब हम होली खेल करके शरीर पर लगे हुए रंगों को छुड़ाते हैं तब वह आसानी से नहीं छूटता तो ऐसे में हमें होली खेलते समय अपने शरीर एवं चेहरे पर तेल लगा लेना चाहिए, जिससे कि रंग आसानी से छूट जाए।
(4) होली के दिन हमारे बालों को काफी नुकसान होता है, इससे बचने के लिए हमें टोपी इत्यादि का उपयोग करना चाहिए।
(5) होली के दिन आपको ऐसे कपड़े पहनने चाहिए जिससे कि आपका पूरा शरीर धका हो ताकि यदि कोई व्यक्ति आपको केमिकल युक्त रंग लगाए तो आपकी त्वचा को कम से कम नुकसान हो सके।
(6) सबसे महत्वपूर्ण बात यह होती है कि जब हम होली खेल करके शरीर पर लगे हुए रंगों को छुड़ाते हैं तब वह आसानी से नहीं छूटता तो ऐसे में हमें होली खेलते समय अपने शरीर एवं चेहरे पर तेल लगा लेना चाहिए, जिससे कि रंग आसानी से छूट जाए।
(7) होली के दिन हमारे बालों को काफी नुकसान होता है, इससे बचने के लिए हमें टोपी इत्यादि का उपयोग करना चाहिए।
(8) यदि किसी व्यक्ति को रंगों से एलर्जी है तो उसे केवल एक दूसरे को टीका ही करना चाहिए।
(9) हमें होली के दिन यह ध्यान देना चाहिए कि रंग हमारी आंखों या कानो इत्यादि में ना जा सके।
होली का महत्व क्या है?
होली का महत्व अपने आप में एक बहुत ही विशेष अर्थ रखता है और लोगों को बुराई के खिलाफ लड़ने की ताकत वही देता है, इसीलिए होली के पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के नाम से भी जाना जाता है। होली के पर्व से हमें यह ज्ञान प्राप्त होता है कि बुराई चाहे कितनी भी भयानक क्यों ना हो, परंतु अंत में सदैव अच्छाई की ही जीत होती है।
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Article Posted By: Manju Kumari
Work Profile: Content Writer
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