छठ पूजा करने से पहले जरूर जान लें ये महत्वपूर्ण बातें
छठ महापर्व क्यों मनाया जाता है।
सर्वप्रथम इस व्रत को किसने किया था और क्यों किया था?
छठी मैया कौन थी और चार दिन के इस महापर्व में व्रती क्या क्या करते हैं?
छठी मैया को देवसेना के नाम से भी जाना जाता है। छठी मैया ब्रह्मा जी की पुत्री स्कन्द कुमार कार्तिकेय की पत्नी और सूर्यदेव की बहन हैं। एक बार सूर्यदेव तेजहीन हो गए और अपनी खोई हुई तेज वापस लाने के लिए ब्रह्म देव की स्तुति करने लगे। ब्रह्मदेव ने प्रकट होकर सूर्यदेव से कहा कि प्रकृति के मूल अंश से मैंने कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में छठी तिथि के दिन देवसेना को प्रकट किया। उसी दिन आप छठ महाव्रत करके देवसेना की आराधना कीजिए। आपकी तेज पुनः वापस चली आएगी। सूर्य देव ने ब्रह्मदेव के कहने पर इस छठ महाव्रत को किया, जिससे छठ माता ने खुश होकर सूर्य को दिव्य ज्योति प्रदान किया। चार दिन तक चलने वाले इस
छठ महापर्व में पहले दिन को नहाय खाय व्रत कहा जाता है। इस छठ महाव्रत को स्त्री और पुरुष दोनों करते हैं। इस दिन घर की साफ सफाई की जाती है और दिन भर निराहार रहकर शाम को कद्दू तथा चने की दाल को चावल के साथ पकाकर इसका प्रसाद बनाया जाता है तथा छठ व्रती इसी प्रसाद को ग्रहण करते हैं। छठ व्रती नमक के स्थान पर सेंधा नमक का प्रयोग करते हैं।
दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। खरना के दिन भी दिन भर निराहार रहकर शाम को गन्ना के रस या गुड़ में चावल और दूध का बना खीर शाम को प्रसाद के रूप में व्रती ग्रहण करते हैं तथा इस प्रसाद का वितरण भी करते हैं।
छठ महापर्व के तीसरे दिन व्रती अपने घर में साफ सफाई एवं पवित्रता के साथ आम की लकड़ी से अग्नि प्रज्ज्वलित करके ठेकुआ बनाते हैं। साथ ही साथ अन्य प्रसाद बना कर के शाम को व्रती छठी मैया के घाट पर जाते हैं तथा डूबते हुए सूर्य भगवान को श्रद्धापूर्वक संध्या अर्घ्य देते हैं। इस दिन व्रती बिना अन्न और जल ग्रहण किए निराहार रहते हैं। अगले दिन सूर्योदय के साथ ही सूर्य और छठी मैया को कच्चे गाय के दूध में गंगाजल मिश्रित करके सूर्य देव और छठी मैया को पुनः अर्घ देते हैं तथा अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए छठी मैया और सूर्य भगवान से प्रार्थना करते हैं और गाय के कच्चे दूध का पारण करके व्रत को तोड़ते हैं।
ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम तथा जगतजननी माता सीता के शरीर का शुद्धिकरण हुआ था। साथ ही साथ श्रीकृष्ण के पुत्र साम को कुष्ठ रोग से मुक्ति मिली थी और प्रियव्रत को छठी मैया की असीम अनुकंपा से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी। छठी मैया बड़ी दयालु है। उसके भक्त सच्चे हृदय से जो कुछ भी मांगते हैं, छठी मैया उनकी मनोकामना जरूर पूरी करती है। यूपी और बिहार के अलावा विश्व के कोने कोने में जहां भी उत्तर भारतीय रहते हैं, इस छठ महापर्व को बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं।
छठी मैया का यह पावन व्रत जो कोई भी श्रद्धा भक्तिपूर्वक करता है, छठी मैया उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। साथ ही साथ सूर्यदेव भी अपनी असीम कृपा बरसाते रहते हैं। हमारी पूरी टीम की तरफ से आपको और आपके पूरे परिवार को छठ महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।